अजमेर. कोरोना फैलने की शुरुआत के साथ ही सोशल मीडिया पर मांस के अलावा अंडा खाने से भी संक्रमण फैलने का खतरे की चर्चा तेज हो गई थी. इसके बाद लोगों ने अंडा खाना भी बंद कर दिया था. इस कारण पोल्ट्री फार्म व्यवसायियों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा था, लेकिन लॉकडाउन खुलने के साथ ही पॉल्ट्री फार्म व्यवसायियों को जुलाई माह से राहत मिलने लगी है. लोगों में अंडा खाने से कोराना होने के खतरे को लेकर भी भ्रम टूटने लगा है, जिससे अंडे की खपत बढ़ गई है.
अनलॉक के बाद फीड की दरें कम हुई हैं और डिमांड बढ़ने से अंडे के भावों ने वर्ष 2017 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पोल्ट्री फार्म व्यवसायियों को उम्मीद है कि यही हालात रहे तो आगामी छह माह में उनके नुकसान की भरपाई पूरी हो सकती है.
अक्टूबर का दूसरा शुक्रवार विश्व अंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है. मुर्गी का अंडा मां के दूध के बाद सबसे बड़ा प्रोटीन का स्त्रोत माना जाता है. वहीं अंडे में 14 प्रकार के अमीनो एसिड भी होते हैं जो मानव शरीर को पौषक तत्व प्रदान करते हैं. वैज्ञानिक तौर पर यह भी साबित हो चुका है कि अंडा शाकाहारी होता है और इसके सेवन से शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
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विशेषज्ञों का मानना है कि शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों में Vitamin D की कमी पाई जाती है. इसकी पूर्ति अंडे से पूरी हो सकती है. राजकीय कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक खरे बताते हैं कि अंडे में औषधीय गुण होते हैं. वर्तमान में कोरोना काल में अंडे का सेवन लाभदायक है. विटामिन सी को छोड़कर कोरोना में सभी प्रकार के मिनरल्स होते हैं. ऐसे में आहार के तौर पर अंडे का सेवन हर व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है.
डॉ. खरे ने बताया कि वर्ष 2019 में जिले में एक हजार पॉल्ट्री फार्म थे. इस दरमियान फीड की दरें बढ़ने और अंडे की दर कम होने से पोल्ट्रीफार्म व्यवसाय को काफी नुकसान हो रहा था. इसके बाद कोरोना की वजह से लॉकडाउन में फीड नहीं मिलने और अंडों की डिमांड नहीं होने से इनकी कीमत 1 रुपये पर पहुंच गई थी. जिले में 600 से अधिक पॉल्ट्री फार्म बन्द हो गए हैं. पोल्ट्रीफार्म मालिकों को इससे काफी नुकसान हुआ है. खासकर छोटे व्यवसायी तो बर्बाद हो गए हैं.
इसका सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया पर किए गए भ्रामक प्रचार हैं जिसमें अंडा खाने से कोरोना का खतरा बताया गया है. वहीं लॉक डाउन में परिवहन बंद होने से पोल्ट्री फॉर्म व्यवसायियों को फीड नहीं मिला. उन्होंने बताया कि जुलाई माह से पोल्ट्री फॉर्म व्यवसाय में प्रगति हुई है. अंडे की दर 2017 में 5 रुपए 41 पैसे थी जिसका रिकॉर्ड वर्तमान में टूट चुका है. फीड की दरें भी आधी हो गईं हैं जिससे पोल्ट्री फॉर्म व्यवसायियों को कुछ राहत मिली है.
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व्यवसायियों का कहना है कि साल 2019 पोल्ट्री फार्म व्यवसाय के लिए मंदी का दौर रहा. वहीं लॉकडाउन में व्यवसाय 60 फीसदी चौपट हो गया. हर पोल्ट्री फॉर्म व्यवसायी को लाखों का नुकसान हुआ. कई पोल्ट्री फार्म तो खाली हो चुके हैं. लॉकडाउन के दौरान मुर्गियों को पालने में असमर्थ व्यवसायियों ने लाखों के बॉयलर और लेयर फ्री बांट दिए. हालात यह है कि जिले में 2019 से पहले प्रतिदिन 80 लाख अंडों का उत्पादन होता था, लेकिन वर्तमान में यह 40 लाख ही रह गया है. पोल्ट्री फॉर्म व्यवसायी लंबे समय से नुकसान झेल रहे हैं. फिर से पोल्ट्री फार्म चलाने के लिए उनके पास पैसे नहीं है. ऐसे में पोल्ट्री फार्म व्यवसायी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
जिले में 400 से अधिक पोल्ट्री फार्म में अब तक 25 लाख चूजे पाले जा रहे हैं. पहले जिले में करीब 70 लाख मुर्गी पालन होता था वहीं अब बमुश्किल 5 से 7 लाख मुर्गियां ही बची हैं. किसानों ने फिर से एक बार चूजे पालना शुरू कर दिया है. जुलाई से सितंबर माह के प्रथम सप्ताह तक लगभग 25 लाख के करीब चूजों की खरीद हुई है. हांलाकि अभी भी 50 फीसदी पोल्ट्री फार्म खाली ही पड़े हैं
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लॉकडाउन में नुकसान झेलकर डटे रहे पोल्ट्री फार्म व्यवसायियों का कहना है कि जुलाई के बाद से व्यवसाय में सुधार आया है. फीड की दरें कम होने और अंडे की खपत बढ़ने से किसानों को अंडे के दाम अच्छे मिल रहे हैं. ऐसे में निराश हो चुके किसानों को कुछ राहत मिली है. आगामी 6 माह तक यही स्थिति रही तो पोल्ट्री फॉर्म व्यवसाय घाटे से उबर सकता है.
अनलॉक के बाद अंडे की बिक्री में बढ़ोतरी के बाद पोल्ट्री फार्म व्यवसायियों को कुछ राहत मिली है. कारोबारियों को उम्मीद है कि लोगों में अंडे को लेकर मिथक धीरे-धीरे खत्म होगा और खपत बढ़ेगी. जाहिर है विश्व अंडा दिवस मनाने का भी उद्देश्य यही है कि अंडे का सेवन लोग ज्यादा से ज्यादा करें ताकि उनको कम्प्लीट फूड प्रोडक्ट मिल सके. वहीं डिमांड और सप्लाई में संतुलन बनने से कुकुट पालन को बी बढ़ावा मिल सके.