अजमेर. नागौर की धरती ने देश की रक्षा के लिए कई शूरवीरों को जन्म दिया है. वहीं, दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल को भी इस धारा की कोख से उत्पन्न संगमरमर से पहचान मिली है. आगरा में स्थित विश्व धरोहर ताजमहल का निर्माण नागौर की खदानों से निकले संगमरमर से हुआ है. करीब 450 वर्षों से भी अधिक समय से ताजमहल की चमक आज भी बरकरार है. हालांकि, लंबे कालखंड के बाद अब कुछ स्थानों पर मरम्मत की दरकार है.
नागौर जिले के मकराना में उच्च कोटि के विश्वस्तरीय संगमरमर की खदानें हैं. देश के बड़े-बड़े मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में मकराना के संगमरमर का उपयोग हुआ है. दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल का निर्माण भी मकराना के संगमरमर पत्थर से किया गया था. हाथियों की मदद से मकराना से कई टन संगमरमर आगरा ले जाया गया था. साथ ही यहां के कारीगर भी गए थे.
हाथियों से ले जाया गया था संगमरमर
ताजमहल दुनिया के लिए स्थापत्य कला का आज भी अनोखा उदाहरण है. उसी प्रकार ताजमहल की चमक भी दुनिया के लिए आश्चर्य है. मकराना के संगमरमर व्यापार मंडल के सहसचिव मोहम्मद शरीफ राठौड़ ने बताया कि मकराना की खदानों में निकलने वाला सफेद संगमरमर 450 वर्ष पहले हाथियों की मदद से आगरा ले जाया गया था.
कारीगर भी गए थे आगरा...
मोहम्मद शरीफ राठौड़ का कहना है कि ना केवल संगमरमर को ही नहीं ले जाया गया बल्कि यहां के कारीगर भी साथ गए थे, जिनकी अथक मेहनत और कुशल कारीगरी से ताजमहल का निर्माण हुआ था. उन्होंने बताया कि मकराना के संगमरमर की खासियत यह है कि इसमें 98.64 कैल्शियम है, जिसकी वजह से इसकी चमक हमेशा बरकरार रहती है.
पढ़ें- Special : स्मार्ट सिटी अजमेर का 'टूटा दिल'...सड़कें भी हैं उखड़ींं
संगमरमर की चमक की वजह से ही मकराना में व्यवसाय प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आज भी जिंदा है. राठौड़ ने बताया कि मकराना का संगमरमर का पत्थर देश के कई प्रमुख धार्मिक स्थलों में भी उपयोग किया गया है. मकराना के मार्बल को ग्लोबल हेरिटेज का दर्जा प्राप्त हुआ है. इसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रशंसा की थी. उन्होंने बताया कि अन्य पत्थरों की चमक समय के साथ फीकी पड़ जाती है, लेकिन संगमरमर की चमक हमेशा बरकरार रहती है.
ताजमहल के मरम्मत में मकराना का हो पत्थर
मकराना के लोगों के लिए यह हमेशा से गर्व की बात रही है कि क्षेत्र से निकला संगमरमर दुनिया के सातवें अजूबे की चमक को आज भी बरकरार रखे हुए हैं. हालांकि वक्त के साथ ताजमहल में कुछ जगह पर मरम्मत की आवश्यकता आ पड़ी है, ऐसे में नागौर के दस्तकारों की ओर से यह मांग उठाई जा रही है कि ताजमहल में मरम्मत के दौरान लगने वाला पत्थर मकराना का ही होना चाहिए. साथ ही मरम्मत का कार्य भी मकराना के कारीगरों से करवाना चाहिए.
मकराना के दस्तकार अब्दुल हमीद गौड़ बताते हैं कि बेशक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए ताजमहल का निर्माण करवाया, लेकिन ताजमहल की इमारत की खूबसूरती मकराना के सफेद संगमरमर से ही है. सदियों बाद भी ताजमहल की चमक बरकरार है. ताजमहल की शान मकराना के संगमरमर से है. इसलिए उसके मरम्मत के काम में मकराना का सफेद संगमरमर और यहां के कुशल कारीगर का उपयोग लिया जाना चाहिए.