अजमेर. पुष्कर में सदियों से भर रहे धार्मिक और पशु मेले का कोरोना के चलते इस बार आयोजन नहीं होगा. पुष्कर धार्मिक नगरी होने के साथ ही पर्यटन नगरी भी है. देश और दुनिया से बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी पुष्कर घूमने आते हैं. लेकिन पिछले 8 महीने से कोरोना संकट की वजह से पुष्कर का पर्यटन उद्योग चौपट हो गया है. इस बार अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला 2020 के स्थगित होने से पर्यटन उद्योग से जुड़े छोटे-बड़े व्यवसायियों की उम्मीदें टूट गई हैं.
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कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है इसके मद्देनजर पुष्कर मेला स्थगित कर दिया गया है. जगतपिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में हर साल लाखों पर्यटक आते थे. 15 दिन जब पुष्कर का मेला भरता था तो देश-विदेश से लाखों सैलानी पुष्कर घूमने आते थे. जिसके चलते पर्यटन उद्योग से जुड़े छोटे-बड़े व्यवसायियों के चेहरे खिल जाते थे लेकिन कोरोना महामारी के संकट की वजह से देश में लॉकडाउन के पहले दिन से पुष्कर के पर्यटन उद्योग को ऐसा ग्रहण लगा जो आज तक नहीं हटा है.
हजारों तीर्थ पुरोहितों पर रोजी-रोटी का संकट
पुष्कर के पवित्र सरोवर के करीब 2 हजार से अधिक तीर्थ पुरोहित हैं. जिनका रोजगार श्रद्धालु की ओर से करवाए गए अनुष्ठान और दान-दक्षिणा पर निर्भर है. तीर्थ पुरोहित रूपचंद पाराशर बताते हैं कि 8 माह से पुष्कर में श्रद्धालुओं की आवक बहुत ही कम हो रही है. वहीं मेला स्थगित हो जाने से उनको मिलने वाले रोजगार की उम्मीदें भी टूट गई हैं. हर रोज हजारों श्रद्धालु पुष्कर आया करते थे और 8 दिन के मेले के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में हुआ करती थी. जिससे उनका गुजारा भी आराम से हो जाता था.
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होटल व्यवसाय हुआ चौपट
पुष्कर में होटल, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट बड़ी संख्या में हैं. होटल व्यवसायी रवि जैन बताते हैं कि पुष्कर में 400 से ज्यादा होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशालाएं और रेस्टोरेंट हैं. इसके अलावा पुष्कर मेले के दौरान लोग बाहर से आकर भी पर्यटकों के लिए कैंप लगाते हैं. 8 दिन के पुष्कर मेले में ही करीब 100 करोड़ की कमाई होटल व्यवसाय को होती थी. जैन ने बताया कि ऐसा बुरा वक्त होटल यूनियन ने पहले कभी नहीं देखा. 8 माह से होटल की सभी कमरे खाली हैं, वहीं मेला स्थगित हो जाने से सारी बुकिंग भी कैंसिल हो गई हैं.
छोटे-बड़े सभी व्यापार हुए प्रभावित
ऊंटों का श्रंगार करने वाले अशोक टांक ने बताया कि कोरोना की वजह से पुष्कर में पर्यटन उद्योग से जुड़े हर वर्ग को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पुष्कर का हैंडीक्राफ्ट, टेक्सटाइल, कैमल सफारी, गुलकंद और गुलाब जल उद्योग, होटल व्यवसाय, रेस्टोरेंट्स व्यवसाय के अलावा चांदी और आर्टिफिशियल ज्वेलरी, टूर ऑपरेटर्स का काम पर्यटकों के अभाव में ठप पड़ा है. टांक ने बताया कि सदियों से ऐसा पहली बार हो रहा है जब पुष्कर मेला कोरोना महामारी के पहले की आशंका की वजह से स्थगित किया गया है. मेला स्थगित होने से पशुपालकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
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गाइड घूम रहे हैं बेरोजगार
पर्यटकों के अभाव में पुष्कर के गाइड भी बेरोजगार हो गए हैं. पुष्कर मेले की वजह से जहां 6 माह पहले ही होटलों की बुकिंग हो जाती थी. वहीं अब बुकिंग कैंसिल हो रही है इस कारण पुष्कर के गाइड भी निराश और हताश हैं. पर्यटक गाइड गोपाल पाराशर बताते हैं कि पुष्कर में छोटा बड़ा हर व्यवसाय पर्यटकों पर ही निर्भर है. विदेशी और देशी मेहमानों के नहीं आने से पिछले 8 माह से हर वर्ग के रोजगार पर भारी संकट खड़ा हो गया है.
वस्त्र उद्योग पर मार
धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में ही नहीं बल्कि पुष्कर वस्त्र नगरी के रूप में भी उभर रहा है. पुष्कर में करीब 200 से ज्यादा टेक्सटाइल फैक्ट्रियां हैं. इन फैक्ट्रियों में विदेशी ग्राहकों की मांग अनुसार कपड़ों का निर्माण किया जाता है और यह व्यवसाय पूरी तरह एक्सपोर्ट पर निर्भर है. पुष्कर में टेक्सटाइल व्यवसाय करीब 400 करोड़ सालाना का होता है. विदेशी खरीदार फैब्रिक पसंद करके डिजाइन देख कर बड़ी संख्या में माल आर्डर करते हैं. लॉकडाउन के बाद टेक्सटाइल व्यवसाय ने कुछ गति पकड़ी है लेकिन विदेशों में भी कोरोना महामारी के चलते खरीदार नहीं आ रहे हैं जिस कारण व्यवसाय आधा रह चुका है.
टेक्सटाइल व्यवसायी मनसुख मालू ने बताया कि पुष्कर में बनाए जाने वाले कपड़ों की सबसे ज्यादा डिमांड यूरोप में रहती है. पुष्कर आने वाले विदेशी पर्यटकों के ऑर्डर वस्त्र व्यापारियों को मिला करते थे. पुष्कर मेले के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी खरीदार आया करते थे जो उन्हें बड़े आर्डर दिया करते थे. लेकिन कोरोना की वजह से टेक्सटाइल व्यापार पर भी जबरदस्त असर पड़ा है.
पुष्कर का मेला मैदान खाली पड़ा है. इन दिनों जहां पुष्कर के धोरों पर राजस्थानी संस्कृति की झलक दिखा करती थी, हर तरफ ऊंट घोड़े नजर आते थे. आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है. श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद से कुछ लोगों ने दुकानें लगाई हैं, लेकिन मेला स्थगित हो जाने के कारण अब उन्हें भी रोजगार मिलना मुश्किल लग रहा है.