अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दो बीवियों की मजार अस्ताने शरीफ के नजदीक ही है. दरगाह में जियारत को आने वाले जायरीन ख्वाजा साहब की चौखट चूमने के बाद गरीब नवाज की दोनों बीवी साहिबा की मजार पर भी अकीदत का नजराना जरूर पेश करते हैं.
ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दो बीवियां थी. जिनमें बड़ी बीवी का नाम अस्मतउल्लाह और छोटी बीबी अमतुल्लाह है. दोनों की मजार एक दूसरे के पास ही है. अकीदतमंद बड़ी शिद्दत के साथ दोनों की मजार की जियारत करते है और यहां मन्नतों के धागे, चूड़िया और अर्जियां बांधते हैं.
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बताया जाता है कि जिनकी शादी नहीं हो रही होती या जिनके औलाद नहीं होती. वे लोग अकीदत के साथ यहां मन्नत का धागा बांधते हैं. लोगों को विश्वास है, कि यहां मन्नत के रूप में बांधे गए धागे से उनकी दिली मुरादे जरूरत पूरी होती है.
दोनों मजार की सालों से खिदमत करने वाले खादिम बताते हैं, कि मजार के समीप एक छोटा कुंड है. जायरीन भिश्ती से मशक के जरिए उसमें पानी डलवाते है. यह पानी मजार को छूकर कुंड में जाता है. उस पानी को जायरीन बहुत ही पवित्र मानते हैं. जायरीन पानी को पीते है और अपने साथ अपने घर भी ले जाते हैं. मान्यता है कि इस पानी से बीमारियों में सफा मिलती है.