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जुकाम-बुखार को ना ले हल्के में, उपचार के लिए चिकित्सक की ले सलाह : डॉ. केके सोनी

पिछले कुछ सालों से राजस्थान में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़े हैं.इस बीमारी को लेकर ईटीवी भारत की जागरूकता मुहिम के तहत अजमेर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अधिकारी डॉ. के के सोनी से बात की और उन्होंने स्वाइन फ्लू के लक्षण और उससे बचाव की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू का इलाज है लेकिन इसके लिए आमजन में जागरूकता होना भी उतना ही जरूरी है जितना कि उपचार.

अजमेर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अधिकारी डॉ. के के सोनी
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Published : Jul 26, 2019, 12:27 PM IST

अजमेर. पिछले कुछ सालों से राजस्थान में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़े हैं,उनमें अजमेर भी पीछे नहीं है. स्वाइन फ्लू जानलेवा बीमारी है लेकिन यदि समय रहते इसका उपचार हो जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. बता दें कि इस बीमारी को लेकर ईटीवी भारत की जागरूकता मुहिम के तहत अजमेर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ. के के सोनी से बात की और उन्होंने स्वाइन फ्लू के लक्षण और उससे बचाव की जानकारी दी.

अजमेर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अधिकारी डॉ. के के सोनी


अजमेर के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.के के सोनी ने बताया कि स्वाइन फ्लू को लेकर सबसे जरूरी है कि लोग इससे डरे नहीं बल्कि सही समय पर सही उपचार ले. उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू के लक्षण के लिए तीन केटेगरी है, जिसके अंतर्गत मरीज में लक्षण देखे जाते हैं और उन्हीं लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज किया जाता है.


स्वाइन फ्लू के लक्षणों की सबसे पहली केटेगरी ए है. इस केटेगरी में मरीज को जुकाम बुखार होता है. इस जुकाम और बुखार को हल्के में नहीं लेना चाहिए. इस केटेगरी वाले मरीज को भीड़भाड़ वाली जगहों से परहेज करना चाहिए. खुद चिकित्सक ना बने. चिकित्सक से परामर्श और उपचार ले.


इसके बाद स्वाइन फ्लू के लक्षण बी 1 और बी 2 हैं. बी 1 कैटेगरी में सर्दी, जुकाम बुखार का प्रभाव मरीज में ज्यादा होता है. बी 2 केटेगरी में पांच साल से कम उम्र के बच्चे और साठ साल की उम्र से अधिक व्यक्ति और गर्भवती महिलाएं ज्यादा प्रभावित होते हैं. वहीं बी 1 कैटेगरी के लक्षणों के साथ जो मरीज क्रोनिक बीमारियों जैसे डाइबिटीज, हाइपर टेंशन, हाई ब्लड प्रेशर, दिल के रोगी, अस्थमा से पीड़ित है उनके लिए बी 2 के बाद सी केटेगरी हाई रिस्क केटेगरी होती है.


चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.के के सोनी ने बताया कि मरीज ए कैटेगरी में आने के बाद नाक पर रुमाल या कपड़ा लगाकर रखें, जिससे किसी अन्य को स्वाइन फ्लू ना हो. सही समय पर सही उपचार स्वाइन फ्लू से बचाव का सबसे अहम उपाय है. उपचार में की गई देरी मरीज की जान भी ले सकती है.


डॉ.के के सोनी ने बताया कि स्वाइन फ्लू संक्रमित बीमारी है.स्वाइन फ्लू का इलाज है लेकिन इसके लिए आमजन में जागरूकता होना भी उतना ही जरूरी है जितना कि उपचार. इस बीमारी में जरा सी सावधानी से मरीज ना केवल बच सकता है बल्कि दूसरों को भी इस बीमारी से बचा सकता है. इसके लिए जरूरत है सर्दी-खांसी और जुकाम होने पर चिकित्सक से उपचार ले.

अजमेर. पिछले कुछ सालों से राजस्थान में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़े हैं,उनमें अजमेर भी पीछे नहीं है. स्वाइन फ्लू जानलेवा बीमारी है लेकिन यदि समय रहते इसका उपचार हो जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. बता दें कि इस बीमारी को लेकर ईटीवी भारत की जागरूकता मुहिम के तहत अजमेर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ. के के सोनी से बात की और उन्होंने स्वाइन फ्लू के लक्षण और उससे बचाव की जानकारी दी.

अजमेर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अधिकारी डॉ. के के सोनी


अजमेर के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.के के सोनी ने बताया कि स्वाइन फ्लू को लेकर सबसे जरूरी है कि लोग इससे डरे नहीं बल्कि सही समय पर सही उपचार ले. उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू के लक्षण के लिए तीन केटेगरी है, जिसके अंतर्गत मरीज में लक्षण देखे जाते हैं और उन्हीं लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज किया जाता है.


स्वाइन फ्लू के लक्षणों की सबसे पहली केटेगरी ए है. इस केटेगरी में मरीज को जुकाम बुखार होता है. इस जुकाम और बुखार को हल्के में नहीं लेना चाहिए. इस केटेगरी वाले मरीज को भीड़भाड़ वाली जगहों से परहेज करना चाहिए. खुद चिकित्सक ना बने. चिकित्सक से परामर्श और उपचार ले.


इसके बाद स्वाइन फ्लू के लक्षण बी 1 और बी 2 हैं. बी 1 कैटेगरी में सर्दी, जुकाम बुखार का प्रभाव मरीज में ज्यादा होता है. बी 2 केटेगरी में पांच साल से कम उम्र के बच्चे और साठ साल की उम्र से अधिक व्यक्ति और गर्भवती महिलाएं ज्यादा प्रभावित होते हैं. वहीं बी 1 कैटेगरी के लक्षणों के साथ जो मरीज क्रोनिक बीमारियों जैसे डाइबिटीज, हाइपर टेंशन, हाई ब्लड प्रेशर, दिल के रोगी, अस्थमा से पीड़ित है उनके लिए बी 2 के बाद सी केटेगरी हाई रिस्क केटेगरी होती है.


चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.के के सोनी ने बताया कि मरीज ए कैटेगरी में आने के बाद नाक पर रुमाल या कपड़ा लगाकर रखें, जिससे किसी अन्य को स्वाइन फ्लू ना हो. सही समय पर सही उपचार स्वाइन फ्लू से बचाव का सबसे अहम उपाय है. उपचार में की गई देरी मरीज की जान भी ले सकती है.


डॉ.के के सोनी ने बताया कि स्वाइन फ्लू संक्रमित बीमारी है.स्वाइन फ्लू का इलाज है लेकिन इसके लिए आमजन में जागरूकता होना भी उतना ही जरूरी है जितना कि उपचार. इस बीमारी में जरा सी सावधानी से मरीज ना केवल बच सकता है बल्कि दूसरों को भी इस बीमारी से बचा सकता है. इसके लिए जरूरत है सर्दी-खांसी और जुकाम होने पर चिकित्सक से उपचार ले.

Intro:अजमेर। पिछले कुछ सालों में राजस्थान में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़े हैं उनमें अजमेर भी अछूता नहीं रहा है। स्वाइन फ्लू जानलेवा बीमारी है लेकिन यदि समय रहते इसका उपचार हो जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है सबसे महत्वपूर्ण है इस बीमारी को लेकर जागरूकता की ईटीवी भारत की मुहिम के तहत अजमेर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ केके सोनी से हमने स्वाइन फ्लू के लक्षण और बचाव से संबंधित बातचीत की।

स्वाइन फ्लू को लेकर सबसे जरूरी है कि लोग इस से डरे नहीं बल्कि सही समय पर सही उपचार ले। अजमेर के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ केके शर्मा ने बताया कि स्वाइन फ्लू के लक्षण के लिए तीन केटेगरी है जिसके अंतर्गत मरीज में लक्षण रखे जाते हैं और उन्हीं लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज किया जाता है। स्वाइन फ्लू के लक्षणों में शुरुआती केटेगरी ए है। इसमें मरीज को जुखाम बुखार होता है। साधारण सा जो काम और बुखार में जरूरी यह है कि इसको हल्के में ना लें। सबसे पहले तो भीड़भाड़ वाली जगहों से परहेज करें। खुद चिकित्सक ना बने। चिकित्सक से परामर्श और उपचार ले। इसके बाद स्वाइन फ्लू के लक्षण बी वन और बी टू है। बी 1 कैटेगरी में सर्दी, जुखाम बुखार का प्रभाव मरीज में ज्यादा होता है। बी 2 कैटेगरी में पांच साल से कम उम्र के बच्चे और साठ साल की उम्र से अधिक व्यक्ति और गर्भवती महिलाएं ज्यादा प्रभावित होते है। वही बी 1 कैटेगरी के लक्षणों के साथ जो मरीज इनमें क्रोनिक बीमारियों जैसे डाइबिटीज, हाइपर टेंशन, हाई ब्लड प्रेशर, दिल के रोगी, अस्थमा से पीड़ित है उनके लिए बी 2 के बाद सी कैटेगरी हाई रिस्क केटेगरी है।

स्वाइन फ्लू संक्रमित बीमारी है। जरा सी सावधानी से ना केवल मरीज बच सकता है बल्कि दूसरों को भी इस बीमारी से बचा सकता है इसके लिए जरूरत है सर्दी खांसी जुकाम होने पर चिकित्सक से उपचार ले वही मरीज ए कैटेगरी में आने के बाद नाक पर रुमाल या कपड़ा लगाकर रखें जिससे किसी अन्य को स्वाइन फ्लू ना हो। सही समय पर सही उपचार स्वाइन फ्लू से बचाव का सबसे अहम उपाय है। उपचार में की गई देरी मरीज की जान भी ले सकती है। स्वाइन फ्लू का इलाज है लेकिन इसके लिए आमजन में जागरूकता होना भी उतना ही जरूरी है जितना कि उपचार।

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Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


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