अजमेर. दुनिया भर में भारतीय युवा शक्ति का नेतृत्व करने वाले स्वामी विवेकानंद का जुड़ाव अजमेर से भी रहा है. अप्रैल और अक्टूबर 1891 में उन्होंने राजस्थान के अलवर और अजमेर में प्रवास किया था. प्रथम प्रवास के दौरान स्वामी विवेकानंद 28 फरवरी 1891 को अलवर आए थे.
स्वामी विवेकानंद अलवर से जयपुर होते हुए किशनगढ़ और फिर अजमेर आए. यहां पर उन्होंने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और प्राचीन महल राजकीय संग्रहालय को देखा और बाद में तीर्थ नगरी पुष्कर और ब्रह्मा जी सावित्री मंदिर के दर्शन किए. पुष्कर से वे पैदल चलते हुए आबू पर्वत पहुंचे थे और वहां उन्होंने नक्की झील के ऊपर एक छोटी सी गुफा में ध्यान साधना भी की थी.
पढ़ें- वेद सुशासन के सिद्धांतों का खजाना है, वैदिक ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाए: CM गहलोत
किशनगढ़, खेतड़ी और आसपास के आर्य समाज, जिसमें हरविलास शारदा भी मौजूद थे उनसे कई बार स्वामी विवेकानंद ने मुलाकात की थी. हरविलास शारदा तब मेंयो कॉलेज में पढ़ाते थे. वेदांत संस्कृत और सामाजिक विकास पर इनके मध्य आपस में खूब चर्चाएं होती थी. देशभक्ति के प्रति विचारों का जागरण भी स्वामी विवेकानंद का ही देन माना जाता है.
स्वामी विवेकानंद ने पूरे भारत में भ्रमण कर युवा शक्ति को जागृत करने का प्रयास किया था. देशभर में आधुनिक वैचारिक क्रांति का श्रेय भी स्वामी विवेकानंद को ही जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिकागो में आयोजित 1891 की विश्व बौद्धिक सम्मेलन जिसमें विश्वभर के सभी विद्वानों ने भाग लिया था स्वामी विवेकानंद ने भारत की तरफ से उसमें भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
स्वामी विवेकानंद अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की आज्ञा से भारत भर में ज्ञान, विचार, शिक्षा जागृति आदि गुणों से युवाओं को प्रेरित करने का कार्य किया करते थे. अजमेर के कई आंदोलन जिसमें शारदा एक्ट, स्वतंत्रता संग्राम आदि की प्रेरणा भी स्वामी विवेकानंद से ही मिलना बताया जाता है.