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Special: परंपरागत खेती छोड़ नर्सरी उद्योग से 20 गुना कमाई करने वाले किसान की कहानी...

पुष्कर के मनोहर लाल महावर ने परंपरागत खेती को छोड़कर नर्सरी की तरफ रुख किया. वो आज कई तरह के फल, फूलों और सब्जियों की उत्तम पौध अपने यहां तैयार कर रहे हैं. महावर नर्सरी से 20 गुना कमाई कर रहे हैं. पुष्कर में नर्सरी उद्योग एक हब की तरह विकसित हो रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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पुष्कर का नर्सरी उद्योग
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Published : Mar 14, 2021, 10:57 PM IST

अजमेर. तीर्थ नगरी पुष्कर में नर्सरी उद्योग एक हब की तरह विकसित हो गया है. पारंपरिक खेती को छोड़कर किसान नर्सरी उद्योग से लाखों कमा रहे हैं. खास बात यह कि ठंडे प्रदेश में मिलने वाले फलों की पौध भी मरुप्रदेश में मिल रही है. ईटीवी भारत ने मॉडल के रूप में उभरी पुष्कर की कृष्णा नर्सरी के मालिक मनोहर लाल माहवार से खास बातचीत की.

पढ़ें: किसानों पर कहर: खड़ी फसलों को 'खा' गए ओले, तो अतिवृष्टि ने अरमानों पर फेरा पानी...अब मुआवजे की आस

प्रदेश में सबसे बड़ा नर्सरी उद्योग पुष्कर में स्थापित हो गया है. फल, सब्जी एवं फूलों की एक हजार से ज्यादा किस्में पुष्कर की नर्सरियों में मिलती हैं. इतना ही नही ठंडे प्रदेशों का फल सेब और चीड़ के वृक्ष तो कलकत्ता का हजारा फूल, आड़ू, नासपत्ति और आलू बुखारे की पौध भी इन नर्सरियों में बिकती है. पुष्कर में 35 नर्सरियां है. जिनमें 10 रुपए से लेकर 8 हजार रुपए तक के पौधे मिलते हैं. इन नर्सरियों से एक वर्ष में एक करोड़ से भी ज्यादा पौधे बिक जाती है.

मनोहर लाल महावर पार्ट -1

पुष्कर से पौध ले जाकर राजस्थान के दूसरे जिलों में भी बेची जा रही है. वहीं तीर्थ नगरी पुष्कर दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने साथ पौधे भी ले जाते हैं. पारंपरिक खेती को छोड़कर नर्सरी उद्योग से जुड़ने वाले किसानों की आमदनी 20 गुना हो गई है. नर्सरी उद्योग से जुड़े किसानों का कहना है खेती से ज्यादा आमदनी बगीचा लगाने में है. पुष्कर में नर्सरी उद्योग का क्रेज दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है. देव नगर रोड पर चित्रकूट धाम के नजदीक कृष्णा नर्सरी के मालिक मनोहर लाल महावर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

पढ़ें: Exclusive: भाजपा ने उपचुनाव को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली है, बस तारीखों का इंतजार है: सतीश पूनिया

मनोहर लाल महावर ने बताया कि पुष्कर की जलवायु, मिट्टी नर्सरी के लिए उपयुक्त है. वो 2000 से नर्सरी उद्योग से जुड़े हैं. किसान होने के नाते उन्हें पौधों के बारे में जानकारी थी. उन्होंने कृषि विभाग की उद्यान इकाई से प्रशिक्षण लिया और नर्सरी शुरू की. इसके लिए उन्हें सब्सिडी भी मिली. महावर को गवर्नमेंट से विभिन्न किस्मों की पौध तैयार करने का टेंडर भी मिला. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी 25 बीघा जमीन पर नर्सरी तैयार कर ली.

मनोहर लाल महावर पार्ट -2

किसानों को होता है फायदा

उन्होंने बताया कि पुष्कर की नर्सरी में सेब, आड़ू, संतरा, आलू बुखारा, थाई एपल, बड़े बेर, जामुन, शहतूत, आंवला,नारियल, खजूर सहित कई फलों के पौधे हैं. हाइब्रिड और ग्राफ्टिंग पौध से किसानों को ज्यादा मुनाफा मिल रहा है. पहले पौधों को पेड़ बनकर फल देने में 5 से 6 वर्ष लगते थे. वहीं अब डेढ़ वर्ष में फल मिल जाते हैं. बल्कि फल के लिए पौधों को पेड़ बनने का भी इंतजार नहीं करना पड़ता. इसी प्रकार फलों के अलावा सब्जियां और फूल की भी कई किस्में नर्सरियों में उपलब्ध हैं. डेकोरेशन पौधों की पौध भी नर्सरी में मिलती है.

बड़े पौधों के मिलते हैं ज्यादा पैसे

मनोहर लाल ने खुद की कृष्णा नर्सरी खोल रखी है. उन्होंने बताया कि नर्सरी उद्योग से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं है. अगर पौधे नहीं भी बिकते हैं तो उनकी कीमत घटती नहीं है. बल्कि पौधे बड़े होने पर ज्यादा कीमत मिलती है. उन्होंने बताया कि कई जिलों में बेचने के लिए थोक से पौधे पुष्कर की नर्सरियों से ले जाए जाते हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों में भी पौधे बिकने के लिए जाते हैं. साल में 10 लाख पौधे तक वो बेच देते हैं.

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महावर ने सन 2000 में नर्सरी की शुरुआत की थी

महावर ने अपनी नर्सरी के काम के लिए 25 मजदूरों को रखा हुआ है. नर्सरी उद्योग से काफी लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. वहीं पर्यावरण को भी फायदा हो रहा. इतना ही नहीं नर्सरी उद्योग से जुड़े लोग 20 गुना मुनाफा कमा रहे हैं. पुष्कर की नर्सरी पौधे खरीदकर बड़े शहरों में छोटी-छोटी नर्सरियां लगाकर कर भी लोग अच्छा कमा रहे हैंय किसानों की आमदनी बढ़े इसके लिए नर्सरी और बगीचा लगाने के लिए राज्य सरकार भी बढ़ावा दे रही है. साथ ही बगीचे के लिए फल सब्जियों और फूलों की ऐसी किस्में भी आ गई हैं जो कम समय मे ज्यादा उत्पादन देती हैं.

अजमेर. तीर्थ नगरी पुष्कर में नर्सरी उद्योग एक हब की तरह विकसित हो गया है. पारंपरिक खेती को छोड़कर किसान नर्सरी उद्योग से लाखों कमा रहे हैं. खास बात यह कि ठंडे प्रदेश में मिलने वाले फलों की पौध भी मरुप्रदेश में मिल रही है. ईटीवी भारत ने मॉडल के रूप में उभरी पुष्कर की कृष्णा नर्सरी के मालिक मनोहर लाल माहवार से खास बातचीत की.

पढ़ें: किसानों पर कहर: खड़ी फसलों को 'खा' गए ओले, तो अतिवृष्टि ने अरमानों पर फेरा पानी...अब मुआवजे की आस

प्रदेश में सबसे बड़ा नर्सरी उद्योग पुष्कर में स्थापित हो गया है. फल, सब्जी एवं फूलों की एक हजार से ज्यादा किस्में पुष्कर की नर्सरियों में मिलती हैं. इतना ही नही ठंडे प्रदेशों का फल सेब और चीड़ के वृक्ष तो कलकत्ता का हजारा फूल, आड़ू, नासपत्ति और आलू बुखारे की पौध भी इन नर्सरियों में बिकती है. पुष्कर में 35 नर्सरियां है. जिनमें 10 रुपए से लेकर 8 हजार रुपए तक के पौधे मिलते हैं. इन नर्सरियों से एक वर्ष में एक करोड़ से भी ज्यादा पौधे बिक जाती है.

मनोहर लाल महावर पार्ट -1

पुष्कर से पौध ले जाकर राजस्थान के दूसरे जिलों में भी बेची जा रही है. वहीं तीर्थ नगरी पुष्कर दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने साथ पौधे भी ले जाते हैं. पारंपरिक खेती को छोड़कर नर्सरी उद्योग से जुड़ने वाले किसानों की आमदनी 20 गुना हो गई है. नर्सरी उद्योग से जुड़े किसानों का कहना है खेती से ज्यादा आमदनी बगीचा लगाने में है. पुष्कर में नर्सरी उद्योग का क्रेज दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है. देव नगर रोड पर चित्रकूट धाम के नजदीक कृष्णा नर्सरी के मालिक मनोहर लाल महावर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

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मनोहर लाल महावर ने बताया कि पुष्कर की जलवायु, मिट्टी नर्सरी के लिए उपयुक्त है. वो 2000 से नर्सरी उद्योग से जुड़े हैं. किसान होने के नाते उन्हें पौधों के बारे में जानकारी थी. उन्होंने कृषि विभाग की उद्यान इकाई से प्रशिक्षण लिया और नर्सरी शुरू की. इसके लिए उन्हें सब्सिडी भी मिली. महावर को गवर्नमेंट से विभिन्न किस्मों की पौध तैयार करने का टेंडर भी मिला. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी 25 बीघा जमीन पर नर्सरी तैयार कर ली.

मनोहर लाल महावर पार्ट -2

किसानों को होता है फायदा

उन्होंने बताया कि पुष्कर की नर्सरी में सेब, आड़ू, संतरा, आलू बुखारा, थाई एपल, बड़े बेर, जामुन, शहतूत, आंवला,नारियल, खजूर सहित कई फलों के पौधे हैं. हाइब्रिड और ग्राफ्टिंग पौध से किसानों को ज्यादा मुनाफा मिल रहा है. पहले पौधों को पेड़ बनकर फल देने में 5 से 6 वर्ष लगते थे. वहीं अब डेढ़ वर्ष में फल मिल जाते हैं. बल्कि फल के लिए पौधों को पेड़ बनने का भी इंतजार नहीं करना पड़ता. इसी प्रकार फलों के अलावा सब्जियां और फूल की भी कई किस्में नर्सरियों में उपलब्ध हैं. डेकोरेशन पौधों की पौध भी नर्सरी में मिलती है.

बड़े पौधों के मिलते हैं ज्यादा पैसे

मनोहर लाल ने खुद की कृष्णा नर्सरी खोल रखी है. उन्होंने बताया कि नर्सरी उद्योग से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं है. अगर पौधे नहीं भी बिकते हैं तो उनकी कीमत घटती नहीं है. बल्कि पौधे बड़े होने पर ज्यादा कीमत मिलती है. उन्होंने बताया कि कई जिलों में बेचने के लिए थोक से पौधे पुष्कर की नर्सरियों से ले जाए जाते हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों में भी पौधे बिकने के लिए जाते हैं. साल में 10 लाख पौधे तक वो बेच देते हैं.

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महावर ने सन 2000 में नर्सरी की शुरुआत की थी

महावर ने अपनी नर्सरी के काम के लिए 25 मजदूरों को रखा हुआ है. नर्सरी उद्योग से काफी लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. वहीं पर्यावरण को भी फायदा हो रहा. इतना ही नहीं नर्सरी उद्योग से जुड़े लोग 20 गुना मुनाफा कमा रहे हैं. पुष्कर की नर्सरी पौधे खरीदकर बड़े शहरों में छोटी-छोटी नर्सरियां लगाकर कर भी लोग अच्छा कमा रहे हैंय किसानों की आमदनी बढ़े इसके लिए नर्सरी और बगीचा लगाने के लिए राज्य सरकार भी बढ़ावा दे रही है. साथ ही बगीचे के लिए फल सब्जियों और फूलों की ऐसी किस्में भी आ गई हैं जो कम समय मे ज्यादा उत्पादन देती हैं.

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