अजमेर. कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन में गरीब वर्ग के लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से खाद्य सामग्री मिलते रहने के उद्देश्य से राशन की दुकानें खोली गईं. मगर ये राशन उन्हीं लोगों को मिल पा रहा है, जिनके मोबाइल नम्बर पंजीकृत हैं. यानी मोबाइल पर ओटीपी आए तो राशन मिले. ये ओटीपी उन लोगों के लिए मुसीबत बन गया है, जिनकी मोबाइल सिम किसी न किसी कारणवश बंद हो गई है.
ऐसे में ओटीपी के अभाव में उन लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत उचित मूल्य की दुकानों पर गरीब वर्ग के लोगों को बायोमेट्रिक आधार पर राशन मिला करता था. मशीन पर अंगूठे के निशान लगाने पर व्यक्ति से संबंधित पंजीयन नंबर मशीन पर आ जाता था, चूंकि कोरोना वायरस के चलते संक्रमण न हो, इसलिए बायोमैट्रिक व्यवस्था बंद की गई है.
ओटीपी बना गरीबों के लिए मुसीबत
नई व्यवस्था के तहत व्यक्ति के पंजीयन के साथ दर्ज मोबाइल नंबर पर ओटीपी आने की व्यवस्था की गई है. लेकिन यही ओटीपी उन गरीब लोगों के लिए मुसीबत बन गई है, जिनके पास या तो मोबाइल नहीं है या फिर किसी न किसी कारणवश उनका सिम कार्ड बंद हो गया है. शहरी क्षेत्र में ये समस्या लॉकडाउन के दौरान कम और ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा आ रही है. जिले के रसद अधिकारी अंकित पचार की मानें तो जिले में ओटीपी की समस्या 40 फीसदी गरीब वर्ग के लोगों से जुड़ी हुई है.
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ऐसे में राशन विक्रेताओं को पास के जरिए राशन देने के लिए कहा गया है. साथ ही दुकानदारों को राशन लेने वाले का नाम, पता सहित उसके हस्ताक्षर रजिस्टर में दर्ज करने के लिए कहा गया है.
इस समस्या के निस्तारण की मांग कर चुके हैं कई सरपंच
दूसरी ओर इस समस्या के निस्तारण की मांग कई सरपंच कर चुके हैं. सरपंचों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब अनपढ़ लोग मोबाइल का इस्तेमाल नहीं जानते हैं. लिहाजा पंजीयन के वक्त उन्होंने मोबाइल नंबर तो दे दिए, लेकिन ऐसे कई लोग हैं, जिनके पास सिम कार्ड बंद हो चुके हैं. ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा योजना के तहत इस विकट स्थिति में मिलने वाले राशन से वो वंचित हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र के राशन विक्रेताओं को भी डर है कि बिना ओटीपी के उन्होंने राशन दिया तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है. यही वजह है कि हजारों लोगों को सरकार की योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है.
अजमेर ग्रामीण पंचायत समिति के घुघरा ग्राम पंचायत के सरपंच पति अमित भंसाली ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच अपने निजी प्रयासों से लोगों को भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं, लेकिन ये नाकाफी है. गांव में जनसंख्या बड़ी है, ऐसे में सभी लोगों तक भोजन उपलब्ध करवाना नामुमकिन है. उन्होंने बताया कि ओटीपी की वजह से गरीब वर्ग के लोगों को राशन नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी हालत विकट हो गई है.
कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने की थी ओटीपी की व्यवस्था
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गरीबों को मिलने वाले राशन में किसी तरह की कालाबाजारी ना हो, इसके लिए सरकार ने ओटीपी की व्यवस्था की है. कई लोगों के पास विभिन्न परिस्थितियों के कारण ओटीपी नहीं होने की वजह से उन्हें राशन से वंचित होना पड़ रहा है. रसद विभाग राशन विक्रेताओं को बाईपास व्यवस्था से राशन उपलब्ध करवाने के लिए कह रहा है, लेकिन कार्रवाई के डर से ग्रामीण क्षेत्रों में राशन विक्रेता बिना ओटीपी के राशन देने से कतरा रहे हैं.