अजमेर. देशभर में कोरोना संक्रमण के चलते विद्यार्थियों के लिए राजस्थान सरकार ने स्माइल प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. इसमें विद्यार्थियों के अध्ययन से जुड़ी सामग्री उन तक पहुंचाई जा रही है. दरअसल, ग्रीष्मकालीन अवकाश और कोरोना प्रहार के चलते स्कूलों को भी बंद किया गया है. इससे विद्यार्थी अध्ययन से दूर ना रहे, इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से कड़े प्रयास किए जा रहे हैं.
आखिर क्या है Smile Project
स्माइल प्रोजेक्ट (सोशल मीडिया इंटरफेस लर्निंग एंगेजमेंट) जिसके तहत विद्यार्थियों को व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर उसमें अध्ययन से जुड़ी सामग्री भेजी जाएगी, जिससे बच्चों को अध्ययन करने में काफी आसानी होगी. व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से विद्यार्थी उसमें वाद-संवाद भी कर सकते है. शिक्षा मंत्री डटोसरा की पहल के बाद राजस्थान में पहली बार लॉकडाउन के बीच सकारात्मक पहल को साकार किया गया है.
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा वाणी कार्यक्रम
वहीं, शिक्षा विभाग ने अध्ययन से जुड़े रहने के लिए ग्रामीण इलाकों में भी शिक्षा वाणी कार्यक्रम को चलाया है. ग्रामीण छात्र और उनके अभिभावकों के पास महंगे और एंड्रॉयड फोन उपलब्ध नहीं होते, जिसके चलते ग्रामीण विद्यार्थियों को आकाशवाणी के माध्यम से अध्ययन कराया जा रहा है. विद्यार्थियों में शिक्षा का स्तर कम ना हो इसको लेकर शिक्षा विभाग की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
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ईटीवी भारत से खास बातचीत में शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक दीपचंद ने जानकारी देते हुए बताया कि स्टेट लेवल के जरिए ई-कंटेंट भेजा जा रहा है, जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है. शैक्षिक स्तर में किस तरह से सुधार किया जाए, उसके लिए भी प्रयास लगातार जारी है. साथ ही शिक्षा विभाग की ओर से तीन प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं, जिसमें स्माइल प्रोजेक्ट, शिक्षा वाणी और हवामहल प्रोजेक्ट को शुरू किया गया है.
यह प्रोजेक्ट विद्यार्थियो के लिए कितना कामगार
पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के अनुसार इस महामारी के समय शैक्षणिक व्यवस्था काफी चरमराई है, जिसके चलते ना ही विद्यार्थी और ना ही शिक्षक स्कूल जा पा रहे हैं. देवनानी ने केंद्रीय प्रसारण मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जिस तरह से उन्होंने राजस्थान सरकार को शिक्षा के लिए एक स्लॉट उपलब्ध कराया है. निश्चित रूप से इस स्लॉट के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में बच्चों को शिक्षा प्राप्त होगी. वह ऐसे समय का सदुपयोग करते हुए कुछ ना कुछ सीख पाएंगे.
वहीं, देवनानी ने कहा कि इस महामारी के कारण पहले की तरह कुछ भी संभव नहीं हो पाएगा. एक समय में बच्चे एक साथ कक्षा में नहीं बैठ पाएंगे. अब सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान लगातार रखा जाएगा, जहां अभी तो स्माइल प्रोजेक्ट और शिक्षा वाणी से काम चल रहा है. देवनानी ने शिक्षा मंत्री को सुझाव देते हुए कहा कि अगस्त और सितंबर महीने में 50 प्रतिशत बच्चों को एक दिन और 50 प्रतिशत बच्चों को दूसरे दिन विद्यालय में बुलाया जाए, साथ ही पाठ्यक्रम में कमी की जाए. इस तरह से ही बच्चों को अध्ययन देना होगा. इस पर शिक्षा मंत्री को विचार करने की जरूरत है.
ग्रामीण इलाकों में विद्यार्थियों को समस्या
एक तरफ शिक्षा विभाग की ओर से शहरी इलाकों में स्माइल प्रोजेक्ट और ग्रामीण इलाकों में शिक्षा वाणी कार्यक्रम तो शुरू कर दिया गया, लेकिन अभिभावकों की माने तो जिस तरह व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है और जिसमें शिक्षा विभाग की ओर से ई-कंटेंट भेजा जाता है, लेकिन उसमें विद्यार्थी वाद-संवाद नहीं कर सकता. वहीं, उस बच्चे को भेजे गए ई-कंटेंट के बारे में कितना समझ आया है या कितना समझ नहीं आया है, इसको लेकर कोई भी फीडबैक नहीं लिया जाता. अब ऐसा लग रहा है कि शिक्षा विभाग की ओर से केवल औपचारिकताएं पूरी की जा रही है.
वहीं, ग्रामीण इलाकों में तो कई परिवारों के पास रेडियो भी उपलब्ध नहीं है. अब ऐसे में वह विद्यार्थी कैसे अध्ययन कर पाएगा? शिक्षा वाणी कार्यक्रम तो शुरू कर दिया गया, लेकिन ग्रामीण इलाकों के सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की ओर से फीडबैक भी नहीं दिया जा रहा कि किसी विद्यार्थी को शिक्षा मिल भी पा रही है या नहीं. बस ऐसा लग रहा है कि कोरोना महामारी के चलते केवल मात्र औपचारिकताएं ही पूरी की जा रही है.