अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में प्रबंधन का कार्य देख रही दरगाह कमेटी के सदर सैयद शाहिद हुसैन रिजवी का बड़ा बयान सामने आया है. रिजवी ने कहा कि कुछ लोग अपने नाम के साथ चिश्ती लगाते हैं व भड़काऊ बयान Salman Chishti threatens Nupur Sharma) दे रहे हैं. ऐसे बयान चिश्तिया सिलसिले की रवायत के खिलाफ है. दरगाह कमेटी ने जांच कर रही एजेंसी से ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
दरगाह कमेटी के सदर सैयद शाहिद हुसैन रिजवी ने खादिम समुदाय के उन लोगों पर हमला बोला है (syed shahid hussain rizvi condemned) जो लोग भड़काऊ भाषण देकर माहौल खराब कर रहे हैं. रिजवी ने यहां तक कह दिया कि हाल ही में कुछ लोग जो चिश्ती अपने नाम के साथ लगाते हैं व हिंसा और हिंसा को बढ़ावा देने वाली पोस्ट और भड़काऊ बयान देते देखा गया है. यह चिश्तिया सिलसिले की रवायत के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी से जुड़े सभी लोग इस तरह के भड़काऊ भाषण देने वालों की निंदा करता है. उनका पुरजोर विरोध करता है. रिजवी ने कहा कि जैसे ही इस तरह के भड़काऊ बयानों के मामले संज्ञान में आए तब संबंधित एजेंसी को आग्रह किया गया कि ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय कानून के अंतर्गत कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि दरगाह सूफिज्म का बड़ा केंद्र है.
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यहां से हमेशा इंसानी मोहब्बत, भाईचारा, अमन और आपसी सौहार्द का प्रचार हुआ है और पैगाम दिया गया है. उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब को मानने वाले केवल मुसलमान ही नहीं हैं, बल्कि विभिन्न धर्मों के लोग भी ख्वाजा गरीब नवाज के अनुयायी हैं. ख्वाजा गरीब नवाज को मानने वाले केवल हिंदुस्तानी ही नहीं हैं, दुनिया के कोने कोने में ख्वाजा गरीब नवाज के अनुयायी हैं. रिजवी ने कहा कि हम ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वालों को यह पैगाम देते हैं और उन्हें यकीन दिलाते हैं कि ख्वाजा गरीब नवाज की शान इज्जत और चिश्तिया सिलसिले पर आंच नहीं आने देंगे.
दरगाह में खादिम समुदाय का यह है काम- विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल के रूप में देश और दुनिया में अपनी पहचान रखती है. 800 सालों से लोग ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में आते रहे हैं. दरगाह में आने वाले अकीदतमंदों को जियारत कराने का कार्य खादिम समुदाय का है. जियारत करवाने के अलावा खादिम समुदाय के लोग ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं का प्रसार भी करते हैं. दरगाह में हर मजहब जाति के लोग जियारत के लिए आते हैं. देश में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को सुफिज्म को सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है.
चिश्तिया रवायत- 800 साल पहले जब ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर आए थे. बताया जाता है कि मुसलमान होते हुए भी उन्होंने सभी धर्मों को सम्मान दिया. वहीं, इंसानियत का लोगों को पाठ पढ़ाया. बताया जाता है कि यहां आने के बाद से ख्वाजा गरीब नवाज ता उम्र फकीरों की तरह रहे, लेकिन उनके दर पर आने वाले किसी भी परेशान इंसान को राहत दिए बिना उसे जाने नहीं दिया. ख्वाजा गरीब नवाज ने मोहब्बत, सद्भाव और अमन का पैगाम दिया. यही वजह है कि 800 साल से बड़ी संख्या में गैर मुस्लिम दरगाह आ रहे हैं. यही वजह है कि दरगाह में चिश्तियां रिवायत (पारंपरा ) शुरू हुई. ख्वाजा गरीब नवाज के नाम के पीछे चिश्ती लगता है. यही सिलसिला बन गया. इंसानियत के लिए ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करना और उन्हें मानना चिश्तियां रवायत है. खादिम समुदाय के लोग भी अपने नाम के साथ चिश्ती लगाते हैं और चिश्ती रिवायत को आगे बढ़ा रहे हैं.