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हिंदी दिवस: कागजी आंकड़ों में तो है अव्वल... लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है..ठीक से दो शब्द भी नहीं लिख पाए बच्चे

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Published : Sep 13, 2019, 10:00 PM IST

राजभाषा हिंदी के विकास के लिए सरकार कई तरह के दावे करती आई है. वहीं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान का दसवीं और बारहवीं कक्षा के हिंदी विषय के मूल्यांकन का 5 साल का आंकड़ा भी सरकार के दावों को सहयोग करता है. मगर क्या वास्तव में बोर्ड के मूल्यांकन के आंकड़े और सरकारी दावे सही है. हिंदी दिवस पर ईटीवी भारत ने सरकारी स्कूलों में जाकर 10वीं और 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों के बीच वास्तविकता को जाना.

Reality test of school children, Hindi diwas

अजमेर. हिंदी हमारी राजभाषा है. हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है. ऐसे में राजभाषा हिंदी के विकास सरकारी दावों और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के हिंदी विषय के 5 वर्षों के मूल्यांकन के आंकड़ों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने सरकारी स्कूल में 10वीं और 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों को एक साथ बैठाया.

अजमेर में हिंदी दिवस पर स्कूली बच्चों का रियलिटी टेस्ट

दरअसल, इस वर्ष दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का मूल्यांकन बोर्ड करेगा. वहीं 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों का दसवीं कक्षा में बोर्ड मूल्यांकन कर चुका है. ईटीवी भारत की टीम ने उपस्थित विद्यार्थियों में से कुछ को उज्जवल, प्रज्वलित एवं सौंदर्य लिखने के लिए कहा. जिन विद्यार्थियों को लिखने के लिए कहा गया. उनमें से एक छात्रा सौंदर्य शब्द को सही लिख पाई, जबकि शेष विद्यार्थी उज्जवल और प्रज्वलित शब्दों को नहीं लिख पाए. यह हमारे लिए भी हैरान करने वाली बात थी कि 5 वर्षों का दसवीं और बारहवीं कक्षा का हिंदी विषय के मूल्यांकन का जो आंकड़ा बोर्ड से हमने लिया है. उन आंकड़ों को सही माने या जो धरातल पर विद्यार्थियों के बीच वास्तविकता सामने आई है वह सही है. आंकड़ों और जमीनी हकीकत में दिन रात का अंतर नजर आ रहा था. चलिए दसवीं और बारहवीं कक्षा के हिंदी विषय के मूल्यांकन के 5 वर्षों के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के आंकड़े भी देख लेते हैं.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरीः हिन्दी और Hindi पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल है : वरिष्ठ पत्रकार

माध्यमिक परीक्षा का हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )
वर्ष- प्रतिशत
2015- 93.87
2016- 95.52
2017- 96.31
2018- 95.71
2019- 96.26

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा का विज्ञान वर्ग में अनिवार्य विषय हिंदी का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )
2015- 99.72
2016- 99.64
2017- 99.80
2018- 99.65
2019- 99.61

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा वाणिज्य वर्ग में हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )
2015- 99.64
2016- 99.21
2017- 99.73
2018- 99.23
2019- 98.85

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा कला वर्ग में अनिवार्य हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )
2015- 98.37
2016- 97.56
2017- 99.04
2018- 97.92
2019- 97.00

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के यह आंकड़े अनिवार्य हिंदी विषय की परीक्षा दे चुके कुल विद्यार्थियों में से पास होने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा है यानी इन आंकड़ों के मुताबिक हिंदी अनिवार्य विषय में परीक्षा दे चुके विद्यार्थी हिंदी विषय में पारंगत हैं. जबकि जमीनी हकीकत आपके सामने हैं. सरकारी स्कूलों में 10वीं और 11वीं के विद्यार्थियों से लिखवाए गए शब्दों में अशुद्धियां हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अनिवार्य हिंदी विषय में बोर्ड का मूल्यांकन और हिंदी राजभाषा के विकास के सरकारी दावे कितने सही और कितने गलत है इसकी हकीकत सामने है.

पढ़ें- हिंदी दिवस : 2001 से 2011 में ढाई फीसदी बढ़ी हिंदी बोलने वालों की संख्या

बता दें कि राजभाषा हिंदी भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है. हिंदी भाषा दुनिया की तीसरी भाषा है जो सबसे ज्यादा बोली जाती है. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया था कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 1953 से भारत में 14 सितंबर को हर वर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. शिक्षा में हिंदी विषय को लेकर सही मूल्यांकन से ही राजभाषा हिंदी का विकास सही मायने में संभव है. आंकड़ों को वास्तविक हकीकत मान लेने से हिंदी दिवस को मनाने की सार्थकता पूरी नहीं हो जाती. सार्थकता पूरी हो सकती है जब जमीनी हकीकत भी सरकारी दावों और मूल्यांकन के आंकड़ों से मेल खाती हो.

अजमेर. हिंदी हमारी राजभाषा है. हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है. ऐसे में राजभाषा हिंदी के विकास सरकारी दावों और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के हिंदी विषय के 5 वर्षों के मूल्यांकन के आंकड़ों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने सरकारी स्कूल में 10वीं और 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों को एक साथ बैठाया.

अजमेर में हिंदी दिवस पर स्कूली बच्चों का रियलिटी टेस्ट

दरअसल, इस वर्ष दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का मूल्यांकन बोर्ड करेगा. वहीं 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों का दसवीं कक्षा में बोर्ड मूल्यांकन कर चुका है. ईटीवी भारत की टीम ने उपस्थित विद्यार्थियों में से कुछ को उज्जवल, प्रज्वलित एवं सौंदर्य लिखने के लिए कहा. जिन विद्यार्थियों को लिखने के लिए कहा गया. उनमें से एक छात्रा सौंदर्य शब्द को सही लिख पाई, जबकि शेष विद्यार्थी उज्जवल और प्रज्वलित शब्दों को नहीं लिख पाए. यह हमारे लिए भी हैरान करने वाली बात थी कि 5 वर्षों का दसवीं और बारहवीं कक्षा का हिंदी विषय के मूल्यांकन का जो आंकड़ा बोर्ड से हमने लिया है. उन आंकड़ों को सही माने या जो धरातल पर विद्यार्थियों के बीच वास्तविकता सामने आई है वह सही है. आंकड़ों और जमीनी हकीकत में दिन रात का अंतर नजर आ रहा था. चलिए दसवीं और बारहवीं कक्षा के हिंदी विषय के मूल्यांकन के 5 वर्षों के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के आंकड़े भी देख लेते हैं.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरीः हिन्दी और Hindi पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल है : वरिष्ठ पत्रकार

माध्यमिक परीक्षा का हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )
वर्ष- प्रतिशत
2015- 93.87
2016- 95.52
2017- 96.31
2018- 95.71
2019- 96.26

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा का विज्ञान वर्ग में अनिवार्य विषय हिंदी का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )
2015- 99.72
2016- 99.64
2017- 99.80
2018- 99.65
2019- 99.61

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा वाणिज्य वर्ग में हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )
2015- 99.64
2016- 99.21
2017- 99.73
2018- 99.23
2019- 98.85

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा कला वर्ग में अनिवार्य हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )
2015- 98.37
2016- 97.56
2017- 99.04
2018- 97.92
2019- 97.00

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के यह आंकड़े अनिवार्य हिंदी विषय की परीक्षा दे चुके कुल विद्यार्थियों में से पास होने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा है यानी इन आंकड़ों के मुताबिक हिंदी अनिवार्य विषय में परीक्षा दे चुके विद्यार्थी हिंदी विषय में पारंगत हैं. जबकि जमीनी हकीकत आपके सामने हैं. सरकारी स्कूलों में 10वीं और 11वीं के विद्यार्थियों से लिखवाए गए शब्दों में अशुद्धियां हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अनिवार्य हिंदी विषय में बोर्ड का मूल्यांकन और हिंदी राजभाषा के विकास के सरकारी दावे कितने सही और कितने गलत है इसकी हकीकत सामने है.

पढ़ें- हिंदी दिवस : 2001 से 2011 में ढाई फीसदी बढ़ी हिंदी बोलने वालों की संख्या

बता दें कि राजभाषा हिंदी भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है. हिंदी भाषा दुनिया की तीसरी भाषा है जो सबसे ज्यादा बोली जाती है. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया था कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 1953 से भारत में 14 सितंबर को हर वर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. शिक्षा में हिंदी विषय को लेकर सही मूल्यांकन से ही राजभाषा हिंदी का विकास सही मायने में संभव है. आंकड़ों को वास्तविक हकीकत मान लेने से हिंदी दिवस को मनाने की सार्थकता पूरी नहीं हो जाती. सार्थकता पूरी हो सकती है जब जमीनी हकीकत भी सरकारी दावों और मूल्यांकन के आंकड़ों से मेल खाती हो.

Intro:विशेष:-

अजमेर। राजभाषा हिंदी के विकास के लिए सरकार कई तरह के दावे करती आई है वही माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान का दसवीं और बारहवीं कक्षा के हिंदी विषय के मूल्यांकन का 5 साल का आंकड़ा भी सरकार के दावों को सहयोग करता है मगर क्या वास्तव में बोर्ड के मूल्यांकन के आंकड़े और सरकारी दावे सही है हिंदी दिवस पर ईटीवी भारत ने सरकारी स्कूलों में जाकर 10वीं और 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों के बीच वास्तविकता को जाना।

राजभाषा हिंदी के विकास सरकारी दावों और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के हिंदी विषय के 5 वर्षों के मूल्यांकन के आंकड़ों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने सरकारी स्कूल में 10वीं और 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों को एक साथ बैठाया। दरअसल इस वर्ष दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का मूल्यांकन बोर्ड करेगा वही 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों का दसवीं कक्षा में बोर्ड मूल्यांकन कर चुका है। ईटीवी भारत की टीम ने उपस्थित विद्यार्थियों में से कुछ को उज्जवल प्रज्वलित एवं सौंदर्य लिखने के लिए कहा। जिन विद्यार्थियों को लिखने के लिए कहा गया उनमें से एक छात्रा सौंदर्य शब्द को सही लिख पाई जबकि शेष विद्यार्थी उज्जवल प्रज्वलित शब्दों को नहीं लिख पाए यह हमारे लिए भी हैरान करने वाली बात थी कि 5 वर्षों का दसवीं और बारहवीं कक्षा का हिंदी विषय के मूल्यांकन का जो आंकड़ा बोर्ड से हमने लिया है उन आंकड़ों को सही माने या जो धरातल पर विद्यार्थियों के बीच वास्तविकता सामने आई है वह सही है। आंकड़ों और जमीनी हकीकत में दिन रात का अंतर नजर आ रहा था।

चलिए दसवीं और बारहवीं कक्षा के हिंदी विषय के मूल्यांकन के 5 वर्षों के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के आंकड़े भी देख लेते हैं।

माध्यमिक परीक्षा का हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )

वर्ष- प्रतिशत
2015- 93.87

2016- 95.52

2017- 96.31

2018- 95.71

2019- 96.26

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा का विज्ञान वर्ग में अनिवार्य विषय हिंदी का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )

2015- 99.72

2016- 99.64

2017- 99.80

2018- 99.65

2019- 99.61

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा वाणिज्य वर्ग में हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )

2015- 99.64

2016- 99.21

2017- 99.73

2018- 99.23

2019- 98.85

सीनियर सेकेंडरी परीक्षा कला वर्ग में अनिवार्य हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम ( नियमित व स्वयंपाठी )

2015- 98.37

2016- 97.56

2017- 99.04

2018- 97.92

2019- 97.00

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के यह आंकड़े अनिवार्य हिंदी विषय की परीक्षा दे चुके कुल विद्यार्थियों में से पास होने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा है यानी इन आंकड़ों के मुताबिक हिंदी अनिवार्य विषय में परीक्षा दे चुके विद्यार्थी हिंदी विषय में पारंगत हैं जबकि जमीनी हकीकत भी आपके सामने हैं सरकारी स्कूलों में 10वीं और 11वीं के विद्यार्थियों से लिखवाए गए शब्दों में अशुद्धियां हैं ऐसे में सवाल यह उठता है कि अनिवार्य हिंदी विषय में बोर्ड का मूल्यांकन और हिंदी राजभाषा के विकास के सरकारी दावे कितने सही और कितने गलत है इसकी हकीकत सामने है।


बता दें कि राजभाषा हिंदी भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है। हिंदी भाषा दुनिया की तीसरी भाषा है जो सबसे ज्यादा बोली जाती है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया था कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 1953 से भारत में 14 सितंबर को हर वर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। शिक्षा में हिंदी विषय को लेकर सही मूल्यांकन से ही राजभाषा हिंदी का विकास सही मायने में संभव है। महेश बाबू और आंकड़ों को वास्तविक हकीकत मान लेने से हिंदी दिवस को मनाने की सार्थकता पूरी नहीं हो जाती। सार्थकता पूरी हो सकती है जब जमीनी हकीकत भी सरकारी दावों और मूल्यांकन के आंकड़ों से मेल खाती हो।


Body:प्रियंक शर्मा
अजमेर


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