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अजमेर में उत्तर भारत का पहला कॉलेज, 186 साल पुराना है इतिहास

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Published : Aug 20, 2022, 9:29 AM IST

Updated : Aug 20, 2022, 11:52 AM IST

अजमेर का सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय राजस्थान ही नहीं बल्कि उत्तर भारत का सबसे पुराना और बड़ा कॉलेज है. 2014 से पहले जीसीए कॉलेज के नाम से विख्यात था. संस्थान के कई छात्र नेताओं ने खुद को देश की राजनीति में बेहतरीन तरीके से खुद को स्थापित किया है. पीएम नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी इसी कॉलेज के पास आउट हैं.

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अजमेर. देश में जब अंग्रेजी हुकूमत थी उस वक्त भी अजमेर की पहचान शिक्षा नगरी के रूप में उभरने लगी थी. Industrialization के उस दौर में रेल कारखानों की स्थापना की गई फिर लोगों की बसाहट के साथ कई शिक्षण संस्थाएं खोली गईं. इनमें ही शुमार है जीसीए कॉलेज. जिसका इतिहास गौरवशाली है. उस दौर में इस कॉलेज में पढ़ना फक्र की बात थी. कई रियासतों के राजकुमार इसी कॉलेज में पढ़े. कई विद्यार्थी ऐसे भी रहे जिन्होंने खेलकूद, व्यापार, राजनीति, प्रशासनिक सेवा, सेना और पुलिस महकमे में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. छात्रसंघ ने भी समय समय पर अपना दायित्व सफलतापूर्वक निभाया.

जीसीए कॉलेज विशाल वट वृक्ष: 2014 में प्रदेश की भाजपा सरकार ने जीसीए कॉलेज का नाम बदलकर सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के नाम से कर दिया. कॉलेज में 22 विषयों में यूजी और 20 विषयों में पीजी में अध्ययन करवाया जा रहा है. कॉलेज में विद्यार्थियों की संख्या साढ़े 8 हजार से अधिक है. छात्र संघ चुनाव 2022 के मद्देनजर इस बार सात हजार 134 विद्यार्थियों को मतदाता बनने का अवसर मिला है. कई विषयों में दाखिला नहीं होने से इस बार विद्यार्थियों की संख्या कम रही है.

186 साल पुराना है इतिहास

छात्रसंघ चुनाव और छात्र: विद्यार्थियों की संख्या के मुताबिक सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय संभाग का सबसे बड़ा कॉलेज है. लिहाजा चुनावी सरगर्मियां यहां अन्य कॉलेज कैंपस की अपेक्षा ज्यादा रहती है. छात्र संघ चुनाव काफी रोचक और दिलचस्प होते हैं. छात्र संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई ने चुनाव को लेकर तैयारी पूरी कर ली है. निर्दलीय के रूप में भी ताल ठोकने के लिए कुछ विद्यार्थी तैयार है. 22 अगस्त को नामांकन दाखिल किए जाएंगे और 26 अगस्त को छात्र संघ चुनाव होंगे. छात्र संघ चुनाव 2022 के बीसीए कॉलेज के मीडिया प्रभारी आलोक चतुर्वेदी बताते है कि तैयारियां पूरी हैं. लिंगदोह समिति की सिफारिशों की पालना हो इस पर भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें-Student Union Election: चुनाव को लेकर अब सख्ती, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के तहत हुई कार्रवाई

जीसीए कॉलेज में छात्रसंघ: जीसीए कॉलेज के उत्तरोत्तर विकास में छात्र संघ की भी विशेष भूमिका रही है. शिक्षा के लिए छात्र संघ ने नागरिकों के सहयोग से समय-समय पर कॉलेज के विकास में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई. प्राचार्य उपाध्याय ने बताया कि 17 फरवरी 1868 को जीसीए कॉलेज के नए भवन की आधारशिला नागरिकों से एकत्रित 17 हजार रुपए की धनराशि से रखी गई थी. छात्र संघ के वित्तीय सहयोग से स्पोर्ट्स पवेलियन का निर्माण कॉलेज में हुआ. पूर्ण कॉलेज बनाने में 1896 में छात्रसंघ के डोनेशन का भी बड़ा हाथ है.

जीसीए कॉलेज का इतिहास: मई 1836 में उत्तर भारत का प्रथम अंग्रेजी स्कूल अजमेर में शुरू हुआ था. बताया जाता है कि उत्तर पश्चिमी प्रांत के गवर्नर जेम्स थॉमसन का अजमेर में कॉलेज खोलने का था. समय बीतने के साथ उन्होंने इस पर काम किया. धीरे धीरे स्कूल को ही कॉलेज की दहलीज तक ले आए. कहानी कुछ यूं है कि 1851 में स्कूल का पुनर्गठन किया गया. 1861 में हाईस्कूल के रूप में इसे क्रमोन्नत किया गया. 1868 में वापस एफ.ए. स्तर पर कोलकाता विश्वविद्यालय से संबद्धता प्रदान कर इसे क्रमोन्नति मिली.

ये भी पढ़ें-कोटा यूनिवर्सिटी ने घोषित किए सेमेस्टर एग्जाम की तारीख, विद्यार्थियों ने किया विरोध

ये भी पढ़ें-छात्रसंघ चुनाव 26 को, 17 अगस्त से आचार संहिता होगी लागू

पढें- शहर को बदरंग करने वाले छात्र नेताओं पर FIR, सख्त कार्रवाई पर नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

विरोध भी हुआ था!: कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सुधीर उपाध्याय बताते हैं कि 17 फरवरी 1968 को उसके नवीन भवन का शिलान्यास ए. जी.जी राजपूताना कर्नल कीटिंग ने किया. नवनिर्मित भवन का उद्घाटन गवर्नर जनरल और वायसरॉय लॉर्ड मेयो ने किया था. राजा महाराजाओं के पुत्रों के लिए अलग से कॉलेज बनाने की मेयो की घोषणा का जीसीए के प्राचार्य गोल्डिंग ने विरोध भी किया था.

और 2 से बढ़ा कारवां: 1869 में जीसीए के 2 छात्र कोलकाता विश्वविद्यालय के f.a. परीक्षा में उत्तीर्ण हुए. पंडित जियालाल, अमोलकचंद, मौलवी मोहम्मद हुसैन, पंडित शिवनारायण जैसे समर्पित और प्रतिष्ठित शिक्षकों के नाम से जीसीए कॉलेज विख्यात था. बताया जाता है कि एफ.ए. परीक्षा के लिए भाषा, इतिहास, गणित, रेखा गणित, मैकेनिक्स, तर्कशास्त्र, मनोविज्ञान और रसायन शास्त्र में से एक विषय पढ़ाए जाते थे.

अंग्रेजों के बाद रियासत काल: जीसीए कॉलेज ने अंग्रेज हुकूमत के साथ रियासत काल को भी देखा है. 1896 में जीसीए कॉलेज को इलाहाबाद विश्वविद्यालय और 1927 से आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध किया गया. 1912-13 के बाद कॉलेज से स्कूल की कक्षाएं नवीन भवन गवर्नमेंट हाई स्कूल तोपदड़ा में सम्मिलित की गई. तत्कालीन समय में राजपूताना अंचल के देसी राज्यों के राजकुमार भी अध्ययन के लिए यहां आते थे. इनमें जैसलमेर के राजकुमार चंद्रवीर सिंह, उदयपुर के राजकुमार महेंद्र सिंह, सिरोही के रघुवीर सिंह, जोधपुर के हनुमंत सिंह एवं स्वरूप सिंह और उदयपुर के अरविंद सिंह के नाम प्रमुख है.

छात्रसंघ का डोनेशन: 1896 में पूर्व छात्र संघ की ओर से 45 हजार रुपए की धन राशि प्रदान की गई तब जीसीए को स्नातक स्तर प्राप्त हुआ. 1913 में विज्ञान में स्नातक और 1946 में प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर कक्षाएं कॉलेज में शुरू हुईं तब से लगातार जीसीए कॉलेज विकास की ओर आगे बढ़ते हुए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.

पूर्व छात्रों ने खेलों में किया नाम रोशन: कॉलेज प्राचार्य सुधीर उपाध्याय ने बताया कि खेलों में कॉलेज के पूर्व छात्रों ने कई कीर्तिमान स्थापित किए और अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन से विभिन्न पुरस्कार प्राप्त किए. इनमें मंजरी भार्गव को गोताखोरी में अर्जुन पुरस्कार, तैराकी में रीमा दत्ता को अर्जुन पुरस्कार मिला. हनुमान सिंह को बास्केटबॉल में अर्जुन पुरस्कार, रिपु दान सिंह को द्रोणाचार्य पुरस्कार बास्केटबॉल में मिला. इनके अलावा विष्णु शर्मा, गंगा सिंह, परमजीत सिंह, जोरावर सिंह और हनुमान सिंह भारतीय ओलंपिक टीम के शीर्ष खिलाड़ी रह चुके हैं.

इन पूर्व छात्रों ने भी किया गौरवान्वित: बीसीए कॉलेज के पूर्व छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में जाकर सफलता के झंडे गाड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के न्यायाधीश नागेंद्र सिंह अजमेर जीसीए कॉलेज के ही पूर्व छात्र रहे हैं. वर्तमान में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव जीसीए कॉलेज के छात्र रहे है. कॉलेज के पूर्व छात्र अजय विक्रम सिंह देश के रक्षा सचिव के पद पर रहे हैं. वहीं वरिष्ठ आईएएस विवेक भारद्वाज, डॉ सुभाष गर्ग, राजस्थान के डीजीपी एवं आरपीएससी के अध्यक्ष रहे भूपेंद्र यादव जैसे अनगिनत आईएएस, आईपीएस, आरएएस के अलावा व्यापार, राजनीति सहित विभिन्न क्षेत्रों में पूर्व छात्रों ने अपना मुकाम बनाया है. वही कई पूर्व छात्रों ने विदेश में जाकर आपके प्रतिभा का लोहा मनवाया.

अजमेर के छात्र यूके में वाइस चांसलर: जीसीए कॉलेज के पूर्व छात्र अतुल्य के.नागर ने बताया कि जीसीए कॉलेज ट्रेडिशनल कॉलेज है. यहां शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी विद्यार्थियों को मिलते हैं जो व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक है. मुझे गर्व है कि मैं जीसीए कॉलेज का छात्र रहा हूं. फिलहाल इंग्लैंड में लिवरपूल हॉप यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर ( रिसर्च ) के पद पर हूं. जीसीए कॉलेज में पढ़ते हुए गणितज्ञ बनने का सपना देखा था वो सपना साकार हो गया. नागर अपने अंदाज में Alumni का मतलब बताते हैं. कहते हैं- इसका मतलब मेरे लिए नर्चरिंग मदर है. यानी मां जो अपने बच्चे को बड़े प्यार से पालती है और उसे बड़ा करती है. इस संस्थान ने भी यही किया. मुझे लगता है इस तरह के इंस्टीट्यूट होने चाहिए जहां विद्यार्थियों को संस्कार ( फॉरमेशन ) मिल सके. उन्होंने बताया कि लोग मुझसे पूछते है कि मेरी फॉरमेशन कहां हुआ तो मैं गर्व से कहता हूं कि मैं जीसीए कॉलेज का छात्र रहा हूं.

अजमेर. देश में जब अंग्रेजी हुकूमत थी उस वक्त भी अजमेर की पहचान शिक्षा नगरी के रूप में उभरने लगी थी. Industrialization के उस दौर में रेल कारखानों की स्थापना की गई फिर लोगों की बसाहट के साथ कई शिक्षण संस्थाएं खोली गईं. इनमें ही शुमार है जीसीए कॉलेज. जिसका इतिहास गौरवशाली है. उस दौर में इस कॉलेज में पढ़ना फक्र की बात थी. कई रियासतों के राजकुमार इसी कॉलेज में पढ़े. कई विद्यार्थी ऐसे भी रहे जिन्होंने खेलकूद, व्यापार, राजनीति, प्रशासनिक सेवा, सेना और पुलिस महकमे में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. छात्रसंघ ने भी समय समय पर अपना दायित्व सफलतापूर्वक निभाया.

जीसीए कॉलेज विशाल वट वृक्ष: 2014 में प्रदेश की भाजपा सरकार ने जीसीए कॉलेज का नाम बदलकर सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के नाम से कर दिया. कॉलेज में 22 विषयों में यूजी और 20 विषयों में पीजी में अध्ययन करवाया जा रहा है. कॉलेज में विद्यार्थियों की संख्या साढ़े 8 हजार से अधिक है. छात्र संघ चुनाव 2022 के मद्देनजर इस बार सात हजार 134 विद्यार्थियों को मतदाता बनने का अवसर मिला है. कई विषयों में दाखिला नहीं होने से इस बार विद्यार्थियों की संख्या कम रही है.

186 साल पुराना है इतिहास

छात्रसंघ चुनाव और छात्र: विद्यार्थियों की संख्या के मुताबिक सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय संभाग का सबसे बड़ा कॉलेज है. लिहाजा चुनावी सरगर्मियां यहां अन्य कॉलेज कैंपस की अपेक्षा ज्यादा रहती है. छात्र संघ चुनाव काफी रोचक और दिलचस्प होते हैं. छात्र संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई ने चुनाव को लेकर तैयारी पूरी कर ली है. निर्दलीय के रूप में भी ताल ठोकने के लिए कुछ विद्यार्थी तैयार है. 22 अगस्त को नामांकन दाखिल किए जाएंगे और 26 अगस्त को छात्र संघ चुनाव होंगे. छात्र संघ चुनाव 2022 के बीसीए कॉलेज के मीडिया प्रभारी आलोक चतुर्वेदी बताते है कि तैयारियां पूरी हैं. लिंगदोह समिति की सिफारिशों की पालना हो इस पर भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें-Student Union Election: चुनाव को लेकर अब सख्ती, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के तहत हुई कार्रवाई

जीसीए कॉलेज में छात्रसंघ: जीसीए कॉलेज के उत्तरोत्तर विकास में छात्र संघ की भी विशेष भूमिका रही है. शिक्षा के लिए छात्र संघ ने नागरिकों के सहयोग से समय-समय पर कॉलेज के विकास में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई. प्राचार्य उपाध्याय ने बताया कि 17 फरवरी 1868 को जीसीए कॉलेज के नए भवन की आधारशिला नागरिकों से एकत्रित 17 हजार रुपए की धनराशि से रखी गई थी. छात्र संघ के वित्तीय सहयोग से स्पोर्ट्स पवेलियन का निर्माण कॉलेज में हुआ. पूर्ण कॉलेज बनाने में 1896 में छात्रसंघ के डोनेशन का भी बड़ा हाथ है.

जीसीए कॉलेज का इतिहास: मई 1836 में उत्तर भारत का प्रथम अंग्रेजी स्कूल अजमेर में शुरू हुआ था. बताया जाता है कि उत्तर पश्चिमी प्रांत के गवर्नर जेम्स थॉमसन का अजमेर में कॉलेज खोलने का था. समय बीतने के साथ उन्होंने इस पर काम किया. धीरे धीरे स्कूल को ही कॉलेज की दहलीज तक ले आए. कहानी कुछ यूं है कि 1851 में स्कूल का पुनर्गठन किया गया. 1861 में हाईस्कूल के रूप में इसे क्रमोन्नत किया गया. 1868 में वापस एफ.ए. स्तर पर कोलकाता विश्वविद्यालय से संबद्धता प्रदान कर इसे क्रमोन्नति मिली.

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पढें- शहर को बदरंग करने वाले छात्र नेताओं पर FIR, सख्त कार्रवाई पर नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

विरोध भी हुआ था!: कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सुधीर उपाध्याय बताते हैं कि 17 फरवरी 1968 को उसके नवीन भवन का शिलान्यास ए. जी.जी राजपूताना कर्नल कीटिंग ने किया. नवनिर्मित भवन का उद्घाटन गवर्नर जनरल और वायसरॉय लॉर्ड मेयो ने किया था. राजा महाराजाओं के पुत्रों के लिए अलग से कॉलेज बनाने की मेयो की घोषणा का जीसीए के प्राचार्य गोल्डिंग ने विरोध भी किया था.

और 2 से बढ़ा कारवां: 1869 में जीसीए के 2 छात्र कोलकाता विश्वविद्यालय के f.a. परीक्षा में उत्तीर्ण हुए. पंडित जियालाल, अमोलकचंद, मौलवी मोहम्मद हुसैन, पंडित शिवनारायण जैसे समर्पित और प्रतिष्ठित शिक्षकों के नाम से जीसीए कॉलेज विख्यात था. बताया जाता है कि एफ.ए. परीक्षा के लिए भाषा, इतिहास, गणित, रेखा गणित, मैकेनिक्स, तर्कशास्त्र, मनोविज्ञान और रसायन शास्त्र में से एक विषय पढ़ाए जाते थे.

अंग्रेजों के बाद रियासत काल: जीसीए कॉलेज ने अंग्रेज हुकूमत के साथ रियासत काल को भी देखा है. 1896 में जीसीए कॉलेज को इलाहाबाद विश्वविद्यालय और 1927 से आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध किया गया. 1912-13 के बाद कॉलेज से स्कूल की कक्षाएं नवीन भवन गवर्नमेंट हाई स्कूल तोपदड़ा में सम्मिलित की गई. तत्कालीन समय में राजपूताना अंचल के देसी राज्यों के राजकुमार भी अध्ययन के लिए यहां आते थे. इनमें जैसलमेर के राजकुमार चंद्रवीर सिंह, उदयपुर के राजकुमार महेंद्र सिंह, सिरोही के रघुवीर सिंह, जोधपुर के हनुमंत सिंह एवं स्वरूप सिंह और उदयपुर के अरविंद सिंह के नाम प्रमुख है.

छात्रसंघ का डोनेशन: 1896 में पूर्व छात्र संघ की ओर से 45 हजार रुपए की धन राशि प्रदान की गई तब जीसीए को स्नातक स्तर प्राप्त हुआ. 1913 में विज्ञान में स्नातक और 1946 में प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर कक्षाएं कॉलेज में शुरू हुईं तब से लगातार जीसीए कॉलेज विकास की ओर आगे बढ़ते हुए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.

पूर्व छात्रों ने खेलों में किया नाम रोशन: कॉलेज प्राचार्य सुधीर उपाध्याय ने बताया कि खेलों में कॉलेज के पूर्व छात्रों ने कई कीर्तिमान स्थापित किए और अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन से विभिन्न पुरस्कार प्राप्त किए. इनमें मंजरी भार्गव को गोताखोरी में अर्जुन पुरस्कार, तैराकी में रीमा दत्ता को अर्जुन पुरस्कार मिला. हनुमान सिंह को बास्केटबॉल में अर्जुन पुरस्कार, रिपु दान सिंह को द्रोणाचार्य पुरस्कार बास्केटबॉल में मिला. इनके अलावा विष्णु शर्मा, गंगा सिंह, परमजीत सिंह, जोरावर सिंह और हनुमान सिंह भारतीय ओलंपिक टीम के शीर्ष खिलाड़ी रह चुके हैं.

इन पूर्व छात्रों ने भी किया गौरवान्वित: बीसीए कॉलेज के पूर्व छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में जाकर सफलता के झंडे गाड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के न्यायाधीश नागेंद्र सिंह अजमेर जीसीए कॉलेज के ही पूर्व छात्र रहे हैं. वर्तमान में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव जीसीए कॉलेज के छात्र रहे है. कॉलेज के पूर्व छात्र अजय विक्रम सिंह देश के रक्षा सचिव के पद पर रहे हैं. वहीं वरिष्ठ आईएएस विवेक भारद्वाज, डॉ सुभाष गर्ग, राजस्थान के डीजीपी एवं आरपीएससी के अध्यक्ष रहे भूपेंद्र यादव जैसे अनगिनत आईएएस, आईपीएस, आरएएस के अलावा व्यापार, राजनीति सहित विभिन्न क्षेत्रों में पूर्व छात्रों ने अपना मुकाम बनाया है. वही कई पूर्व छात्रों ने विदेश में जाकर आपके प्रतिभा का लोहा मनवाया.

अजमेर के छात्र यूके में वाइस चांसलर: जीसीए कॉलेज के पूर्व छात्र अतुल्य के.नागर ने बताया कि जीसीए कॉलेज ट्रेडिशनल कॉलेज है. यहां शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी विद्यार्थियों को मिलते हैं जो व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक है. मुझे गर्व है कि मैं जीसीए कॉलेज का छात्र रहा हूं. फिलहाल इंग्लैंड में लिवरपूल हॉप यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर ( रिसर्च ) के पद पर हूं. जीसीए कॉलेज में पढ़ते हुए गणितज्ञ बनने का सपना देखा था वो सपना साकार हो गया. नागर अपने अंदाज में Alumni का मतलब बताते हैं. कहते हैं- इसका मतलब मेरे लिए नर्चरिंग मदर है. यानी मां जो अपने बच्चे को बड़े प्यार से पालती है और उसे बड़ा करती है. इस संस्थान ने भी यही किया. मुझे लगता है इस तरह के इंस्टीट्यूट होने चाहिए जहां विद्यार्थियों को संस्कार ( फॉरमेशन ) मिल सके. उन्होंने बताया कि लोग मुझसे पूछते है कि मेरी फॉरमेशन कहां हुआ तो मैं गर्व से कहता हूं कि मैं जीसीए कॉलेज का छात्र रहा हूं.

Last Updated : Aug 20, 2022, 11:52 AM IST
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