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अजमेर नगर निगम चुनाव परिणाम : कांग्रेस को जबरदस्त झटका...महज 18 वार्ड जीत पाई कांग्रेस

नगर निगम चुनाव कांग्रेस को जबरदस्त झटका लगा है. कांग्रेस महज 18 वार्ड जीत पाई है. कांग्रेस के कई परंपरागत वार्ड भी कांग्रेस के हाथ से निकल गए. बताया जा रहा है कि कांग्रेस में भितरघात और गुटबाजी का नुकसान पार्टी को हुआ. चर्चा तो यह भी है कि कांग्रेस के स्थानीय बड़े नेताओ ने ही कांग्रेस को इस हाल में पहुंचाया है.

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अजमेर में कांग्रेस को झेलनी पड़ी करारी हार
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Published : Jan 31, 2021, 5:31 PM IST

अजमेर. अजमेर में नगर निगम चुनाव परिणाम में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शहरी मतदाताओं में कांग्रेस की पकड़ ढीली हो गई है. अजमेर उत्तर के 6 और दक्षिण क्षेत्र से 12 सीटें ही कांग्रेस जीत पाई जबकि 2015 में कांग्रेस ने 22 वार्ड जीते थे. इस लिहाज से कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. जबकि प्रदेश में कांग्रेस सत्तारूढ़ पार्टी है.

अजमेर में भाजपा का बनेगा बोर्ड, आपसी फूट बनी कांग्रेस की हार का कारण

इस बार कांग्रेस के पास नगर निगम में काबिज होने का काफी अच्छा मौका था. जानकारों का कहना है कि स्थानीय कांग्रेसियों की गुटबाजी नहीं कांग्रेस के जहाज को डुबो दिया. वर्चस्व की जंग स्थानीय कांग्रेस में इस कदर हावी हो गई कि अपनी ही पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ भितरघात हुई वरन पार्टी प्रत्याशियों को हराने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी भी उतारे गए.

इस कारण कांग्रेस के कई दिग्गज चुनावी मैदान में धराशायी हो गए. कांग्रेस के निवर्तमान शहर अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि पार्टी की हार की समीक्षा की जाएगी. जैन ने साफ कहा कि कांग्रेस प्रत्याशियों को हराने के लिए पार्टी के ही एक बड़े नेता ने दक्षिण क्षेत्र से हर वार्ड में उम्मीदवार उतारे थे. उन्होंने बताया कि गुटबाजी टिकट वितरण से पहले तक हो सकती है लेकिन जब पार्टी ने टिकट तय कर दिए हैं तो सभी का दायित्व होता है कि प्रत्याशियों को जिताये.

पढ़ें- प्रदेश के 90 निकाय चुनाव परिणाम में कांग्रेस के दिग्गज फेल या पास ? यहां जानें पूरा आकलन

लेकिन अजमेर दक्षिण और अजमेर उत्तर में पार्टी के ही बड़े नेता ने निर्दलीय प्रत्याशी उतारकर पार्टी को नुकसान पहुंचाया है. कांग्रेसी कम सीटें आने की यही वजह है. कैसे नेता और वार्डों में प्रत्याशियों के खिलाफ भितरघात करने वाले और बागियों की सूची प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपी जाएगी.

ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष आरिफ हुसैन, पूर्व पार्षद श्रवण टोनी की पत्नी रेखा टोनी, सेवादल के पूर्व संगठक विजय नागोरा, पूर्व पार्षद दीनदयाल, पूर्व पार्षद गणेश चौहान, पूर्व पार्षद सुनील कैन की पत्नी, महिला कांग्रेस की निवर्तमान प्रदेश सचिव मंजू बलाई, यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लोकेश शर्मा की पत्नी शोभा चौधरी, शहर कांग्रेस कमेटी में निवर्तमान सचिव रवि शर्मा, पूर्व पार्षद सुनील कैन की पत्नी नीता कैन, पूर्व पार्षद मुबारक चीता जैसे कई दिग्गजो को हार का सामना करना पड़ा.

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अजमेर में कांग्रेस को झेलनी पड़ी करारी हार

पार्टी में टिकट वितरण से लेकर चुनाव परिणाम तक स्थानीय कांग्रेस के नेता एकजुट नहीं दिखाई दिए. इस कारण धरातल पर कांग्रेस की कोई रणनीति नजर आई. कांग्रेस प्रत्याशी अपने ही लोगों से जूझते हुए नजर आए. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पूर्व 2015 में भी कांग्रेस पर गुटबाजी के आरोप लगे थे.

पढ़ें- राजसमंद निकाय चुनाव में कांग्रेस ने मारी बाजी, 18 सीटों पर सिमटी भाजपा

बता दें कि अजमेर नगर निगम चुनाव में जितना रोचक मुकाबला रहा है. उतने ही दिलचस्प परिणाम देखने को मिले हैं. नगर निगम में भाजपा का बोर्ड बना है. बोर्ड बनाने के लिए 80 में से 41 पार्षदों की जरूरत रहती है लेकिन बीजेपी के 48 पार्षद जीतकर आए हैं. कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है. कांग्रेस ने 18 वार्ड ही जीते. नगर निगम में विपक्ष की भूमिका में भी कांग्रेस कमजोर दिख रही है.

इधर 13 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज करवाई है. निकाय चुनाव में आरएलपी को भी एक वार्ड में जीत मिली है.

अजमेर. अजमेर में नगर निगम चुनाव परिणाम में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शहरी मतदाताओं में कांग्रेस की पकड़ ढीली हो गई है. अजमेर उत्तर के 6 और दक्षिण क्षेत्र से 12 सीटें ही कांग्रेस जीत पाई जबकि 2015 में कांग्रेस ने 22 वार्ड जीते थे. इस लिहाज से कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. जबकि प्रदेश में कांग्रेस सत्तारूढ़ पार्टी है.

अजमेर में भाजपा का बनेगा बोर्ड, आपसी फूट बनी कांग्रेस की हार का कारण

इस बार कांग्रेस के पास नगर निगम में काबिज होने का काफी अच्छा मौका था. जानकारों का कहना है कि स्थानीय कांग्रेसियों की गुटबाजी नहीं कांग्रेस के जहाज को डुबो दिया. वर्चस्व की जंग स्थानीय कांग्रेस में इस कदर हावी हो गई कि अपनी ही पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ भितरघात हुई वरन पार्टी प्रत्याशियों को हराने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी भी उतारे गए.

इस कारण कांग्रेस के कई दिग्गज चुनावी मैदान में धराशायी हो गए. कांग्रेस के निवर्तमान शहर अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि पार्टी की हार की समीक्षा की जाएगी. जैन ने साफ कहा कि कांग्रेस प्रत्याशियों को हराने के लिए पार्टी के ही एक बड़े नेता ने दक्षिण क्षेत्र से हर वार्ड में उम्मीदवार उतारे थे. उन्होंने बताया कि गुटबाजी टिकट वितरण से पहले तक हो सकती है लेकिन जब पार्टी ने टिकट तय कर दिए हैं तो सभी का दायित्व होता है कि प्रत्याशियों को जिताये.

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लेकिन अजमेर दक्षिण और अजमेर उत्तर में पार्टी के ही बड़े नेता ने निर्दलीय प्रत्याशी उतारकर पार्टी को नुकसान पहुंचाया है. कांग्रेसी कम सीटें आने की यही वजह है. कैसे नेता और वार्डों में प्रत्याशियों के खिलाफ भितरघात करने वाले और बागियों की सूची प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपी जाएगी.

ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष आरिफ हुसैन, पूर्व पार्षद श्रवण टोनी की पत्नी रेखा टोनी, सेवादल के पूर्व संगठक विजय नागोरा, पूर्व पार्षद दीनदयाल, पूर्व पार्षद गणेश चौहान, पूर्व पार्षद सुनील कैन की पत्नी, महिला कांग्रेस की निवर्तमान प्रदेश सचिव मंजू बलाई, यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लोकेश शर्मा की पत्नी शोभा चौधरी, शहर कांग्रेस कमेटी में निवर्तमान सचिव रवि शर्मा, पूर्व पार्षद सुनील कैन की पत्नी नीता कैन, पूर्व पार्षद मुबारक चीता जैसे कई दिग्गजो को हार का सामना करना पड़ा.

Ajmer Municipal Corporation Election Results,  BJP board in Ajmer,  Ajmer election result,  Ajmer Municipal Corporation Congress defeat,  Congress factionalism in Ajmer
अजमेर में कांग्रेस को झेलनी पड़ी करारी हार

पार्टी में टिकट वितरण से लेकर चुनाव परिणाम तक स्थानीय कांग्रेस के नेता एकजुट नहीं दिखाई दिए. इस कारण धरातल पर कांग्रेस की कोई रणनीति नजर आई. कांग्रेस प्रत्याशी अपने ही लोगों से जूझते हुए नजर आए. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पूर्व 2015 में भी कांग्रेस पर गुटबाजी के आरोप लगे थे.

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बता दें कि अजमेर नगर निगम चुनाव में जितना रोचक मुकाबला रहा है. उतने ही दिलचस्प परिणाम देखने को मिले हैं. नगर निगम में भाजपा का बोर्ड बना है. बोर्ड बनाने के लिए 80 में से 41 पार्षदों की जरूरत रहती है लेकिन बीजेपी के 48 पार्षद जीतकर आए हैं. कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है. कांग्रेस ने 18 वार्ड ही जीते. नगर निगम में विपक्ष की भूमिका में भी कांग्रेस कमजोर दिख रही है.

इधर 13 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज करवाई है. निकाय चुनाव में आरएलपी को भी एक वार्ड में जीत मिली है.

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