अजमेर. अरुणाचल प्रदेश में भारत-चाइना बॉर्डर पर सेना के वाहन के खाई में गिरने से किशनगढ़ के ग्राम टोंकड़ा निवासी भागचंद गुर्जर की शहीद होने की खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर छा गई. ग्रामीण शहीद के घर पहुंच गए और परिजनों को ढांढस बंधाने लगे. बेटे के शहीद होने का पता चलते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. शहीद के दो बच्चे हैं और चार भाइयों में वह सबसे छोटे थे. वे अरुणाचल प्रदेश में भारत-चाइना बॉर्डर पर भारतीय सेना की 21वीं राजपूत बटालियन में नायब सूबेदार के पद पर तैनात थे.
बुधवार रात 8 बजे गुवाहाटी (आसाम) से पार्थिव शरीर फ्लाइट से जयपुर पहंचा. इसके बाद जयपुर से वाहन के जरिए गुरुवार को (Shahid Jawan bhagchand Gurjar) गांव पहुंचेगा, जिसके बाद पार्थिव शरीर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. पार्थिव शरीर के साथ भारतीय सेना के सीओ राजेंद्र सिंह राठौड़ की भी उनके पैतृृक गांव टोंकड़ा पहुंचने की संभावना है.
खातौली सरपंच हरिराम बाना ने बताया कि मंगलवार दोपहर परिवार के ही श्योजी गुर्जर और राजेश के पास (Accident on India China Border) सेना के कंट्रोल रूम से फोन आया कि भागचंद गुर्जर ड्यूटी के दौरान सड़क हादसे में शहीद हो गया है. खबर सुनते ही परिजन स्तब्ध हो गए. उन्होंने जैसे-तैसे अपने आपको संभाला और परिजनों को ढांढस बंधाया.
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11 साल हो गए सेना में भर्ती हुए, डेढ़ साल बाकी थे सेवानिवृति में : ग्राम टोंकड़ा निवासी भागचंद गुर्जर ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की. इसके बाद 2010 में भारतीय सेना में भर्ती हो गए. शहीद भागचंद एक माह के लिए छुट्टी पर घर आए थे और परिवार के साथ हंसी-खुशी दिन बिताए थे. लेकिन परिवार के किसी भी सदस्य ने यह नहीं सोचा था कि उनका लाडला अब कभी लौटकर वापस नहीं आएगा. वहीं, बुधवार देर शाम सांसद भागीरथ चोधरी सहित पुलिस के आला अधिकारियों ने शहीद के गांव पहुंच कर अंतिम संस्कार की व्यवस्थाओं का जायजा लिया.