भरतपुर: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना पक्षी विहार) में समुद्री पक्षियों के सबसे बड़े समूहों में से एक, पेलिकन बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं. उद्यान के ' के ' ब्लॉक में लगभग 50 पेलिकनों ने डेरा डाल लिया है. हर दिन इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है.
उद्यान के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि इस साल पांचना बांध से पर्याप्त पानी मिलने के कारण पेलिकनों की बड़ी संख्या में पहुंचने की संभावना है. अब तक उद्यान में करीब 50 पेलिकन पहुंच चुके हैं. वर्ष 2022 में भी पांचना बांध से मिले पानी की बदौलत सैकड़ों पेलिकन यहां आए थे. इस बार भी पर्यावरणीय परिस्थितियां इनके अनुकूल हैं, जिससे पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों को रोमांचक नजारे देखने को मिल रहे हैं.
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पेलिकन्स की प्रजातियां: घना में मुख्यतः दो प्रकार के पेलिकन देखे जाते हैं. ग्रेट व्हाइट पेलिकन और डालमेशियन पेलिकन. ये पक्षी दक्षिण-पूर्वी यूरोप से हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर यहां आते हैं. ग्रेट व्हाइट पेलिकन अपनी लंबी, गुलाबी और पीले रंग की चोंच और इसके नीचे लटकती बड़ी थैली के लिए प्रसिद्ध है. यह थैली मछलियां और अन्य जलजीवों को इकट्ठा करने के लिए उपयोगी होती है. इनकी ऊंचाई करीब 5 फीट 9 इंच होती है, जबकि पंख फैलाने पर इनका आकार 11 फीट 10 इंच तक हो सकता है. इनका वजन 9 से 15 किलो तक होता है, जो इन्हें दुनिया के सबसे बड़े समुद्री पक्षियों में शामिल करता है.
उद्यान निदेशक ने कहा कि पेलिकनों का बड़ी संख्या में यहां पहुंचना न केवल पक्षी प्रेमियों के लिए खुशी का विषय है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि घना अभयारण्य जैव विविधता और पर्यावरणीय स्थिरता के लिहाज से बेहतर स्थिति में है. पेलिकन जैसे दुर्लभ पक्षी उन क्षेत्रों में ही आते हैं, जहां पर्याप्त जल और भोजन उपलब्ध हो.
पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उपयोगी: पेलिकन का जीवन जल स्रोतों पर निर्भर करता है. ये मछलियों और छोटे जलीय जीवों का शिकार करते हैं. पेलिकन जैसे पक्षी पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.