अजमेर. सावन में जहां शिव की उपासना की जा रही है. वहीं महिलाएं सावन माह में पहने जाने वाला लहरिया पहन कर सामूहिक रूप से मनोरंजन का आयोजन कर रही है, जिसे लहरिया उत्सव कहा जाता है. लहरिया उत्सव में सावन के पारंपरिक गीतों के साथ महिलाएं नृत्य करती है. साथ ही अच्छी बारिश के साथ सब की खुशहाली की कामना करती हैं. अजमेर में धर्म प्रभावना महिला सेवा समिति की ओर से महिलाओं के लिए आदेश की बगीची में लहरिया उत्सव का आयोजन किया गया, इसमें महिलाओं ने जमकर आनंद लिया.
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सावन माह में प्रकृति हरी ओढ़नी ओढ़ लेती है. हर तरफ हरियाली होती है जिसे देख कर मन शांत और प्रसन्न होता है. राजस्थान की परंपरा और संस्कृति में हर मौसम का खानपान और पहनावा विशेष होता है, खासकर महिलाओं के लिए हर मौसम का पहनावा अलग होता है. जो यहां की संस्कृति को भी प्रदर्शित करता है. सावन माह में राजस्थान में ज्यादातर महिलाएं लहरिया पहनती हैं जो विभिन्न रंगों का होता है. अजमेर के आदेश की बगीची में आयोजित लहरिया उत्सव में महिलाओं ने सावन के पारंपरिक गीत गाए साथ ही सामूहिक नृत्य भी किया.
समिति की अध्यक्ष रूप श्री जैन ने बताया कि लहरिया राजस्थान की संस्कृति का हिस्सा है, जिस के पहनावे से महिलाएं खुद को प्रकृति से जोड़ कर देखती हैं. हरी भरी धरती का प्रतीक लहरिया उत्सव हर्ष और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. जैन ने बताया कि सावन माह में लहरिया पहनकर महिलाएं अच्छी बारिश की इंद्रदेव से कामना करती हैं. वहीं अपने परिवार समाज और देश की उन्नति खुशहाली की कामना ईश्वर से करती हैं.