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अजमेरः जेएलएन अस्पताल में कई वार्मर खराब, प्रशासन के सख्त रवैये के बाद हरकत में आया अस्पताल - ajmer news

अजमेर जेएलएन अस्पताल में शिशु रोग विभाग में व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गया है. आईएएस आर्तिका शुक्ला और एडीएम सिटी सुरेश सिंधी ने अस्पताल के शिशु रोग विभाग का शनिवार को निरीक्षण किया. जहां सफाई को लेकर अधिकारियों ने जेएलएन अस्पताल के अधिकारियों को सफाई व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं.

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हरकत में आया अस्पताल
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Published : Jan 4, 2020, 5:56 PM IST

अजमेर. कोटा में जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले के बाद अजमेर में संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में शिशु रोग विभाग में व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गया है. आईएएस आर्तिका शुक्ला और एडीएम सिटी सुरेश सिंधी ने अस्पताल के शिशु रोग विभाग का शनिवार को निरीक्षण किया. जहां सफाई को लेकर अधिकारियों ने जेएलएन अस्पताल के अधिकारियों को सफाई व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं. वहीं शिशु रोग विभाग के आपातकालीन वार्ड में दवाइयों के बॉक्स देख कर भी नाराजगी जताई है.

जेएलएन अस्पताल में कई वार्मर खराब

कहते हैं दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है. अजमेर संभाग के सबसे बड़े जैन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में विगत 3 वर्ष पहले संक्रमण से हुई बच्चों की मौतों के बाद विभाग के हालात में सुधार आया है. विभाग की कोशिशों के बाद इलाज के लिए नए उपकरण मिले लेकिन बेड की संख्या नहीं बढ़ी. अस्पताल में 120 बेड है. वहीं शनिवार को भर्ती मरीजों की संख्या 177 थी. यानी शिशु रोग विभाग के वार्डों में एक बेड पर दो से 3 बच्चों को रखा जा रहा है.

पढ़ेंः जयपुर रिंग रोड प्रोजेक्ट का काम फिर अटका, रेलवे ने लगाया अड़ंगा

सूत्रों की माने तो 35 में से 15 वार्मर अस्पताल में खराब पड़े हैं. वहीं जनाना अस्पताल में 46 में से 22 वार्मर खराब है. जिनको प्रशासनिक अधिकारियों के कहने पर ठीक करवाया जा रहा है और फिलहाल उनकी जगह हिट लगवाने के निर्देश दिए गए हैं. कोटा में बच्चों की मौत के मामले के बाद सख्त हुई सरकार को देखते हुए अस्पताल में कोई भी चिकित्सक और अधिकारी मीडिया से बात करने को तैयार नहीं है. वहीं सूत्रों के अनुसार नवंबर 2019 में 54 और दिसंबर 2019 में 58 बच्चों की मौत हुई थी.

कोटा में लगातार हो रही बच्चों की मौत के मामले में सरकार विपक्ष के निशाने पर है. वहीं सरकार अपना दामन बचाने में जुटी हुई है. जेएलएन अस्पताल में इस बात से भी हड़कंप मचा हुआ है कि सरकार ने अस्पताल से पिछले 20 वर्षों का आंकड़ा भी मांगा है. वहीं इनमें अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों की संख्या और शिशु मृत्यु दर के आंकड़े और मौजूद उपकरणों के बारे में भी जानकारी मांगी गई है.

पढ़ेंः Special: संघ की तर्ज पर कांग्रेस भी तैयार करेगी प्रेरक, 14 जनवरी को होंगे इंटरव्यू

अस्पताल के निरीक्षण को आई आईएएस आर्तिका शुक्ला निरीक्षण के बाद चुपचाप अस्पताल से निकल गई. वहीं एडीएम सिटी सुरेश संधि अस्पताल अधीक्षक डॉ अनिल जैन और जलन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ वीर बहादुर सिंह भी मीडिया से परहेज करते हुए नजर आए. हालांकि प्राचार्य ने यह दावा कर दिया है कि अस्पताल में सब व्यवस्था बेहतर है, कोई भी उपकरण खराब नहीं है.

अजमेर. कोटा में जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले के बाद अजमेर में संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में शिशु रोग विभाग में व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गया है. आईएएस आर्तिका शुक्ला और एडीएम सिटी सुरेश सिंधी ने अस्पताल के शिशु रोग विभाग का शनिवार को निरीक्षण किया. जहां सफाई को लेकर अधिकारियों ने जेएलएन अस्पताल के अधिकारियों को सफाई व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं. वहीं शिशु रोग विभाग के आपातकालीन वार्ड में दवाइयों के बॉक्स देख कर भी नाराजगी जताई है.

जेएलएन अस्पताल में कई वार्मर खराब

कहते हैं दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है. अजमेर संभाग के सबसे बड़े जैन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में विगत 3 वर्ष पहले संक्रमण से हुई बच्चों की मौतों के बाद विभाग के हालात में सुधार आया है. विभाग की कोशिशों के बाद इलाज के लिए नए उपकरण मिले लेकिन बेड की संख्या नहीं बढ़ी. अस्पताल में 120 बेड है. वहीं शनिवार को भर्ती मरीजों की संख्या 177 थी. यानी शिशु रोग विभाग के वार्डों में एक बेड पर दो से 3 बच्चों को रखा जा रहा है.

पढ़ेंः जयपुर रिंग रोड प्रोजेक्ट का काम फिर अटका, रेलवे ने लगाया अड़ंगा

सूत्रों की माने तो 35 में से 15 वार्मर अस्पताल में खराब पड़े हैं. वहीं जनाना अस्पताल में 46 में से 22 वार्मर खराब है. जिनको प्रशासनिक अधिकारियों के कहने पर ठीक करवाया जा रहा है और फिलहाल उनकी जगह हिट लगवाने के निर्देश दिए गए हैं. कोटा में बच्चों की मौत के मामले के बाद सख्त हुई सरकार को देखते हुए अस्पताल में कोई भी चिकित्सक और अधिकारी मीडिया से बात करने को तैयार नहीं है. वहीं सूत्रों के अनुसार नवंबर 2019 में 54 और दिसंबर 2019 में 58 बच्चों की मौत हुई थी.

कोटा में लगातार हो रही बच्चों की मौत के मामले में सरकार विपक्ष के निशाने पर है. वहीं सरकार अपना दामन बचाने में जुटी हुई है. जेएलएन अस्पताल में इस बात से भी हड़कंप मचा हुआ है कि सरकार ने अस्पताल से पिछले 20 वर्षों का आंकड़ा भी मांगा है. वहीं इनमें अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों की संख्या और शिशु मृत्यु दर के आंकड़े और मौजूद उपकरणों के बारे में भी जानकारी मांगी गई है.

पढ़ेंः Special: संघ की तर्ज पर कांग्रेस भी तैयार करेगी प्रेरक, 14 जनवरी को होंगे इंटरव्यू

अस्पताल के निरीक्षण को आई आईएएस आर्तिका शुक्ला निरीक्षण के बाद चुपचाप अस्पताल से निकल गई. वहीं एडीएम सिटी सुरेश संधि अस्पताल अधीक्षक डॉ अनिल जैन और जलन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ वीर बहादुर सिंह भी मीडिया से परहेज करते हुए नजर आए. हालांकि प्राचार्य ने यह दावा कर दिया है कि अस्पताल में सब व्यवस्था बेहतर है, कोई भी उपकरण खराब नहीं है.

Intro:अजमेर। कोटा में जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले के बाद अजमेर में संभाग के सबसे बड़े जेलर अस्पताल में शिशु रोग विभाग में व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गया है आईएएस आर्तिका शुक्ला एवं एडीएम सिटी सुरेश सिंधी ने अस्पताल के शिशु रोग विभाग का शनिवार को निरीक्षण किया।

कहते हैं दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है। अजमेर संभाग के सबसे बड़े जैन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में विगत 3 वर्ष पहले संक्रमण से हुई बच्चों की मौतों के बाद विभाग के हालात में सुधार आया विभाग कोशिशों के इलाज के लिए नए उपकरण मिले लेकिन बेड की संख्या नहीं बढ़ी। अस्पताल में 120 बेड है वहीं शनिवार को भर्ती मरीजों की संख्या 177 थी। यानी शिशु रोग विभाग के वार्डों में एक बेड पर दो से 3 बच्चों को रखा जा रहा है।

कोटा में बच्चों की मौत के बाद अजमेर में शिशु रोग विभाग में मौजूद उपकरणों की भी सार संभाल की जा रही है सूत्रों की माने तो 35 में से 15 वार्मर अस्पताल में खराब पड़े हैं। वही जनाना अस्पताल में 46 में से 22 मार मार खराब है। जिनको प्रशासनिक अधिकारियों के कहने पर ठीक करवाया जा रहा है एवं फिलहाल उनकी जगह हिट लगवाने के निर्देश दिए गए हैं।

कोटा में बच्चों की मौत के मामले के बाद सख्त हुई सरकार को देखते हुए अस्पताल में कोई भी चिकित्सक और अधिकारी मीडिया से बात करने को तैयार नहीं है। सूत्रों की माने तो नवंबर 2019 में 54 एवं दिसंबर 2019 में 58 बच्चों की मौत हुई थी। जेएलएन अस्पताल में इस बात से भी हड़कंप मचा हुआ है कि सरकार ने अस्पताल से पिछले 20 वर्षों का आंकड़ा भी मांगा है इनमें अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों की संख्या एवं शिशु मृत्यु दर के आंकड़े और मौजूद उपकरणों के बारे में भी जानकारी मांगी गई है।

कोटा में लगातार हो रही बच्चों की मौत के मामले में सरकार विपक्ष के निशाने पर है। वहीं सरकार अपना दामन बचाने में जुटी हुई है ऐसे में अधिकारियों को भी सांप सूंघ गया है। अस्पताल के निरीक्षण को आई आईएएस आर्तिका शुक्ला निरीक्षण के बाद चुपचाप अस्पताल से निकल गई। वही एडीएम सिटी सुरेश संधि अस्पताल अधीक्षक डॉ अनिल जैन और तो और जलन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ वीर बहादुर सिंह भी मीडिया से परहेज करते हुए नजर आए। हालांकि प्राचार्य ने यह दावा कर दिया है कि अस्पताल में सब व्यवस्था है बेहतर है कोई भी उपकरण खराब नहीं है....
बाइट सुरेश सिंधी एडीएम सिटी अजमेर
वाइट डॉक्टर वीर बहादुर सिंह प्राचार्य जेएलएन मेडिकल कॉलेज

निरीक्षण को हाय प्रशासनिक अधिकारी आईएस आर्तिका शुक्ला और एडीएम सिटी सुरेश सिंधी ने शिशु रोग विभाग का निरीक्षण किया जहां सफाई को लेकर अधिकारियों ने जेएलएन अस्पताल के अधिकारियों को सफाई व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं वहीं शिशु रोग विभाग के आपातकालीन वार्ड में दवाइयों के बॉक्स देख कर भी नाराजगी जताई है।


Body:प्रियंक शर्मा
अजमेर


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