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जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय मानव अंगदान के लिए अधिकृत... - मानव अंगदान

अजमेर में जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय को अंगदान हेतु अंगों के प्राप्त करने के लिए केंद्र के रूप में 5 वर्षों के लिए मान्यता प्रदान की गई है. शहर में अब ब्रेन डेथ के मरीज, रिश्तेदारों की सहमति से विभिन्न अंगों का दान कर सकते हैं.

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जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय मानव अंगदान के लिए अधिकृत 
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Published : Jul 31, 2020, 10:46 PM IST

अजमेर. राज्य सरकार की बजट घोषणा के क्रम में विगत दिनों राज्य स्तरीय कमेटी की ओर से उपलब्ध संसाधनों का निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर किया गया है. जिसमें राज्य सरकार ने जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय को अंगदान हेतु अंगों के प्राप्त करने के लिए केंद्र के रूप में 5 वर्षों के लिए मान्यता प्रदान की गई है. वहीं अब ब्रेन डेथ के मरीज, रिश्तेदारों की सहमति से विभिन्न अंगों का दान कर सकेंगे.

सामूहिक चिकित्सालय संघ के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन ने बताया कि अंगदान हेतु गुर्दे, हृदय, आंख, लिवर, छोटी आंत, हड्डियों के टिश्यू, त्वचा के टिश्यू आदि का उपयोग किया जा सकता है. दान किए गए इन अंगों को दाता के शरीर से शल्य क्रिया द्वारा निकाला जाता है और दूसरे जीवित व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपण किया जाता है.

उन्होंने बताया कि अंगदान से कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है. हर वर्ष लाखों लोगों की मृत्यु सिर्फ इसलिए हो जाती है, क्योंकि उन्हें कोई डोनर नहीं मिल पाता है. साथ ही अंग डोनेट करने वालों की कमी के चलते अक्सर लोग असमय ही चले जाते हैं. इस स्थिति को अंगदान करके टाला जा सकता है. आमजन में जागरूकता बढ़ने से अंगदान में वृद्धि होगी और अधिकतम व्यक्तियों का जीवन बचाया जा सकेगा.

पढ़ें: बाड़ेबंदी में बंद विधायकों के वेतन रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर

उन्होंने बताया कि कैंसर, एचआईवी, सेप्सिस आदि से पीडित व्यक्तियों के अलावा समस्त व्यक्तियों के अंगों का दान संभव है. इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय के भीतर पूरा करना होता है. ज्यादा समय होने पर अंग खराब होना शुरू हो जाता हैं. प्राप्त जानकारी में ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद घरवालों की सहमति से सभी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के पश्चात अंग प्रत्यारोपण के लिए शल्य क्रिया की जाती है.

अजमेर. राज्य सरकार की बजट घोषणा के क्रम में विगत दिनों राज्य स्तरीय कमेटी की ओर से उपलब्ध संसाधनों का निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर किया गया है. जिसमें राज्य सरकार ने जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय को अंगदान हेतु अंगों के प्राप्त करने के लिए केंद्र के रूप में 5 वर्षों के लिए मान्यता प्रदान की गई है. वहीं अब ब्रेन डेथ के मरीज, रिश्तेदारों की सहमति से विभिन्न अंगों का दान कर सकेंगे.

सामूहिक चिकित्सालय संघ के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन ने बताया कि अंगदान हेतु गुर्दे, हृदय, आंख, लिवर, छोटी आंत, हड्डियों के टिश्यू, त्वचा के टिश्यू आदि का उपयोग किया जा सकता है. दान किए गए इन अंगों को दाता के शरीर से शल्य क्रिया द्वारा निकाला जाता है और दूसरे जीवित व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपण किया जाता है.

उन्होंने बताया कि अंगदान से कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है. हर वर्ष लाखों लोगों की मृत्यु सिर्फ इसलिए हो जाती है, क्योंकि उन्हें कोई डोनर नहीं मिल पाता है. साथ ही अंग डोनेट करने वालों की कमी के चलते अक्सर लोग असमय ही चले जाते हैं. इस स्थिति को अंगदान करके टाला जा सकता है. आमजन में जागरूकता बढ़ने से अंगदान में वृद्धि होगी और अधिकतम व्यक्तियों का जीवन बचाया जा सकेगा.

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उन्होंने बताया कि कैंसर, एचआईवी, सेप्सिस आदि से पीडित व्यक्तियों के अलावा समस्त व्यक्तियों के अंगों का दान संभव है. इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय के भीतर पूरा करना होता है. ज्यादा समय होने पर अंग खराब होना शुरू हो जाता हैं. प्राप्त जानकारी में ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद घरवालों की सहमति से सभी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के पश्चात अंग प्रत्यारोपण के लिए शल्य क्रिया की जाती है.

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