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स्पेशल रिपोर्ट: पानी पर अजमेर शहर, इमारतों पर मंडरा रहा खतरा - जेएलएन अस्पताल

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार एक दशक से अजमेर जिला डार्क जोन घोषित किया गया है. लेकिन, अजमेर शहर की बात करें तो यहां पानी का स्तर 6 से 8 फीट तक है. ऐसे में अजमेर शहर की सरकारी और गैर सरकारी इमारतों पर खतरा मंडरा रहा है. खासकर वे इमारतें जिनमें बेसमेंट है उन इमारतों की नींव कमजोर होने से कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है. यूं कहें कि अजमेर शहर पानी पर है.

ajmer latest news, भवन निर्माण विशेषज्ञ रवि दत्त माथुर
सरकारी और गैर सरकारी इमारतों पर मंडरा रहा खतरा
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Published : Dec 25, 2019, 7:50 PM IST

अजमेर. देश प्रदेश में इस बार मानसून की मेहरबानी काफी अच्छी रही है. जिससे भूमि का जल स्तर भी ऊंचा हो गया है. किसानों के लिए यह अच्छी खबर है लेकिन, अजमेर शहर के लिए यह घंखतरे की टी है. अजमेर शहर के बीचों-बीच आनासागर झील पानी से लबालब भर चुकी है.

बताया जाता है कि आना सागर झील का पानी भूमिगत होकर पूरे शहर में फैलता है. यही वजह है कि अजमेर शहर का जलस्तर हमेशा ऊपर ही रहता है. मगर झील के लबालब होने और मानसून की मेहरबानी ने अजमेर शहर की सरकारी और गैर सरकारी इमारतों को खतरे में डाल दिया है. खासकर वह भवन जिनमें बेसमेंट बने हुए हैं उन में पानी आना नहीं रुक रहा है. ऐसे भवनों में सीपेज की समस्या तो दशकों से रही है लेकिन, बारिश के बाद यह समस्या और विकराल हो गई है.

पढ़ें- स्पेशल: उत्तर भारत में क्रिश्चियन समाज का सबसे बड़ा सेंटर है अजमेर, क्रिसमस का खासा क्रेज

कई भाग पूर्ण सरकारी भवन ऐसे हैं जिनके बेसमेंट पानी से लबालब भरे हैं. जिसका रिकॉर्ड और सामान खराब हो चुका है. बेसमेंट में पानी भरे जाने से इमारतों की नींव कमजोर हो रही है. बावजूद इसके समय रहते शासन और प्रशासन का ध्यान इस खतरे की ओर बिल्कुल भी नहीं है. अस्थाई रूप से बेसमेंट में छोटी-छोटी कुंडिया बना दी गई है जिनमें पानी जमा हो जाता है और उस पानी को पम्प मोटर के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है. ऐसा नहीं है कि यह खतरा इस बार ही पैदा हुआ है बल्कि दशकों से ऐसा ही चला रहा है.

अजमेर में महत्वपूर्ण कर भवन, जेएलएन अस्पताल, आरपीएससी, सहकार भवन जैसे कई सरकारी और गैर सरकारी इमारतें है जिनमें सीपेज की समस्या विकट हो गई है. इन इमारतों की नींव इतनी कमजोर हो गई है कि इनके बेसमेंट में पानी इतनी तेजी से आता है कि हर रोज पंप सेट के जरिये पानी निकाला जाता है.

सरकारी और गैर सरकारी इमारतों पर मंडरा रहा खतरा

आरपीएससी, सहकार भवन के नजदीक ऐसे दर्जनों भवन है जिनमें बेसमेंट में रोजाना पानी पर निकाला जाता है लेकिन, उनमें पानी टूटता नहीं है. यानी वैसे का वैसा ही पानी भरा रहता है. जैसे बेसमेंट की उपयोगिता खत्म हो गई है वहीं बेसमेंट में रखा सामान और रिकॉर्ड खराब हो गया है.

भवन निर्माण विशेषज्ञ रवि दत्त माथुर की माने तो अजमेर में सीपेज की परेशानी दशकों पुरानी है. बारिश के बाद यह समस्या और बढ़ जाती है. खासकर बेसमेंट मैं पानी सीपेज से भर जाता है. जिस कारण भवनों की इमारतों की नीव कमजोर हो रही है जिससे इमारतों पर संकट उत्पन्न हो गया है. यह स्थिति उस समय और ज्यादा खतरनाक हो सकती है जब अजमेर में भूकंप के झटके आ जाए ऐसी स्थिति में यह इमारतें भरभरा कर गिर भी सकती है.

पढ़ें- अजमेर: एलिवेटेड कार्य के चलते व्यापारी वर्ग परेशान, सौंपा ज्ञापन

विशेषज्ञ रविदत्त माथुर का मानना है कि अजमेर में बेसमेंट के साथ इमारत बनाए जाने को लेकर नगर निगम और यूआईटी की तरफ से नक्शा जारी नहीं करना चाहिए. अजमेर में सीपेज की समस्या है ऐसे में बेसमेंट खतरा बन सकते हैं. माथुर का कहना है कि सरकार को सरकारी कार्यालयों की सुध लेनी चाहिए और विशेषज्ञों की राय लेकर सरकारी भवनों में सीपेज को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.

अजमेर. देश प्रदेश में इस बार मानसून की मेहरबानी काफी अच्छी रही है. जिससे भूमि का जल स्तर भी ऊंचा हो गया है. किसानों के लिए यह अच्छी खबर है लेकिन, अजमेर शहर के लिए यह घंखतरे की टी है. अजमेर शहर के बीचों-बीच आनासागर झील पानी से लबालब भर चुकी है.

बताया जाता है कि आना सागर झील का पानी भूमिगत होकर पूरे शहर में फैलता है. यही वजह है कि अजमेर शहर का जलस्तर हमेशा ऊपर ही रहता है. मगर झील के लबालब होने और मानसून की मेहरबानी ने अजमेर शहर की सरकारी और गैर सरकारी इमारतों को खतरे में डाल दिया है. खासकर वह भवन जिनमें बेसमेंट बने हुए हैं उन में पानी आना नहीं रुक रहा है. ऐसे भवनों में सीपेज की समस्या तो दशकों से रही है लेकिन, बारिश के बाद यह समस्या और विकराल हो गई है.

पढ़ें- स्पेशल: उत्तर भारत में क्रिश्चियन समाज का सबसे बड़ा सेंटर है अजमेर, क्रिसमस का खासा क्रेज

कई भाग पूर्ण सरकारी भवन ऐसे हैं जिनके बेसमेंट पानी से लबालब भरे हैं. जिसका रिकॉर्ड और सामान खराब हो चुका है. बेसमेंट में पानी भरे जाने से इमारतों की नींव कमजोर हो रही है. बावजूद इसके समय रहते शासन और प्रशासन का ध्यान इस खतरे की ओर बिल्कुल भी नहीं है. अस्थाई रूप से बेसमेंट में छोटी-छोटी कुंडिया बना दी गई है जिनमें पानी जमा हो जाता है और उस पानी को पम्प मोटर के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है. ऐसा नहीं है कि यह खतरा इस बार ही पैदा हुआ है बल्कि दशकों से ऐसा ही चला रहा है.

अजमेर में महत्वपूर्ण कर भवन, जेएलएन अस्पताल, आरपीएससी, सहकार भवन जैसे कई सरकारी और गैर सरकारी इमारतें है जिनमें सीपेज की समस्या विकट हो गई है. इन इमारतों की नींव इतनी कमजोर हो गई है कि इनके बेसमेंट में पानी इतनी तेजी से आता है कि हर रोज पंप सेट के जरिये पानी निकाला जाता है.

सरकारी और गैर सरकारी इमारतों पर मंडरा रहा खतरा

आरपीएससी, सहकार भवन के नजदीक ऐसे दर्जनों भवन है जिनमें बेसमेंट में रोजाना पानी पर निकाला जाता है लेकिन, उनमें पानी टूटता नहीं है. यानी वैसे का वैसा ही पानी भरा रहता है. जैसे बेसमेंट की उपयोगिता खत्म हो गई है वहीं बेसमेंट में रखा सामान और रिकॉर्ड खराब हो गया है.

भवन निर्माण विशेषज्ञ रवि दत्त माथुर की माने तो अजमेर में सीपेज की परेशानी दशकों पुरानी है. बारिश के बाद यह समस्या और बढ़ जाती है. खासकर बेसमेंट मैं पानी सीपेज से भर जाता है. जिस कारण भवनों की इमारतों की नीव कमजोर हो रही है जिससे इमारतों पर संकट उत्पन्न हो गया है. यह स्थिति उस समय और ज्यादा खतरनाक हो सकती है जब अजमेर में भूकंप के झटके आ जाए ऐसी स्थिति में यह इमारतें भरभरा कर गिर भी सकती है.

पढ़ें- अजमेर: एलिवेटेड कार्य के चलते व्यापारी वर्ग परेशान, सौंपा ज्ञापन

विशेषज्ञ रविदत्त माथुर का मानना है कि अजमेर में बेसमेंट के साथ इमारत बनाए जाने को लेकर नगर निगम और यूआईटी की तरफ से नक्शा जारी नहीं करना चाहिए. अजमेर में सीपेज की समस्या है ऐसे में बेसमेंट खतरा बन सकते हैं. माथुर का कहना है कि सरकार को सरकारी कार्यालयों की सुध लेनी चाहिए और विशेषज्ञों की राय लेकर सरकारी भवनों में सीपेज को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.

Intro:अजमेर। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार एक दशक से अजमेर जिला डार्क जोन घोषित किया गया है। लेकिन अजमेर शहर की बात करें तो यहां पानी का जल स्तर 6 से 8 फीट तक है। ऐसे में अजमेर शहर की सरकारी और गैर सरकारी इमारतों पर खतरा मंडरा रहा है। खासकर वे इमारतें जिनमें बेसमेंट है उन इमारतों नींव कमजोर होने से कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। यूं कहें कि अजमेर शहर पानी पर है। देखिए ईटीवी भारत पर अजमेर से विशेष रिपोर्ट।

देश प्रदेश में इस बार मानसून की मेहरबानी काफी अच्छी रही है। जिससे भूमि का जल स्तर भी ऊंचा हो गया है। किसानों के लिए यह अच्छी खबर है लेकिन अजमेर शहर के लिए यह खतरे की घंटी है। अजमेर शहर के बीचों-बीच आनासागर झील पानी से लबालब भर चुकी है। बताया जाता है कि आना सागर झील का पानी भूमिगत होकर पूरे शहर में फैलता है यही वजह है कि अजमेर शहर का जलस्तर हमेशा ऊपर ही रहता है। मगर झील के लबालब होने एवं मानसून की मेहरबानी ने अजमेर शहर की सरकारी और गैर सरकारी इमारतों को खतरे में डाल दिया है। खासकर वह भगवान जिनमें बेसमेंट बने हुए हैं उन में पानी आना नहीं रुक रहा है। ऐसे भवनों में सीपेज की समस्या तो दशकों से रही है लेकिन बारिश के बाद यह समस्या और विकराल हो गई है। कहीं भाग पूर्ण सरकारी भवन ऐसे हैं जिनके बेसमेंट पानी से लबालब भरे हैं जिनमें रिकॉर्ड और सामान खराब हो चुका है। बेसमेंट में पानी भरे जाने से इमारतों की नींव कमजोर हो रही है। बावजूद इसके समय रहते शासन और प्रशासन का ध्यान इस खतरे की ओर बिल्कुल भी नहीं है। अस्थाई रूप से बेसमेंट में छोटी-छोटी कुंडिया बना दी गई है जिनमें पानी जमा हो जाता है और उस पानी को पम्प मोटर के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि यह खतरा इस बार ही पैदा हुआ है बल्कि दशकों से ऐसा ही चला रहा है ....
बाइट-चुन्नीलाल- कर्मचारी -- कर भवन

अजमेर में महत्वपूर्ण कर भवन, जेएलएन अस्पताल, आरपीएससी, सहकार भवन जैसे कई सरकारी और गैर सरकारी इमारतें है जिनमे सीपेज की समस्या विकट हो गई है। इन इमारतों की नींव इतनी कमजोर हो गई है कि इनके बेसमेंट में पानी इतनी तेजी से आता है कि हर रोज पंप सेट के जरिये पानी निकाला जाता है। आरपीएससी, सहकार भवन के नजदीक ऐसे दर्जनों भवन है जिनमे बेसमेंट में रोजाना पानी पर निकाला जाता है लेकिन उनमें पानी टूटता नहीं है यानी जैसे का जैसा ही पानी भरा रहता है। जैसे बेसमेंट की उपयोगिता खत्म हो गई है वहीं बेसमेंट में रखा सामान और रिकॉर्ड खराब हो गया है....
बाइट बीरम रावत- कर्मचारी सहकार भवन

भवन निर्माण विशेषज्ञ रवि दत्त माथुर की माने तो अजमेर में सीपेज की परेशानी दशकों पुरानी है बारिश के बाद यह समस्या और बढ़ जाती है खासकर बेसमेंट मैं पानी सीपेज से भर जाता है। जिस कारण भवनों की इमारतों की नीव कमजोर हो रही है जिससे इमारतों को संकट उत्पन्न हो गया है। यह स्थिति उस समय और ज्यादा खतरनाक हो सकती है जब अजमेर में भूकंप के झटके आ जाए ऐसी स्थिति में यह इमारतें भरभरा कर गिर भी सकती है....
बाइट- रविदत्त माथुर विशेषज्ञ भवन निर्माण एवं मिट्टी

विशेषज्ञ रविदत्त माथुर का मानना है कि अजमेर में बेसमेंट के साथ इमारत बनाए जाने को लेकर नगर निगम और यूआईटी की तरफ से नक्शा जारी नहीं करना चाहिए। अजमेर में सीपेज की समस्या है ऐसे में बेसमेंट खतरा बन सकते हैं। माथुर का कहना है कि सरकार को सरकारी कार्यालयों की सुध लेनी चाहिए एवं विशेषज्ञों की राय लेकर सरकारी भवनों में सीपेज को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए....
बाइक रविदत्त माथुर विशेषज्ञ भवन निर्माण एवं मिट्टी

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Body:प्रियांक शर्मा
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