अजमेर. देश प्रदेश में इस बार मानसून की मेहरबानी काफी अच्छी रही है. जिससे भूमि का जल स्तर भी ऊंचा हो गया है. किसानों के लिए यह अच्छी खबर है लेकिन, अजमेर शहर के लिए यह घंखतरे की टी है. अजमेर शहर के बीचों-बीच आनासागर झील पानी से लबालब भर चुकी है.
बताया जाता है कि आना सागर झील का पानी भूमिगत होकर पूरे शहर में फैलता है. यही वजह है कि अजमेर शहर का जलस्तर हमेशा ऊपर ही रहता है. मगर झील के लबालब होने और मानसून की मेहरबानी ने अजमेर शहर की सरकारी और गैर सरकारी इमारतों को खतरे में डाल दिया है. खासकर वह भवन जिनमें बेसमेंट बने हुए हैं उन में पानी आना नहीं रुक रहा है. ऐसे भवनों में सीपेज की समस्या तो दशकों से रही है लेकिन, बारिश के बाद यह समस्या और विकराल हो गई है.
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कई भाग पूर्ण सरकारी भवन ऐसे हैं जिनके बेसमेंट पानी से लबालब भरे हैं. जिसका रिकॉर्ड और सामान खराब हो चुका है. बेसमेंट में पानी भरे जाने से इमारतों की नींव कमजोर हो रही है. बावजूद इसके समय रहते शासन और प्रशासन का ध्यान इस खतरे की ओर बिल्कुल भी नहीं है. अस्थाई रूप से बेसमेंट में छोटी-छोटी कुंडिया बना दी गई है जिनमें पानी जमा हो जाता है और उस पानी को पम्प मोटर के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है. ऐसा नहीं है कि यह खतरा इस बार ही पैदा हुआ है बल्कि दशकों से ऐसा ही चला रहा है.
अजमेर में महत्वपूर्ण कर भवन, जेएलएन अस्पताल, आरपीएससी, सहकार भवन जैसे कई सरकारी और गैर सरकारी इमारतें है जिनमें सीपेज की समस्या विकट हो गई है. इन इमारतों की नींव इतनी कमजोर हो गई है कि इनके बेसमेंट में पानी इतनी तेजी से आता है कि हर रोज पंप सेट के जरिये पानी निकाला जाता है.
आरपीएससी, सहकार भवन के नजदीक ऐसे दर्जनों भवन है जिनमें बेसमेंट में रोजाना पानी पर निकाला जाता है लेकिन, उनमें पानी टूटता नहीं है. यानी वैसे का वैसा ही पानी भरा रहता है. जैसे बेसमेंट की उपयोगिता खत्म हो गई है वहीं बेसमेंट में रखा सामान और रिकॉर्ड खराब हो गया है.
भवन निर्माण विशेषज्ञ रवि दत्त माथुर की माने तो अजमेर में सीपेज की परेशानी दशकों पुरानी है. बारिश के बाद यह समस्या और बढ़ जाती है. खासकर बेसमेंट मैं पानी सीपेज से भर जाता है. जिस कारण भवनों की इमारतों की नीव कमजोर हो रही है जिससे इमारतों पर संकट उत्पन्न हो गया है. यह स्थिति उस समय और ज्यादा खतरनाक हो सकती है जब अजमेर में भूकंप के झटके आ जाए ऐसी स्थिति में यह इमारतें भरभरा कर गिर भी सकती है.
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विशेषज्ञ रविदत्त माथुर का मानना है कि अजमेर में बेसमेंट के साथ इमारत बनाए जाने को लेकर नगर निगम और यूआईटी की तरफ से नक्शा जारी नहीं करना चाहिए. अजमेर में सीपेज की समस्या है ऐसे में बेसमेंट खतरा बन सकते हैं. माथुर का कहना है कि सरकार को सरकारी कार्यालयों की सुध लेनी चाहिए और विशेषज्ञों की राय लेकर सरकारी भवनों में सीपेज को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.