अजमेर. प्रथम पूज्य भगवान गणेश के आगमन की तैयारी प्रदेश सहित पूरे देश में (Ganesh Chaturthi 2022) की जा रही है. अजमेर में जन आस्था का सबसे बड़ा केंद्र आगरा गेट गणेश मंदिर को माना जाता है. यह 300 वर्ष प्राचीन मराठाकालीन मंदिर है. इस खास मौके पर ईटीवी भारत न्यूज आपको अजमेर के इस सुप्रसिद्ध मंदिर के इतिहास और महत्व के बारे में बता रहा है.
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हर शुभ कार्य की शुरुआत से पहले विघ्नहर्ता का आशीर्वाद लिया जाता है. ताकि कार्य निर्विघ्न (Agra Gate Ganesh Temple of Ajmer) सिद्ध हो सके. अजमेर में आगरा गेट गणेश मंदिर की यह मान्यता बन चुकी है कि जिस घर में शादी, नए कारोबार की शुरुआत, नया वाहन खरीदा जाता है, वो पहले गणेश मंदिर में आकर आशीर्वाद लेता है. वर्षों से यह परंपरा बन चुकी है. शादी का पहला कार्ड भी गणपति को देकर आमंत्रित किया जाता है.
गणेश चतुर्थी पर सुबह से लेकर शाम तक मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. आगरा गेट गणेश मंदिर से कई लोगों की आस्था की डोर इतनी मजबूत हो चुकी है कि लोग प्रतिदिन मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. खासकर बुधवार के दिन आगरा गेट गणेश मंदिर के बाहर मेले जैसा माहौल रहता है. आगरा गेट गणेश मंदिर में शहर में रहने वाले लोगों की गहरी आस्था है.
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300 बरस पुराना है मंदिर का इतिहास: मंदिर के महंत पंडित घनश्याम आचार्य ने बताया कि मंदिर में विराजमान श्री गणेश की प्रतिमा (Ganesh Chaturthi in Ajmer) मराठाकालीन है. अजमेर में मराठाओं का शासन कुछ वर्षों के लिए रहा था. लेकिन इस दौरान ही उन्होंने अजमेर में गणेश, भैरव और महादेव के मंदिर स्थापित किए थे. उनमें से एक आगरा गेट गणेश मंदिर भी है. महंत आचार्य बताते हैं कि वर्तमान मंदिर परिसर के बाहर की ओर एक बड़ा सा गेट था. मंदिर में विराजमान गणेश उस गेट के ऊपर छतरी के नीचे विराजमान थे. उस वक्त वे कोट गणेश के नाम से विख्यात थे. दरअसल कोट गेट के भीतर ही तत्कालीन समय का पूरा अजमेर बसा हुआ था.
उन्होंने बताया कि मंदिर का कोई लिखित इतिहास नहीं है. बड़े बुजुर्गों ने जो उन्हें बताया वही लोगों को बताते (History of Agra Gate Ganesh Temple) हैं. उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले रात को भजन संध्या होती है. गणेश चतुर्थी को गणेश प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है. उसके बाद नयनाभिराम श्रंगार होता है. उसके बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में प्राचीन गणेश मंदिर में विराजे गजानंद की महा आरती का आयोजन होता है.
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मनोकामना होती है पूरी: नियमित मंदिर में आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि 20 वर्षों से वह गणेश मंदिर में नियमित रूप से आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां हर मनोकामना पूर्ण होती है. श्रद्धालु संदीप गोयल बताते हैं कि बचपन से वह प्राचीन गणेश मंदिर में दर्शन के लिए आते रहे हैं. विगत 20 वर्षों में श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि अजमेर में हर हिन्दू धर्म के लोगों के घरों में हर शुभ कार्य के लिए पहले प्राचीन गणेश मंदिर आकर आशीर्वाद लेने का जैसे रिवाज बन गया है.