अजमेर. कोरोना फाइटर्स के रूप में सामने आए ख्वाजा गरीब नवाज की नगरी के रहने वाले साजिद पिछले 2 साल से दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कार्य कर रहे हैं. तीन महीनों से अपने परिवार से दूर रहकर अपनी ड्यूटी को पूर्ण रूप से निभा रहे हैं.
साजिद के अनुसार वह कोविड-19 वार्ड में तैनात हैं. वे परिवार से बिना मिले इस कोरोना संक्रमण की जंग में सेना के जवान की तरह डटे हैं. साजिद अख्तर बताते हैं कि परिवार को याद करते हुए उनकी आंख नम भी हो जाती है. भारत के सबसे बड़े अस्पताल में कोरोना के मरीजों को स्वस्थ करने में साजिद पूर्ण रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है कि वह ईद के मौके पर अपने घर नहीं जा पाए. उनके मुताबिक सबसे ज्यादा जरूरी है इस समय देश की सेवा करना. जिसके लिए वह जान लगाकर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब साजिद के परिवार से बात की तो उनके पिता मोइनुद्दीन अख्तर ने कहा कि वह दरगाह बाजार स्थित गरीब नवाज होटल में मैनेजर के रूप में कार्य कर रहे हैं. उन्होंने काफी मेहनत के बाद साजिद को पढ़ा-लिखा कर इस काबिल बनाया है कि वह देश के प्रतिष्ठित अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर काम कर रहा है. उनका कहना है कि खुशी मिलती है कि उनका बेटा इतने बड़े अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहा है. उन्होंने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज का करम है कि उनकी इच्छा पूरी हुई. मन में डर भी है, लेकिन दूसरी ओर गर्व भी है कि वह देश की सेवा कर रहे हैं.
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साजिद की मां शमीम अख्तर ने भीगी आंखों के साथ कहा कि बेटे की काफी याद आती है. वीडियो कॉलिंग व फोन पर बात होती है जिससे दिल को सुकून मिल जाता है. देश इस महामारी से बचे, इसके लिए ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में दुआ कर रहे हैं. साथ ही जल्दी उनका बेटा उनसे मिलने अजमेर आए, ऐसी भी गरीब नवाज से दुआ मांगते है.
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साजिद अख्तर की पत्नी रुखसार बानो ने बताया कि उनके पति अख्तर देश की सेवा कर रहे हैं और उन्हें उन पर गर्व है. उन्होंने कहा कि उनका 3 साल का बेटा है. दोनों ही बहुत याद करते हैं लेकिन मजबूरी ऐसी है कि परिवार से पहले देश की सेवा करनी है, इसलिए वह चाहती हैं कोरोना की जंग को जीतकर एक बार फिर वह अपने परिवार के पास आएं, यही उनकी तमन्ना है.