अजमेर. बाटा तिराहे का मामला सुलझता नजर नही आ रहा है. प्रशासन और अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने बाटा तिराहे पर बुधवार को काम शुरू करवा कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है. अजमेर व्यापार मंडल के समर्थन के साथ क्षेत्र के व्यापारी बाटा तिराहे पर एलिवेटेड ब्रिज की भुजा उतारे जाने को लेकर शुरू हुए काम के विरोध में मौके पर ही धरने पर बैठ गए. देर शाम तक व्यापारियों का धरना जारी रहा. व्यापारियों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए एडीएम सिटी गजेंद्र सिंह राठौड़ सीओ साउथ मुकेश मौके पर मय जाब्ता मौके पर पहुंच गए, जहां उन्होंने व्यापारियों के साथ समझाइश भी की लेकिन व्यापारी आप की मांग पर अड़े रहे.
काफी समझाइश के बाद व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल को कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित से बातचीत के लिए भेजा गया, लेकिन कलेक्टर की अनुपस्थिति के चलते प्रतिनिधि मंडल बेरंग लौटाया. अजमेर व्यापार मंडल आंदोलन को गति देने का मानस बना रहा है. मंडल के अध्यक्ष किशन गुप्ता ने बताया कि व्यापारी एलिवेटेड ब्रिज का विरोध नहीं कर रहे हैं. व्यापारी चाहते हैं कि बाटा तिराहे पर एलिवेटेड ब्रिज की जो भुजा उतारी जा रही है, वह सीधे मार्टिंडल ब्रिज उतारी जाए. इस तकनीकी अड़चन को सुधार कर व्यापारियों को राहत दी जाए. उन्होंने कहा कि व्यापारी दो माह से आंदोलन कर रहे हैं.
अजमेर लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी, विधायक अनिता भदेल, शहर कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन ने कलेक्टर के साथ हुई पूर्व में बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि किसी सक्षम और अनुभवी इंजीनियर का परामर्श इस अड़चन को दूर करने के लिए लिया जाएगा. प्रशासन अपनी बात पर खरा नहीं उतरा है. बुधवार को प्रशासन और अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के इशारे पर संबंधित ठेका फर्म ने बाटा तिराहे पर काम शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के व्यापारियों ने विरोध स्वरूप धरना देकर और दुकानें बंद की हैं. जरूरत पड़ी तो व्यापारी अजमेर बंद का भी आह्वान करेंगे. अजमेर व्यापार मंडल के प्रवक्ता कमल गंगवाल ने बताया कि बाटा तिराहे पर एलिवेटेड ब्रिज की भुजा उतारना व्यापारियों और आमजन के हित में नहीं है.
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गंगवाल ने कहा कि क्षेत्र में जैन समाज का मंदिर है. महावीर जयंती के अवसर पर यहां से जुलूस निकाला जाता है. बारिश के दिनों में कैसरगंज से सारा पानी वेग के साथ इधर ही आता है. एलिवेटेड ब्रिज की भुजा उतारने पर यहां दीवार बन जाएगी और पानी को निकासी की जगह कब मिलेगी, जिससे दुकानों में पानी भरेगा. प्रशासन को व्यापारियों की तकलीफ को समझना चाहिए. व्यापारियों के धरने के बाद भी मामला नहीं सुलझा है. अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन का रुख क्या होगा? वहीं बाटा तिराहे को बचाने की जतन कर रहे व्यापारी अब अपने आंदोलन को किस दिशा में ले जाएंगे.