अजमेर. खेल एक शारीरिक गतिविधि है, जो हमारी एथलेटिक क्षमताओं का परीक्षण करती है. यह एक तरह का शारीरिक व्यायाम है, जिसमें हम प्रतिद्वंद्वी के साथ पूरी तरह से मनोरंजन के उद्देश्य से प्रतिस्पर्धा करते हैं. खेल तंत्रिकाओं को खोलता है और शरीर को अधिक लचीला, फुर्तीला और उत्तरदायी बनाता है. सभी शारीरिक लाभों के अलावा, एक खेल में भाग लेना आपके मस्तिष्क और समग्र व्यक्तित्व के लिए अद्भुत काम करता है.
वैश्विक कोरोना महामारी ने प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर असर डाला है. मजदूर, गरीब, किसान, छोटे-मंझले व्यापारी, हर वर्ग कोरोना से आहत हुआ है. वहीं, लॉकडाउन के खुलने के बाद भी लोगों की जिंदगी पटरी पर नहीं आ पाई है.
यूं कहें कि लोग अभी उभर नहीं पाए हैं, फिर चाहे वो खिलाड़ी ही क्यों ना हो. हजारों युवा अपनी जिंदगी में कोई ना कोई लक्ष्य चुनते हैं और मंजिल तक पहुंचने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं. वहीं, कई युवा ऐसे हैं जो खेलो में अपना भविष्य देखते हैं और एक मुकाम हासिल करने के लिए कठिन अभ्यास भी करते हैं.
खिलाड़ियों की फिटनेस पर पड़ा प्रभाव...
कोरोना ने खेल और खिलाड़ियों के जीवन पर ऐसा प्रभाव डाला है कि खिलाड़ियों का अभ्यास छूट गया है. लॉकडाउन में घर रहने से उनकी फिटनेस काफी प्रभावित हुई है. वहीं, भविष्य की चिंता को लेकर मानसिक रूप से भी खिलाड़ी परेशान हैं.
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अजमेर में कई खेलों के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. ऐसे में उन खिलाड़ियों के सामने अपनी परफॉर्मेंस को बढ़ाने की बजाय वर्तमान परफॉर्मेंस को बनाये रखना एक चुनौती बन गई है. लॉकडाउन की वजह से खेल मैदान सुने पड़े हुए थे. अनलॉक के बाद कुछ खिलाड़ी मैदान में फिटनेस के लिए आते हैं, लेकिन खेलों की प्रैक्टिस अभी भी नहीं हो पा रही है. जिससे उनके परफॉर्मेंस में ही नहीं बल्कि मनोबल में भी कमी आई है.
दरअसल, सरकार ने खेल टूर्नामेंट पर लगाए गए प्रतिबंध को अब तक नहीं हटाया है. ऐसे में टूर्नामेंट नहीं होंगे तो परफॉर्मेंस और मनोबल खिलाड़ियों का कैसे बना रहेगा. यही वजह है कि खिलाड़ियों में उत्साह की कमी आ गई है.
स्ट्रेंथ और स्टेमिना में आई कमी...
अजमेर के पटेल स्टेडियम में कई तरह के खेलों की ट्रेनिंग के लिए खिलाड़ी सालभर आते रहते हैं, लेकिन वर्तमान में चंद खिलाड़ी ही फिटनेस डेवलप करने के लिए आ रहे हैं. कोरोना के डर से सामूहिक खेल शुरू नहीं हुए हैं. वहीं, इंडिविजवल खेल के चंद खिलाड़ी मैदान आकर केवल अपनी स्ट्रेंथ और स्टेमिना बढ़ा रहे हैं.
फुटबॉल एसोसिएशन के सचिव सुधीर जोसफ बताते हैं कि कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन में खिलाड़ियों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. लॉकडाउन खुलने के बाद भी कोरोना की वजह से घरवाले भी बच्चों को मैदान में भेजने से कतरा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से खिलाड़ियों की स्टेमिना में गिरावट आई है. वहीं, अभ्यास छूटने से उनकी परफॉर्मेंस पर भी काफी असर पड़ा है.
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ट्रेनर शिव पाराशर बताते हैं कि सरकार ने खेल टूर्नामेंट से प्रतिबंध नहीं हटाया है. अप्रैल माह से सितंबर तक ओपन स्कूल और यूनिवर्सिटी के राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं होती थीं. लेकिन कोरोना की वजह से यह प्रतियोगिताएं नहीं हो पाई हैं. ऐसे में खिलाड़ियों का पूरा साल बर्बाद हो गया है.
ट्रेनर प्रदीप गुप्ता बताते हैं कि कोरोना की वजह से खिलाड़ियों के शारारिक ही नही मानसिक प्रभाव पड़ा है. टूर्नामेंट नहीं होने से उनमें उत्साह की कमी आई है. ऐसे में खिलाड़ियों को धैर्य रखना होगा और फिर से जमकर प्रैक्टिस करनी होगी, ताकि आने वाले समय के लिए वो एक बार फिर से उठकर खड़े हो सकें.
जिम बंद होने से भी हो रहा मसल्स को नुकसान...
अक्सर खिलाड़ी अपने फिटनेस से लिए जिमों का भी सहारा लेते हैं, लेकिन अनलॉक 1 के तहत जिम नहीं खोले गए हैं. ऐसे में अब खिलाड़ियों के शरीर पर भी विपरीत असर नजर आने लगा है. खिलाड़ी मांग कर रहे हैं कि जिमों को भी जल्द से जल्द खोला जाए.
खेल मंत्री ने बढ़ाया था खिलाड़ियों का मनोबल...
खेल मंत्री किरन रिजिजू ने कहा था कि लॉकडाउन खत्म होते ही देश के शीर्ष एथलीट्स की ट्रेनिंग दोबारा शुरू हो जाएगी. फिलहाल खिलाड़ियों और बाकी पक्षों को थोड़ा सब्र रखना चाहिए. उन्होंने कहा था कि इसकी योजना तैयार करने के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) ने 6 सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया है. कमेटी के सदस्य अलग-अलग खेल संगठनों और खिलाड़ियों से बात करके योजना तैयार की जाएगी.