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SPECIAL: श्राद्ध पक्ष पर कोरोना का असर, यजमान के घर भोजन करने से कतरा रहे पंडित - श्राद्धपक्ष 2020

पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक श्राद्ध जारी रहेंगे, जिसमें धार्मिक कार्यक्रम के साथ पूजा अर्चना करते हुए ब्राह्मण को भोज करा कर उनको दक्षिणा दी जाती है. कोरोना संक्रमण के डर से इस बार पंड़ित किसी की भी व्यक्ति के घर पर भोजन करने नहीं जा रहे हैं.

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कोरोना में श्राद्धपक्ष
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Published : Sep 2, 2020, 8:50 PM IST

अजमेर. कोरोना का असर जनजीवन पर पड़ने के साथ ही तीज-त्योहारों पर भी पड़ा है. अब पितरों के प्रति श्रद्धा जताने का श्राद्ध पक्ष बुधवार से आरंभ हो गया है. इस बार पंडित-पुरोहितों में कोरोना का डर साफ दिख रहा है.

यजमान के घर भोजन करने से कतरा रहे पंडित

दिवंगत परिजनों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा 2 सितंबर से शुरू होंगे. हालांकि, ज्योतिषविदों के मुताबिक पूर्णिमा का श्राद्ध एक दिन पहले मंगलवार को ही किया जाएगा. इस साल पितृपक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा और इसके बाद मलमास आरंभ हो जाएगा.

सरकार की गाइडलाइन अब सामान्य के साथ ही धार्मिक क्रियाकलापों में भी नजर आने लगी है. श्राद्ध में लोग अपने पूर्वजों के लिए पूजा-अर्चना कर श्राद्ध निकालते हैं. फिर पंडितों को भोजन कराया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते पंडित जी श्राद्ध में भोजन करने से पीछे हट रहे हैं. इस तरह से कोरोना पितरों की शांति में भी रोड़ा बन गया है. पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक श्राद्ध जारी रहेंगे, जिसमें धार्मिक कार्यक्रम के साथ पूजा अर्चना करते हुए ब्राह्मण को भोज करा कर उनको दक्षिणा दी जाती है.

पढ़ें- 2 सितंबर से पितृपक्ष शुरू...कोरोना के चलते बिहार के गया में नहीं होगा पिंडदान

पंडित गोपी चंद शर्मा जानकारी देते हुए बताते हैं कि श्राद्ध की शुरुआत हो चुकी है. कई लोगों का श्राद्ध में भोजन करने के लिए उनके पास फोन भी आ रहा है लेकिन वे कोरोना के फैलते संक्रमण को देखते हुए सभी को मना कर रहे है.

कोरोना संक्रमण ना फैले इसका ध्यान रखते हुए इस बार पंडित किसी की भी व्यक्ति के घर पर भोजन करने नहीं जा रहे हैं. यही समय होता है जब ब्राह्मण समाज के लोगों की कमाई होती है. काफी संख्या में ब्राह्मणों को भोज कराया जाता है. इसके अलावा धार्मिक नगरी पुष्कर में पिंडदान भी किए जाते हैं, जिसमें व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण कर ब्राह्मणों को भोज कराते हैं. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते ब्राह्मण समाज से जुड़े लोग भोजन करने कतरा रहे हैं.

श्राद्ध के दिनों में अनुमानित तौर पर लगभग 500 से 700 पंडित अजमेर की धार्मिक नगरी में आते हैं. वहीं लगभग 1000 पंडितों का रोजगार इन्हीं कर्मकांड के जरिए चलता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण उन पर भी आर्थिक संकट आया है और कहीं ना कहीं पूरे श्राद्ध मास में वे किसी के घर जाकर भोजन करने के लिए मना ही कर रहे हैं.

पढें- श्राद्ध पक्ष समाप्‍त होते ही लग जाएगा अधिकमास, 165 साल बाद बनेगा अद्भुत संयोग

एक परिवार से बात करने पर लोगों ने बताया कि उनके घर में बुधवार को श्राद्ध निकाला गया, जिसमें पूजा अर्चना और धार्मिक क्रियाकलापों के साथ श्राद्ध दिया गया. जिसके बाद श्राद्ध का भोग कौओं को भी दिया गया. इस दिन उनके द्वारा भोजन के लिए ब्राह्मण समाज से जुड़े पंडित को बोला गया लेकिन उन्होंने भोजन करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया. उन्होंने बताया कि कोरोना माहमारी के चलते इस बार वह कहीं भी भोजन नहीं कर रहे हैं.

हालांकि पंडितों ने इसके लिए अब नया हल निकाला है. कुछ पंडितों ने घर जाकर भोजन करने के स्थान पर एक बार के खाने की राशन सामग्री उन्हें देने के लिए कहा है. पुरोहितों को कई जगह श्राद्ध निकलवाने जाना होता है. ऐसे में इस साल बेहद सावधानी के साथ सभी धार्मिक क्रियाकलाप कराए जा रहे हैं. वहीं इसके अलावा पूरे एहतियात के साथ ही बाहर निकल रहे हैं. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना यजमान के घरों में भी की जा रही है.

अजमेर. कोरोना का असर जनजीवन पर पड़ने के साथ ही तीज-त्योहारों पर भी पड़ा है. अब पितरों के प्रति श्रद्धा जताने का श्राद्ध पक्ष बुधवार से आरंभ हो गया है. इस बार पंडित-पुरोहितों में कोरोना का डर साफ दिख रहा है.

यजमान के घर भोजन करने से कतरा रहे पंडित

दिवंगत परिजनों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा 2 सितंबर से शुरू होंगे. हालांकि, ज्योतिषविदों के मुताबिक पूर्णिमा का श्राद्ध एक दिन पहले मंगलवार को ही किया जाएगा. इस साल पितृपक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा और इसके बाद मलमास आरंभ हो जाएगा.

सरकार की गाइडलाइन अब सामान्य के साथ ही धार्मिक क्रियाकलापों में भी नजर आने लगी है. श्राद्ध में लोग अपने पूर्वजों के लिए पूजा-अर्चना कर श्राद्ध निकालते हैं. फिर पंडितों को भोजन कराया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते पंडित जी श्राद्ध में भोजन करने से पीछे हट रहे हैं. इस तरह से कोरोना पितरों की शांति में भी रोड़ा बन गया है. पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक श्राद्ध जारी रहेंगे, जिसमें धार्मिक कार्यक्रम के साथ पूजा अर्चना करते हुए ब्राह्मण को भोज करा कर उनको दक्षिणा दी जाती है.

पढ़ें- 2 सितंबर से पितृपक्ष शुरू...कोरोना के चलते बिहार के गया में नहीं होगा पिंडदान

पंडित गोपी चंद शर्मा जानकारी देते हुए बताते हैं कि श्राद्ध की शुरुआत हो चुकी है. कई लोगों का श्राद्ध में भोजन करने के लिए उनके पास फोन भी आ रहा है लेकिन वे कोरोना के फैलते संक्रमण को देखते हुए सभी को मना कर रहे है.

कोरोना संक्रमण ना फैले इसका ध्यान रखते हुए इस बार पंडित किसी की भी व्यक्ति के घर पर भोजन करने नहीं जा रहे हैं. यही समय होता है जब ब्राह्मण समाज के लोगों की कमाई होती है. काफी संख्या में ब्राह्मणों को भोज कराया जाता है. इसके अलावा धार्मिक नगरी पुष्कर में पिंडदान भी किए जाते हैं, जिसमें व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण कर ब्राह्मणों को भोज कराते हैं. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते ब्राह्मण समाज से जुड़े लोग भोजन करने कतरा रहे हैं.

श्राद्ध के दिनों में अनुमानित तौर पर लगभग 500 से 700 पंडित अजमेर की धार्मिक नगरी में आते हैं. वहीं लगभग 1000 पंडितों का रोजगार इन्हीं कर्मकांड के जरिए चलता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण उन पर भी आर्थिक संकट आया है और कहीं ना कहीं पूरे श्राद्ध मास में वे किसी के घर जाकर भोजन करने के लिए मना ही कर रहे हैं.

पढें- श्राद्ध पक्ष समाप्‍त होते ही लग जाएगा अधिकमास, 165 साल बाद बनेगा अद्भुत संयोग

एक परिवार से बात करने पर लोगों ने बताया कि उनके घर में बुधवार को श्राद्ध निकाला गया, जिसमें पूजा अर्चना और धार्मिक क्रियाकलापों के साथ श्राद्ध दिया गया. जिसके बाद श्राद्ध का भोग कौओं को भी दिया गया. इस दिन उनके द्वारा भोजन के लिए ब्राह्मण समाज से जुड़े पंडित को बोला गया लेकिन उन्होंने भोजन करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया. उन्होंने बताया कि कोरोना माहमारी के चलते इस बार वह कहीं भी भोजन नहीं कर रहे हैं.

हालांकि पंडितों ने इसके लिए अब नया हल निकाला है. कुछ पंडितों ने घर जाकर भोजन करने के स्थान पर एक बार के खाने की राशन सामग्री उन्हें देने के लिए कहा है. पुरोहितों को कई जगह श्राद्ध निकलवाने जाना होता है. ऐसे में इस साल बेहद सावधानी के साथ सभी धार्मिक क्रियाकलाप कराए जा रहे हैं. वहीं इसके अलावा पूरे एहतियात के साथ ही बाहर निकल रहे हैं. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना यजमान के घरों में भी की जा रही है.

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