पुष्कर (अजमेर). महाभारत काल में जिस सोमवती अमावस्या का इतंजार करते-करते पांडव परम धाम पधार गए. उसी सोमवती अमावस्या का कलयुग में विशेष महत्व माना गया है. इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए सोमवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का पवित्र पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर तांता लगने लगा.
सूर्य ग्रहण के प्रभाव से मुक्त होने के कारण कस्बे के ब्रह्मा मंदिर सहित सभी धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए दिन भर खुले रहे. श्रद्धालुओं ने सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की. दिनभर सरोवर के तट पर पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान चलते रहे. किसी ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पिंडदान किए तो किसी ने पितरों को तर्पण देकर उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-पूण्य किया.
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तीर्थ पुरोहितों के अनुसार सोमवती अमावस्या के अवसर पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है. पुरोहितों ने बताया कि श्रद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान कर पितरों का तर्पण करता है. उसको मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है. इन्हीं मान्यताओं के चलते सरोवर के बावन घाटों पर दिनभर श्रद्धालुओं की आवक होती रही. वहीं दूसरी ओर कस्बे की महिलाओं ने पीपल वृक्ष की पूजा कर परिवार के लिए मंगल कामना की.
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गौरतलब है कि स्थानीय प्रशासन ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए घाटों पर तीर्थ यात्रियों और श्रद्धालुओं से मास्क लगाने और 2 गज की दूरी बनाने की समझाइश भी की. इस दौरान 52 घाटों पर पुष्कर थाने का पुलिस जाब्ता सुरक्षा व्यवस्थाओं में तैनात रहा.
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