अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना 809वां उर्स में शिरकत करने के लिए जायरीनों के अजमेर पहुंचने का सिलसिला तेज हो चुका है. देश के विभिन्न स्थानों से आए जायरीन देर रात तक दरगाह में जियारत के लिए पहुंच रहे हैं. हाथों में फूल और चादर लिए जन्नती दरवाजे से गुजरने के लिए होड़ मची है. दरगाह स्थित जन्नती दरवाजे के सामने शहनाई की धुन और सूफियाना कलाम पर जायरीन झूमते हुए नजर आ रहे हैं.
ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में सोमवार रात उर्स की तीसरी महफिल हुई है और मजार शरीफ पर गुस्ल की रस्म को भी अदा किया गया. पूरी दरगाह सूफियाना कलाम के साथ-साथ शहनाई से गूंज रही है. दरगाह शरीफ के एस एफ हशन चिश्ती ने जानकारी देते हुए बताया कि देश की दुनिया के हर कोने से श्रद्धालुओं का आना इस दरबार में लगा रहता है.
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फिलहाल आवक कम
पिछले साल की तुलना में जायरीनों की आवाक काफी कम है. विश्राम स्थली पर सोमवार रात तक मात्र 25 बसें ही पहुंची है. दरगाह क्षेत्र में जायरीनों की संख्या इस बार काफी कम नजर आ रही है. इसके पीछे प्रमुख कारण कोरोना, ट्रेनों का काम चलना माना जा रहा है. दरगाह से जुड़े लोगों का मानना है कि इस बार जारी है. उसके अंतिम 3 दिन में आएंगे ताकी जुंबा और छठी की दुआ में शिरकत कर सके.
इस बार कुछ बदला-बदला सा नजारा
ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में इस बार नजारे कुछ बदले-बदले नजर आ रहे हैं. इस बार पहले की तरह चादर फैला कर नहीं ले जा रहे हैं. वहीं कुछ लोग चादर लेकर आ रहे हैं. वह भी चादरों समेटकर सिर पर रखकर ही ले जा रहे हैं.
नहीं लगी पाकिस्तान और बांग्लादेश की हाजिरी
सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की बारगाह में इस बार उर्स के दौरान कोरोना के चलते पाकिस्तानी जत्था अजमेर नहीं आया है, ना ही बांग्लादेशी जत्था इस बार आया है. खादिम नफीस मियां चिश्ती ने जानकारी देते हुए बताया कि बांग्लादेश के करीब 500 जायरीन नोटिस में हाजिरी देने आते हैं लेकिन इस बार टूरिस्ट वीजा शुरू नहीं होने के कारण बांग्लादेश के जायरीन भी नहीं आ सके.