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अजमेर नगर निगम में खुलेआम चल रहा है भ्रष्टाचार का खेल, सरकार से कार्रवाई की मांग - Corruption in Ajmer Municipal Corporation

शैलेश गुप्ता ने कहा कि नगर निगम आयुक्त डॉ. खुशाल यादव लंबे समय से छुट्टी पर चल रहे हैं. इतने बड़े टेंडर के आवंटन की बोली के दौरान नगर निगम उपायुक्त भी मौके पर मौजूद नहीं थे. ऐसे में भ्रष्ट अधिकारियों ने मिलीभगत करके अपने चहेतों को यह टेंडर आवंटित करवा दिया.

Corruption in Ajmer Municipal Corporation,  Ajmer Municipal Corporation
अजमेर नगर निगम में भ्रष्टाचार
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Published : Jun 19, 2021, 11:13 PM IST

अजमेर. नगर निगम की ओर से निकाली जा रहे टेंडरों में भ्रष्टाचार का आरोप लग रहे हैं. जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मानव अधिकार परिषद के अध्यक्ष शैलेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, स्वायत्त शासन मंत्री, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को सोशल मीडिया तथा ईमेल के जरिए सूचना देकर इन्हें निरस्त करने की मांग की है.

नगर निगम में हो रहा है खुलेआम भ्रष्टाचार

कांग्रेस नेता शैलेश गुप्ता ने कहा कि नगर निगम में अधिकारियों की ओर से किए जा रहे भ्रष्टाचार के किस्से हर दिन सोशल मीडिया और समाचार पत्रों पर छाए रहते हैं. 16 जून को अजमेर नगर निगम की ओर से नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत जितने भी खाद्य सामग्री और अन्य दुकानें हैं उनके नवीनीकरण के लाइसेंस के लिए टेंडर जारी किया गया था. इसमें 43 लाख रुपए से सरकारी बोली शुरू होनी थी, लेकिन दुर्भाग्य से नगर निगम के अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच हुई सांठगांठ की वजह से जो टेंडर दोपहर 2 बजे खोलना था उसे 2:30 से 3:00 बजे तक खोला गया. वही टेंडर में शामिल होने के लिए जो भी ठेकेदार आए उन सभी ने आपसी मिलीभगत के जरिए 43 लाख 5 हजार रुपए में ही टेंडर का आवंटन अपने चहेते लोगों को करवा दिया.

अजमेर नगर निगम में भ्रष्टाचार

पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाने के साथ ही टेंडर प्रक्रिया को निरस्त करने की रखी मांग

शैलेश गुप्ता ने कहा कि नगर निगम आयुक्त डॉ. खुशाल यादव लंबे समय से छुट्टी पर चल रहे हैं. इतने बड़े टेंडर के आवंटन की बोली के दौरान नगर निगम उपायुक्त भी मौके पर मौजूद नहीं थे. ऐसे में भ्रष्ट अधिकारियों ने मिलीभगत करके अपने चहेतों को यह टेंडर आवंटित करवा दिया.

गुप्ता ने कहा कि पहले भी एक टेंडर गुपचुप तरीके से निकाला गया था, जिसमें तगारी फावड़ा आदि खरीदे जाने की लेकिन इस टेंडर को भी गुपचुप तरीके से ही अधिकारियों ने अपने चहेते लोगों को आवंटित कर दिया. गुप्ता ने मांग की है कि नगर निगम के जो भी टेंडर निकाले जाएं वह सार्वजनिक मीडिया के सामने निकाले जाएं या ऐसे कमरे में निकाले जाएं जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है.

गुप्ता ने आरोप लगाया कि नगर निगम में कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं, जिसकी वजह से टेंडर प्रक्रिया के दौरान किसी तरह की कोई पारदर्शिता नहीं रहती. इसीलिए उनकी मांग है की इस पूरी टेंडर प्रक्रिया की जांच की जाए और इसे तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाए.

अजमेर. नगर निगम की ओर से निकाली जा रहे टेंडरों में भ्रष्टाचार का आरोप लग रहे हैं. जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मानव अधिकार परिषद के अध्यक्ष शैलेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, स्वायत्त शासन मंत्री, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को सोशल मीडिया तथा ईमेल के जरिए सूचना देकर इन्हें निरस्त करने की मांग की है.

नगर निगम में हो रहा है खुलेआम भ्रष्टाचार

कांग्रेस नेता शैलेश गुप्ता ने कहा कि नगर निगम में अधिकारियों की ओर से किए जा रहे भ्रष्टाचार के किस्से हर दिन सोशल मीडिया और समाचार पत्रों पर छाए रहते हैं. 16 जून को अजमेर नगर निगम की ओर से नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत जितने भी खाद्य सामग्री और अन्य दुकानें हैं उनके नवीनीकरण के लाइसेंस के लिए टेंडर जारी किया गया था. इसमें 43 लाख रुपए से सरकारी बोली शुरू होनी थी, लेकिन दुर्भाग्य से नगर निगम के अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच हुई सांठगांठ की वजह से जो टेंडर दोपहर 2 बजे खोलना था उसे 2:30 से 3:00 बजे तक खोला गया. वही टेंडर में शामिल होने के लिए जो भी ठेकेदार आए उन सभी ने आपसी मिलीभगत के जरिए 43 लाख 5 हजार रुपए में ही टेंडर का आवंटन अपने चहेते लोगों को करवा दिया.

अजमेर नगर निगम में भ्रष्टाचार

पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाने के साथ ही टेंडर प्रक्रिया को निरस्त करने की रखी मांग

शैलेश गुप्ता ने कहा कि नगर निगम आयुक्त डॉ. खुशाल यादव लंबे समय से छुट्टी पर चल रहे हैं. इतने बड़े टेंडर के आवंटन की बोली के दौरान नगर निगम उपायुक्त भी मौके पर मौजूद नहीं थे. ऐसे में भ्रष्ट अधिकारियों ने मिलीभगत करके अपने चहेतों को यह टेंडर आवंटित करवा दिया.

गुप्ता ने कहा कि पहले भी एक टेंडर गुपचुप तरीके से निकाला गया था, जिसमें तगारी फावड़ा आदि खरीदे जाने की लेकिन इस टेंडर को भी गुपचुप तरीके से ही अधिकारियों ने अपने चहेते लोगों को आवंटित कर दिया. गुप्ता ने मांग की है कि नगर निगम के जो भी टेंडर निकाले जाएं वह सार्वजनिक मीडिया के सामने निकाले जाएं या ऐसे कमरे में निकाले जाएं जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है.

गुप्ता ने आरोप लगाया कि नगर निगम में कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं, जिसकी वजह से टेंडर प्रक्रिया के दौरान किसी तरह की कोई पारदर्शिता नहीं रहती. इसीलिए उनकी मांग है की इस पूरी टेंडर प्रक्रिया की जांच की जाए और इसे तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाए.

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