अजमेर. जिलेभर में शनिवार को CRPF ग्रुप-1 का 52वां स्थापना दिवस मनाया गया. इस अवसर पर शहीदों को याद किया गया. वहीं परेड का आयोजन भी किया गया. इस अवसर पर सीआरपीएफ के अधिकारियों और जवानों के परिवारजन के लिए ग्रुप-1 के मैदान में मेला भी लगाया गया था.
खास बात यह रही कि अनुशासन और सुरक्षा का ध्यान रखने वाले सेना के अफसर खुद ही कोविड-19 की गाइडलाइन को भूल गए. मेले में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं हुई. वहीं कई लोग बिना मास्क के ही मेले में घूमते नजर आए. लोग मेले में विभिन्न खेलों एवं व्यजंनों का आनंद लेते नजर आए. इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी थे.
सीआरपीएफ ग्राउंड में मेला स्थल पर सेनेटाइजर का भी इंतजाम नहीं था. वहीं लोगों को कोविड 19 के प्रति जागरूक करने का भी कोई इंतजाम नहीं था. हालांकि बीच-बीच में सीआरपीएफ अफसर माइक पर मास्क लगाने को लेकर आव्हान कर रहे थे. लेकिन कोरोना से बेफिक्र लोग मेले में परिवार और बच्चों के साथ घूम रहे थे.
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बता दें केंद्र और राज्य सरकार की अनलॉक-3 की गाइड लाइन में भी मेले आदि सामूहिक आयोजनों पर रोक लगी हुई है. ऐसे में सीआरपीएफ ने मेले का आयोजन कर लोगों की जान को खतरे में डाला है. सीआरपीएफ के मुख्य प्रवेश द्वार पर सेनेटाइजर की टनल है. लेकिन वह भी लोगों का इंतजार करती रही. पूरे मेला ग्राउंड में लगे विभिन्न स्टॉल पर लोग भीड़ लगाकर खड़े रहे. कार्यक्रम में 1 से 15 साल तक के बच्चे भी शामिल रहे. सीआरपीएफ के अधिकारी मेले में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की अनिवार्यता होने का दावा करते रहे. लेकिन
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ग्रुप वन के कमांडेंट भरत वैष्णव ने बताया कि 1968 में सीआरपीएफ जीसी-1 की स्थापना हुई थी. उसी के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. शहीदों को याद करने के साथ परेड भी आयोजित की गई थी. इसके बाद सीआरपीएफ जीसी-1 के अधिकारियों और जवानों के परिवार के लिए मेले का आयोजन किया गया था. मेले में कोविड-19 को विशेष ध्यान रखा गया है कि, ताकि लोग मास्क लगा कर आएं और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.