अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह 7 सितंबर से आम जायरीन के लिए खोल दी जाएगी. कोरोना महामारी को देखते हुए कोविड-19 के प्रोटोकॉल की अनुपालना दरगाह खोले जाने के बाद होगी. हालांकि अभी तक किस तरह की व्यवस्थाएं दरगाह में जियारत के दौरान रहेगी, यह फिलहाल तय नहीं किया गया है. जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने दरगाह कमेटी को कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत व्यवस्थाओं का प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए हैं.
जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में व्यवस्थाओं का जायजा लिया. कलेक्टर के साथ एसपी राष्ट्रदीप सहित कई अधिकारी मौजूद रहे. दरगाह खोले जाने के बाद कोविड-19 की गाइडलाइन की पालना किस प्रकार होगी उसको लेकर उन्होंने अधिकारियों से चर्चा की.
दरगाह में कितने लोगों को प्रवेश जियारत के लिए दिया जाएगा. जायरीन की अधिक संख्या होने पर किस प्रकार से भीड़ नियंत्रण की जाएगी सोशल डिस्टेंसिंग की किस प्रकार पालना होगी. वहीं दरगाह परिसर में लगातार आने वाले जायरीन की वजह से संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सैनिटाइज कब और कैसे होगा. यह वह तमाम सवाल है. जिस पर कलेक्टर ने अधिकारियों एवं दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों के साथ दरगाह परिसर में चर्चा की.
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कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार 7 सितंबर को दरगाह को खोला जाएगा. दरगाह खोले जाने को लेकर किस प्रकार का प्रोटोकॉल रहेगा. यह प्रारूप दरगाह कमेटी तैयार कर प्रशासन को सौंपेंगी. प्रारूप को अप्रूव करने के बाद ही दरगाह में जियारत के लिए आम जायरीन को इजाजत दी जाएगी.
एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि दरगाह के कितने गेट खोलेंगे और दरगाह में किस प्रकार से सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम रहेंगे. यह सभी प्रोटोकॉल का प्रारूप तैयार होने के बाद निर्णय लिया जाएगा.
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शुक्रवार का दिन बीत चुका है. 7 सितंबर, सोमवार को राज्य सरकार के निर्देश अनुसार आम जायरीन के लिए दरगाह खोली जानी है. लेकिन अभी तक व्यवस्थाओं को लेकर प्रोटोकॉल तय नहीं है. बता दें कि विश्व विख्यात ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वालों कि देश और दुनिया में कमी नहीं है. गरीब नवाज के अनुयाई दरगाह खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इधर, कोरोना महामारी से संक्रमित लोगो के आंकड़े बढ़ रहे है. ऐसे में 7 सितंबर से दरगाह के खुलने के बाद प्रोटोकॉल की पालना करवा पाना प्रशासन और पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा.