अजमेर. देश-दुनिया के साथ ही राजस्थान में भी क्रिसमस पर्व (christmas festival celebration) की धूम है. पर्व को लेकर ईसाई समुदायों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. अजमेर में भी सभी गिरजाघरों की रौनक देखते ही बन रही है. बाजार भी क्रिसमस पर्व के रंग में रंगा नजर आ रहा है. क्रिसमस ट्री और अन्य सजावटी सामानों की खरीदारी भी लोग कर रहे हैं. घरों में भी विशेष सजावट की गई है तो बेकरी शॉप में केक खरीदने वालों की भीड़ जुट रही है. जाहिर है कोरोना संकट के बाद इस बार लोगों को क्रिसमस की खुशियां मनाने का अवसर मिल रहा है.
देश में ब्रिटिश हुकूमत के वक्त अजमेर अग्रेजों की पसंदीदा जगह रही है. राजस्थान का ह्रदय कहा जाने वाला अजमेर को अंग्रेजों ने सैनिक छावनी बनाया था. बाद में यहां अंग्रेजों ने रेलवे के कारखाने स्थापित करने के साथ ही कई शिक्षण संस्थाएं भी बनाईं. उन शिक्षण संस्थाओं की वजह से बाद में शिक्षा नगरी के रूप में अजमेर की अलग पहचान बनी. इस दरमियान ही अंग्रेज सरकार ने अजमेर में कई खूबसूरत चर्च बनाए. खास बात यह है कि कई वर्षों के बाद भी इन गिरजाघरों की खूबसूरती और मजबूती बरकरार है. ये गिरजाघर उस दौर के स्थापत्य और कारीगरी के बेजोड़ उदाहरण हैं.
क्रिसमस पर प्रभु यीशु के जन्म की खुशियां मनाने को लेकर मसीही समाज में जबरदस्त उत्साह है. शहर के सभी गिरजाघरों की आकर्षक सजावट और भव्यता इसके सौंदर्य को और बढ़ा दे रही है. सभी चर्च रोशनी में नहाए हुए हैं. इसके अलावा मसीही समाज के लोगों ने घरों को भी रोशनी से सजाया है. घर के भीतर भी लोगों ने डेकोरेशन किया है. खासकर क्रिसमस ट्री पर शानदार सजावट देखने को मिल रही है.
दोस्तों संग बांटेगे खुशियां
मसीह समाज के लोगों को खुशी है कि वह इस बार क्रिसमस की खुशियां अपने रिश्तेदारों और परिचितों के साथ भी बाट पाएंगे. स्थानीय व्यक्ति विपिन बैंसिल ने बताया कि बीते दो वर्ष पूरी दुनिया के लिए अच्छे नहीं गुजरे हैं. कोरोना ने कई लोगों को छीन लिया है. संक्रमण के फैलने की आशंका के मद्देनजर लोगों ने अपने त्योहार नहीं मनाए. लेकिन इस बार लोग एक दूसरे के साथ क्रिसमस की खुशियां बांट सकेंगे. सभी चर्च में सामूहिक प्रार्थनाएं होंगी. लोग एक दूसरे के घर भी आ जा सकेंगे.
उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से कई लोगों की जान गई है. ऐसे में उन दिवंगत लोगों के लिए भी प्रार्थना की जाएंगी. स्थानीय विपिन बैंसिल ने बताया कि वह और उनका परिवार ऐसे लोगों के साथ क्रिसमस की खुशियां मनाएगा जो इस खास पर्व को मनाने में सक्षम नही है. स्थानीय युवा स्तुति बताती है कि दो वर्ष के बाद पहले की तरह खुलकर त्यौहार की खुशियां परिवार दोस्तो के साथ बांटने का अवसर मिला है. क्रिसमस पार्टी दोस्तो के साथ प्लान की है. इस बार क्रिसमस से पहले खूब खरीदारी की है.
घर को सजाया जा रहा है. मम्मी ने परिवार, रिश्तेदारों और परिचितों के लिए केक बनाए हैं. क्रिसमस के दिन सुबह चर्च जाएंगे और प्रार्थना में शामिल होंगे. कोरोना से जिन लोगों की जान गई है उनके लिए भी प्रार्थनाएं करेंगे. क्रिसमस को लेकर युवाओं और बच्चों में खासा उत्साह है. बाज़ारों में कपड़े,डेकोरेशन, केक चॉकलेट्स, मिठाइयों की खरीदारी हो रही है. जीवन मे नई उम्मीद के जश्न को मनाने की तैयारियां परवान चढ़ी हुई है. हालांकि इन तैयारियों के बीच भी लोग संक्रमण से बचने के लिए आवश्यक गाइड लाइन का भी पालन कर रहे हैं.
अजमेर में हैं 6 प्रसिद्ध चर्च
अजमेर में अलग-अलग धर्मावलंबियों के लिए कई चर्च बने हैं. इन सभी चर्च मौजूदा स्थिति काफी अच्छी है. अपनी खूबसूरती के कारण आज भी ये चर्च हर किसी को अपनी और आकर्षित करते हैं. यूं तो अजमेर शहर में कई चर्च हैं लेकिन 6 चर्च काफी प्रसिद्ध है. जहां लोग प्रार्थना और आराधना के लिए आते जाते हैं. उनका मकसद प्रेम अमन और शांति है. इन चर्च में रोशन मेमोरियल कैथेड्रिल चर्च, सेंट्रल मेथाडिस्ट चर्च, सैंट एनसलम चर्च शामिल है. जिले की बात करें तो सबसे प्राचीन चर्च ब्यावर में है.
यह है प्राचीन चर्चों की खूबियां
ब्रिटिश हुकूमत के समय से ही अजमेर मसीह धर्मावलंबियों का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. यहां कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट धर्मावलंबी वर्षों से विभिन्न क्षेत्रों में रह रहे हैं। अजमेर में चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में मसीहा धर्मावलंबियों का अहम योगदान है। शहर में बने चर्च अपनी भव्यता और स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। इनमें एंग्लो इंडियन और रोमन फ्रेंच निर्माण शैली दिखाई देती है.
सैंट एनसलम चर्च: सेंट एनसलम स्थित इमेक्यूलेट कन्सेप्शनल चर्च अपनी स्थापत्य कला और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है. इस चर्च में कैथोलिक धर्मावलंबी हर वर्ष क्रिसमस और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते आए हैं. चर्च में संगमरमर का फर्श, फानूस और अन्य प्राचीन सामग्री नायाब है. वहीं इसका भीतरी डिजाइन भी बेमिसाल है.
रॉबसन मेमोरियल चर्च: आगरा गेट स्थित रॉबसन मेमोरियल चर्च भी अपने उत्कृष्ट शैली के लिए प्रसिद्ध है. 400 वर्ष पुराना यह चर्च शहर का केंद्र बिंदु है. यहां वैवाहिक कार्यक्रम, नामकरण संस्कार (बैप्टिज्म) भी होते हैं.
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सेंटिनेरी मेथाडिस्ट चर्च
सेंटिनेरी मेथाडिस्ट चर्च भी करीब 100 वर्ष पुराना है. यह चर्च अपनी आंतरिक साज-सज्जा और अपनी खास बनावट के लिए जाना जाता है. क्रिसमस गुड फ्राइडे और अन्य मौकों पर यहां कार्यक्रम आयोजित होते हैं. प्रत्येक रविवार को मसीही धर्मावलंबी Sunday Mass के लिए आते हैं.
ऑवर लेडी ऑफ सेवन डॉलर्स चर्च
यह चर्च 400 वर्ष पुराना है. इस चर्च के पहले फादर फर्डिनेंड थे. इसके बाद फादर साइमन ने चर्च का विस्तार किया. खास बात यह है कि इस चर्च का डिजाइन प्रभु यीशु के क्रॉस की तरह बना हुआ है.
सेंट मेरीज चर्च: शहर के पाल बिचला स्थित 200 वर्ष पुराना यह गिरजाघर ब्रिटिश काल के दौरान एंग्लो इंडियन धर्मावलंबियों का प्रमुख धार्मिक केंद्र था. आजादी के बाद से ही चर्च में आसपास के क्षेत्रों के धर्मावलंबियों का आना-जाना शुरु हुआ है. इस चर्च में पुराना फर्नीचर, वुडन रूप और संगमरमर के फर्श और आंतरिक सजावट के लिए यह काफी प्रसिद्ध है.
इन गिरजाघरों के अलावा इनकी भी है खास पहचान
हाथी खेड़ा स्थित माउंट कार्मेल चर्च, रेम्बल रोड स्थित हिलव्यू एडवेटिलिस्ट चर्च और केसरगंज स्थित सेंट जोन्स चर्च और परबतपुरा स्थित सेंट जोसेफ चर्च अपनी खास पहचान रखते हैं.