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SPECIAL : 1990 से अजमेर शहर में खिल रहा कमल...कांग्रेस ने नहीं लिया सबक, गुटबाजी ले डूबी - Ajmer Municipal Corporation BJP since 1990

नगर निगम में भाजपा के पिछले बोर्ड पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भी अजमेर नगर निगम में भाजपा फिर से कमल खिलाने में कामयाब हो गई. अजमेर शहर निकाय चुनाव में सन 1990 से लगातार भाजपा अपना बोर्ड बनाती आ रही है. एक बार फिर अजमेर नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई. राजनीतिक विश्लेषक इसे कांग्रेस की स्थानीय फूट का नतीजा बताते हैं.

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अजमेर में 1990 से खिल रहा कमल
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Published : Feb 8, 2021, 7:57 PM IST

Updated : Feb 9, 2021, 3:44 PM IST

अजमेर. अजमेर नगर निगम चुनाव में भाजपा 30 साल से अपना बोर्ड बनाती आ रही है. कांग्रेस के हाथ से इस बार फिर अजमेर नगर निगम निकल गया. खास बात ये है कि कांग्रेस की ऐसी हार अजमेर शहर निकाय चुनाव में पहले कभी नहीं हुई. राजनीति के जानकार लोग कांग्रेस की हार को स्थानीय नेताओं में गुटबाजी का परिणाम मानते हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...

नगर निगम में भाजपा के पिछले बोर्ड पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भी भाजपा नगर निगम में फिर से कमल खिलाने में कामयाब हो गई. अजमेर शहर निकाय चुनाव में सन 1990 से लगातार भाजपा अपना बोर्ड बनाती आ रही है. एक बार फिर अजमेर नगर निगम में कमल का फूल खिला है. चुनाव परिणाम बताते हैं कि पूरी गंभीरता के साथ भाजपा ने चुनाव लड़ा बल्कि असंतुष्ट कार्यकर्ताओं से होने वाले डैमेज को भी कंट्रोल किया.

अजमेर में 1990 से खिल रहा कमल, कांग्रेस की फूट भी बड़ी वजह

टिकट वितरण के असंतोष से भाजपा समय रहते निपटी

भाजपा की ओर से चुनाव की कमान निकाय प्रभारी अरुण चतुर्वेदी और अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी और दक्षिण क्षेत्र से विधायक अनिता भदेल के हाथ में रही. टिकट वितरण को लेकर भाजपा में कुछ असंतोष रहा लेकिन भाजपा ने समय रहते हुए अपने कार्य योजना से सकारात्मक दिशा में ला दिया. 80 में से भाजपा के 48 पार्षद जीत कर आए. जाहिर है यह आंकड़ा बहुमत से भी ज्यादा रहा है. लेकिन सवाल यहां आंकड़ों का नहीं बल्कि जीत और हार का है.

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अजमेर नगर निगम चुनाव परिणाम : राजनीतिक विश्लेषण

कांग्रेस को झेलनी पड़ी मुस्लिम समुदाय की नाराजगी

स्थानीय राजनैतिक विश्लेषक एस पी मित्तल का कहना है कि कांग्रेस ने वार्ड 11, 12 और 13 मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में टिकट ही नही दिए. इस कारण मुस्लिम समुदाय की नाराजगी भी कांग्रेस को झेलनी पड़ी. अजमेर में शहरी मतदाता के तौर पर करीब 40 हजार मुस्लिम है. केवल इन वार्डो में ही नहीं मुस्लिम समुदाय की नाराजगी का असर उन वार्डो में भी कांग्रेस पर पड़ा है जिनमें मुस्लिम समुदाय की आबादी कम है. जाहिर है मुस्लिम समुदाय कांग्रेस का वोट बैंक रहा है. हालांकि कांग्रेसी इसको रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं. टिकटों को लेकर इन तीन वार्डो में काफी रस्साकशी थी. ऐसे में कांग्रेस ने नुकसान से बचने के लिए तीनो वार्डो को ओपन रखा लेकिन कांग्रेस के लिए यह उल्टा पड़ गया. भाजपा ने तीनों वार्डो से प्रत्याशी खड़े किए थे. लेकिन वह ज्यादा वोट नही ले पाए. तीनों वार्डो में निर्दलीय जीतकर आये हैं.

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भाजपा बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, लेकिन फिर भी कांग्रेस लाभ नहीं उठा पाई

पढ़ें- राहुल गांधी 13 फरवरी को राजस्थान में निकाल सकते हैं ट्रैक्टर यात्रा

विपक्ष के रूप में भी कांग्रेस कमजोर

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है ऐसे में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का ऐसा हश्र हुआ है कि विपक्ष में भी कांग्रेस अल्प नजर आ रही है. जबकि भाजपा ने पूरी एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा और उसी का परिणाम है कि नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर पद पर भाजपा का कब्जा बरकरार रहा. पूर्व शहर अध्यक्ष अरविंद यादव बताते हैं कि चुनाव पूरी रणनीति के साथ लड़ा गया. जबकि कांग्रेस में कोई रणनीति ही नहीं थी. कांग्रेस में गुटबाजी बहुत ही ज्यादा हावी रही. अरविंद मानते हैं कि पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यों और नगर निगम बोर्ड के कार्यों पर जनता ने मोहर लगाई है.

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अजमेर नगर निगम में जीते सिर्फ 18 कांग्रेस पार्षद

पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री एवं अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी ने बताया कि 1990 से लगातार अजमेर शहर निकाय चुनाव में भाजपा अपना बोर्ड बनाती आ रही है. भाजपा की जीत का कारण भाजपा के बोर्ड किए गए कार्य को देखते हुए जनता ने भाजपा पर दोबारा भरोसा जताया है.

कांग्रेस में सांसद, विधायक, स्थानीय नेता स्तर तक गुटबाजी

चुनाव में भाजपा की शानदार जीत प्रदेश से लेकर स्थानीय नेताओं के बीच सामंजस्य और एकजुटता का परिणाम है. दूसरी और अजमेर शहर निकाय इस बार भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया. बल्कि हाथ और भी कमजोर हो गया. चुनाव में कांग्रेस के 18 पार्षद ही जीत कर आए. कांग्रेस में वर्षों से गुटबाजी चरम पर है. सांसद, विधायक या निकाय चुनाव अजमेर शहर में स्थानीय नेताओं की गुटबाजी हमेशा कांग्रेस के हाथ को कमजोर करती आई है.

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कांग्रेस की हार की वजह का राजनीतिक विश्लेषण

पढ़ें- 90 में से 50 बोर्ड पर कांग्रेस का कब्जा, 37 पर सिमटी भाजपा...नेताओं ने दी प्रतिक्रिया

यही वजह है कि अजमेर उत्तर और दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस चौथी बार हारी है. निकाय चुनाव में गुटबाजी के कारण कांग्रेस पस्त हो गई. अजमेर में पूर्व विधायक डॉ श्री गोपाल बाहेती और डॉ राजकुमार जयपाल गहलोत गुट के माने जाते हैं. अजमेर उत्तर से विधानसभा चुनाव हारे कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता और दक्षिण क्षेत्र से हारे प्रत्याशी हेमंत भाटी सचिन पायलट गुट से हैं. निवर्तमान शहर अध्यक्ष विजय जैन सचिन पायलट गुट से आते हैं. लेकिन निकाय चुनाव में जैन दोनों पूर्व विधायकों के साथ खड़े नजर आए.

टिकट वितरण से लेकर चुनाव तक कांग्रेस फेल

राजनीति के जानकार एसपी मित्तल की माने तो कांग्रेस में गुटबाजी पहले से ही चरम पर थी. चुनाव के वक्त और बढ़ गई. टिकट वितरण से लेकर चुनाव तक कांग्रेस के नेता एकजुट नजर नहीं आए. कांग्रेस का कोई बड़े स्तर का नेता भी चुनाव में नहीं दिखा. जबकि प्रदेश में कई जगह मंत्रियों ने मेहनत कर कांग्रेस को जीत दिलाई. मित्तल मानते हैं कि कांग्रेस की करारी हार स्थानीय नेताओं में व्याप्त गुटबाजी है.

'भाजपा में भ्रष्टाचार, जनता नहीं समझती'

अजमेर शहर कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि जनता ने भाजपा बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार भी देखे, लेकिन जनता को समझने में दिक्कत आई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में गुटबाजी नहीं है. यह सिर्फ टिकट वितरण से पहले तक थी. उसके बाद सभी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. जनता का जनादेश स्वीकार है.

अजमेर कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी से प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट भी वाकिफ हैं. लेकिन गुटबाजी को दूर कर एक जाजम पर नेताओं को लाने और चुनाव को चुनावी तरीके से लड़ने के प्रयास कांग्रेस में दिखाई नहीं दिए. जिसका खामियाजा कांग्रेस ने इस बार भी भुगता है.

अजमेर. अजमेर नगर निगम चुनाव में भाजपा 30 साल से अपना बोर्ड बनाती आ रही है. कांग्रेस के हाथ से इस बार फिर अजमेर नगर निगम निकल गया. खास बात ये है कि कांग्रेस की ऐसी हार अजमेर शहर निकाय चुनाव में पहले कभी नहीं हुई. राजनीति के जानकार लोग कांग्रेस की हार को स्थानीय नेताओं में गुटबाजी का परिणाम मानते हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...

नगर निगम में भाजपा के पिछले बोर्ड पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भी भाजपा नगर निगम में फिर से कमल खिलाने में कामयाब हो गई. अजमेर शहर निकाय चुनाव में सन 1990 से लगातार भाजपा अपना बोर्ड बनाती आ रही है. एक बार फिर अजमेर नगर निगम में कमल का फूल खिला है. चुनाव परिणाम बताते हैं कि पूरी गंभीरता के साथ भाजपा ने चुनाव लड़ा बल्कि असंतुष्ट कार्यकर्ताओं से होने वाले डैमेज को भी कंट्रोल किया.

अजमेर में 1990 से खिल रहा कमल, कांग्रेस की फूट भी बड़ी वजह

टिकट वितरण के असंतोष से भाजपा समय रहते निपटी

भाजपा की ओर से चुनाव की कमान निकाय प्रभारी अरुण चतुर्वेदी और अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी और दक्षिण क्षेत्र से विधायक अनिता भदेल के हाथ में रही. टिकट वितरण को लेकर भाजपा में कुछ असंतोष रहा लेकिन भाजपा ने समय रहते हुए अपने कार्य योजना से सकारात्मक दिशा में ला दिया. 80 में से भाजपा के 48 पार्षद जीत कर आए. जाहिर है यह आंकड़ा बहुमत से भी ज्यादा रहा है. लेकिन सवाल यहां आंकड़ों का नहीं बल्कि जीत और हार का है.

अजमेर नगर निगम 1990 से बीजेपी, अजमेर निकाय चुनाव परिणाम विश्लेषण, Ajmer Municipal Corporation Election Results 2021, Ajmer Municipal Corporation BJP wins, Ajmer Municipal Corporation Congress Party split, Factionalism in congress ajmer municipal corporation, Ajmer Municipal Corporation BJP since 1990, Ajmer Body Election Results Analysis
अजमेर नगर निगम चुनाव परिणाम : राजनीतिक विश्लेषण

कांग्रेस को झेलनी पड़ी मुस्लिम समुदाय की नाराजगी

स्थानीय राजनैतिक विश्लेषक एस पी मित्तल का कहना है कि कांग्रेस ने वार्ड 11, 12 और 13 मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में टिकट ही नही दिए. इस कारण मुस्लिम समुदाय की नाराजगी भी कांग्रेस को झेलनी पड़ी. अजमेर में शहरी मतदाता के तौर पर करीब 40 हजार मुस्लिम है. केवल इन वार्डो में ही नहीं मुस्लिम समुदाय की नाराजगी का असर उन वार्डो में भी कांग्रेस पर पड़ा है जिनमें मुस्लिम समुदाय की आबादी कम है. जाहिर है मुस्लिम समुदाय कांग्रेस का वोट बैंक रहा है. हालांकि कांग्रेसी इसको रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं. टिकटों को लेकर इन तीन वार्डो में काफी रस्साकशी थी. ऐसे में कांग्रेस ने नुकसान से बचने के लिए तीनो वार्डो को ओपन रखा लेकिन कांग्रेस के लिए यह उल्टा पड़ गया. भाजपा ने तीनों वार्डो से प्रत्याशी खड़े किए थे. लेकिन वह ज्यादा वोट नही ले पाए. तीनों वार्डो में निर्दलीय जीतकर आये हैं.

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भाजपा बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, लेकिन फिर भी कांग्रेस लाभ नहीं उठा पाई

पढ़ें- राहुल गांधी 13 फरवरी को राजस्थान में निकाल सकते हैं ट्रैक्टर यात्रा

विपक्ष के रूप में भी कांग्रेस कमजोर

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है ऐसे में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का ऐसा हश्र हुआ है कि विपक्ष में भी कांग्रेस अल्प नजर आ रही है. जबकि भाजपा ने पूरी एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा और उसी का परिणाम है कि नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर पद पर भाजपा का कब्जा बरकरार रहा. पूर्व शहर अध्यक्ष अरविंद यादव बताते हैं कि चुनाव पूरी रणनीति के साथ लड़ा गया. जबकि कांग्रेस में कोई रणनीति ही नहीं थी. कांग्रेस में गुटबाजी बहुत ही ज्यादा हावी रही. अरविंद मानते हैं कि पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यों और नगर निगम बोर्ड के कार्यों पर जनता ने मोहर लगाई है.

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अजमेर नगर निगम में जीते सिर्फ 18 कांग्रेस पार्षद

पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री एवं अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी ने बताया कि 1990 से लगातार अजमेर शहर निकाय चुनाव में भाजपा अपना बोर्ड बनाती आ रही है. भाजपा की जीत का कारण भाजपा के बोर्ड किए गए कार्य को देखते हुए जनता ने भाजपा पर दोबारा भरोसा जताया है.

कांग्रेस में सांसद, विधायक, स्थानीय नेता स्तर तक गुटबाजी

चुनाव में भाजपा की शानदार जीत प्रदेश से लेकर स्थानीय नेताओं के बीच सामंजस्य और एकजुटता का परिणाम है. दूसरी और अजमेर शहर निकाय इस बार भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया. बल्कि हाथ और भी कमजोर हो गया. चुनाव में कांग्रेस के 18 पार्षद ही जीत कर आए. कांग्रेस में वर्षों से गुटबाजी चरम पर है. सांसद, विधायक या निकाय चुनाव अजमेर शहर में स्थानीय नेताओं की गुटबाजी हमेशा कांग्रेस के हाथ को कमजोर करती आई है.

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कांग्रेस की हार की वजह का राजनीतिक विश्लेषण

पढ़ें- 90 में से 50 बोर्ड पर कांग्रेस का कब्जा, 37 पर सिमटी भाजपा...नेताओं ने दी प्रतिक्रिया

यही वजह है कि अजमेर उत्तर और दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस चौथी बार हारी है. निकाय चुनाव में गुटबाजी के कारण कांग्रेस पस्त हो गई. अजमेर में पूर्व विधायक डॉ श्री गोपाल बाहेती और डॉ राजकुमार जयपाल गहलोत गुट के माने जाते हैं. अजमेर उत्तर से विधानसभा चुनाव हारे कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता और दक्षिण क्षेत्र से हारे प्रत्याशी हेमंत भाटी सचिन पायलट गुट से हैं. निवर्तमान शहर अध्यक्ष विजय जैन सचिन पायलट गुट से आते हैं. लेकिन निकाय चुनाव में जैन दोनों पूर्व विधायकों के साथ खड़े नजर आए.

टिकट वितरण से लेकर चुनाव तक कांग्रेस फेल

राजनीति के जानकार एसपी मित्तल की माने तो कांग्रेस में गुटबाजी पहले से ही चरम पर थी. चुनाव के वक्त और बढ़ गई. टिकट वितरण से लेकर चुनाव तक कांग्रेस के नेता एकजुट नजर नहीं आए. कांग्रेस का कोई बड़े स्तर का नेता भी चुनाव में नहीं दिखा. जबकि प्रदेश में कई जगह मंत्रियों ने मेहनत कर कांग्रेस को जीत दिलाई. मित्तल मानते हैं कि कांग्रेस की करारी हार स्थानीय नेताओं में व्याप्त गुटबाजी है.

'भाजपा में भ्रष्टाचार, जनता नहीं समझती'

अजमेर शहर कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि जनता ने भाजपा बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार भी देखे, लेकिन जनता को समझने में दिक्कत आई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में गुटबाजी नहीं है. यह सिर्फ टिकट वितरण से पहले तक थी. उसके बाद सभी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. जनता का जनादेश स्वीकार है.

अजमेर कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी से प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट भी वाकिफ हैं. लेकिन गुटबाजी को दूर कर एक जाजम पर नेताओं को लाने और चुनाव को चुनावी तरीके से लड़ने के प्रयास कांग्रेस में दिखाई नहीं दिए. जिसका खामियाजा कांग्रेस ने इस बार भी भुगता है.

Last Updated : Feb 9, 2021, 3:44 PM IST
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