अजमेर. अजमेर नगर निगम चुनाव में 80 में से 79 वार्डों के लिए मतगणना रविवार को होगी. 31 जनवरी को तय हो जाएगा कि किस वार्ड में जनता ने किसके सिर जीत का सहारा बांधा है. मतदान के दूसरे दिन भाजपा ने नगर निगम में बोर्ड बनने की उम्मीद में मेयर और डिप्टी मेयर के लिए अपने प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी कर दी. वहीं कांग्रेस भी कहां पीछे रहने वाली थी. शनिवार को कांग्रेस ने भी प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी कर दी है. बता दें कि कांग्रेस ने 74 वार्डों में ही अपने प्रत्याशी उतारे थे.
अजमेर में नगर निगम चुनाव काफी रोचक मोड पर हैं. टिकट वितरण से उपजी बगावत कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती बनी हुई है. दोनों ही प्रमुख दल नगर निगम में बोर्ड बनाने का दावा कर रहे हैं. लेकिन कहीं ना कहीं दोनों ओर इस बात का संशय भी बरकरार है कि निर्दलीय कहीं निर्णायक ना बन जाएं. बीजेपी की तर्ज पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की शनिवार को बाड़ेबंदी शुरू कर दी है. अजमेर क्लब में कांग्रेस प्रत्याशियों को एकत्रित किया गया है.
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बाड़ेबंदी में भी कांग्रेस की गुटबाजी सामने आई. अजमेर दक्षिण से विधायक का चुनाव हारे हेमंत भाटी ने बाड़ेबंदी से दूरी बनाई हुई है. दक्षिण क्षेत्र से कोली समाज के 12 से अधिक कांग्रेस प्रत्याशी बाड़ेबंदी में नजर नहीं आए. वहीं क्षेत्र के कई वार्डों में से निर्दलीय प्रत्याशी भी उनके संपर्क में हैं. इधर, अजमेर उत्तर विधानसभा से विधायक प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने भी दूरी बना ली है. कांग्रेस के 74 में से 47 प्रत्याशी ही बाड़ेबंदी में पहुंचे हैं.
दरअसल कांग्रेस में अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग नेताओं ने अपनाया हुआ है. नगर निगम चुनाव में टिकट वितरण में शहर अध्यक्ष विजय जैन, पूर्व विधायक डॉ. गोपाल बाहेती और डॉ. राजकुमार जयपाल की चली. इस कारण हेमंत भाटी और महेंद्र सिंह रलावता नाराज चल रहे हैं. कांग्रेस प्रत्याशियों को एकत्रित करने के पीछे एक मकसद यह भी है कि कांग्रेस के विरुद्ध जाने वाले नेताओं को बेनकाब किया जाए. फिलहाल जैन, बाहेती और जयपाल का गुट इस मामले में तेज दिख रहा है, संगठन के बुलावे पर भी जो प्रत्याशी नहीं आए हैं उनकी सूची डॉ. रघु शर्मा और पीसीसी अध्यक्ष को भेजी जाएगी.
पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने कहा कि नेताओं में भले ही गुटबाजी हो लेकिन कार्यकर्ता सभी एकजुट थे. बाहेती ने दावा किया है कि नगर निगम में बोर्ड इस बार कांग्रेस का ही बनेगा. बाड़ेबन्दी में आए कांग्रेस के प्रत्याशियों को निष्ठा और प्रलोभन में नहीं आने का पाठ पढ़ाया जा रहा है. जनता ने प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कर दिया है. 31 जनवरी को सब स्पष्ट हो जाएगा. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि कांग्रेस को बोर्ड बनाने की संभावनाएं मिलती है या नहीं और अगर मिलती हैं तो कांग्रेस एकजुट हो पाती है या नहीं.