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बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर लगाकर दी माता को विदाई

पश्चिम बंगाल की तर्ज पर अजमेर में मनाया गया दुर्गा पूजन उत्सव. बता दें कि शहर के इंडोर स्टेडियम में स्थापना से लेकर 9 दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और आराधना की जाती है. जिसके बाद मंगलवार यानी विजयदशमी के दिन मां को सिंदूर लगाकर और मुंह मीठा करवा कर विदाई दी गई.

ajmer bangali durga puja, अजमेर में दुर्गा पूजा
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Published : Oct 8, 2019, 5:03 PM IST

अजमेर. बंगाली समाज के लिए दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार है. माता की स्थापना से लेकर 9 दिन पूजा-अर्चना और आराधना सब कुछ खास है. अजमेर में बंगाली समाज 35 वर्षों से पारंपरिक रूप से दुर्गा पूजा उत्सव मानता आ रहा है. इंडोर स्टेडियम में विजयदशमी के दिन माता को सिंदूर लगाकर और मुंह मीठा करवा कर विदाई दी गई.

मान्यता है कि माँ दुर्गा अपने परिवार के साथ पहले नवरात्रा को सुसराल आती है. सुसराल में माता की आव भगत होती है. बंगाली समाज भी माता के साथ गणेश कार्तिकेय लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमाओं की स्थापना करते हैं. 9 दिन तक दुर्गा पूजन उत्सव धूमधाम से परंपरा के अनुसार मनाया जाता है. विजयदशमी के दिन माता को विदाई दी जाती है. अजमेर के इंडोर स्टेडियम में बंगाली समाज ने अपनी परंपराओं के अनुसार माता के सिंदूर लगाया साथ ही माता का मुंह मीठा भी करवाया. बाद में उपस्थित सभी महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया.

अजमेर में दुर्गा पूजा

ये पढ़ें: हनुमान बेनीवाल ने हर बार दादागिरी से जीता चुनाव, इस बार पता चलेगा मुकाबला क्या होता है : हरेंद्र मिर्धा

अजमेर में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना से लेकर विसर्जन तक बंगाली समाज वो सभी धार्मिक परम्पराएं निभाता है, जो पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजन उत्सव में निभाई जाती है. यही वजह है कि जयपुर में भी दुर्गा पूजन उत्सव होने के बावजूद समाज के लोग अजमेर में आकर उत्सव में शरीक होते है. उत्साह और आपसी प्रेम उत्सव की सबसे बड़ी विशेषता है.

ये पढ़ें: जयपुर में शस्त्र पूजन के दौरान बोले संघ के प्रांत बौद्धिक प्रमुख - पाकिस्तान भी आरएसएस से खाता है खौफ

उत्सव के आयोजन में सबसे ज्यादा भूमिका महिलाओ की रहती है. विजय दशमी के दिन माता को सिंदूर लगाकर महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाती है. समाज के बुजुर्ग विभूति दत्ता बताते है कि अजमेर में 35 वर्षो से दुर्गा पूजन उत्सव का आयोजन हो रहा है. 9 दिन माता की पूजा अर्चना की जाती है वहीं विजयदशमी के दिन समाज की महिलाएं माता को सिंदूर लगाती है. इसके बाद विवाहित महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर माता से सुहागिन होने का आशीर्वाद मांगती है.

अजमेर. बंगाली समाज के लिए दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार है. माता की स्थापना से लेकर 9 दिन पूजा-अर्चना और आराधना सब कुछ खास है. अजमेर में बंगाली समाज 35 वर्षों से पारंपरिक रूप से दुर्गा पूजा उत्सव मानता आ रहा है. इंडोर स्टेडियम में विजयदशमी के दिन माता को सिंदूर लगाकर और मुंह मीठा करवा कर विदाई दी गई.

मान्यता है कि माँ दुर्गा अपने परिवार के साथ पहले नवरात्रा को सुसराल आती है. सुसराल में माता की आव भगत होती है. बंगाली समाज भी माता के साथ गणेश कार्तिकेय लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमाओं की स्थापना करते हैं. 9 दिन तक दुर्गा पूजन उत्सव धूमधाम से परंपरा के अनुसार मनाया जाता है. विजयदशमी के दिन माता को विदाई दी जाती है. अजमेर के इंडोर स्टेडियम में बंगाली समाज ने अपनी परंपराओं के अनुसार माता के सिंदूर लगाया साथ ही माता का मुंह मीठा भी करवाया. बाद में उपस्थित सभी महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया.

अजमेर में दुर्गा पूजा

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अजमेर में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना से लेकर विसर्जन तक बंगाली समाज वो सभी धार्मिक परम्पराएं निभाता है, जो पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजन उत्सव में निभाई जाती है. यही वजह है कि जयपुर में भी दुर्गा पूजन उत्सव होने के बावजूद समाज के लोग अजमेर में आकर उत्सव में शरीक होते है. उत्साह और आपसी प्रेम उत्सव की सबसे बड़ी विशेषता है.

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उत्सव के आयोजन में सबसे ज्यादा भूमिका महिलाओ की रहती है. विजय दशमी के दिन माता को सिंदूर लगाकर महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाती है. समाज के बुजुर्ग विभूति दत्ता बताते है कि अजमेर में 35 वर्षो से दुर्गा पूजन उत्सव का आयोजन हो रहा है. 9 दिन माता की पूजा अर्चना की जाती है वहीं विजयदशमी के दिन समाज की महिलाएं माता को सिंदूर लगाती है. इसके बाद विवाहित महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर माता से सुहागिन होने का आशीर्वाद मांगती है.

Intro:अजमेर। बंगाली समाज के लिए दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार है। माता की स्थापना से लेकर 9 दिन पूजा अर्चना और आराधना सब कुछ खास है। अजमेर में बंगाली समाज 35 वर्षो से पारंपरिक रूप से दुर्गा पूजा उत्सव मानता आ रहा है। इंडोर स्टेडियम में विजयदशमी के दिन माता को सिंदूर लगाकर एवं मुह मीठा करवा कर विदाई दी। 
मान्यता है कि माँ दुर्गा अपने परिवार के साथ पहले नवरात्रा को सुसराल आती है। सुसराल में माता की आव भगत होती है। थी उसी प्रकार बंगाली समाज भी माता के साथ गणेश कार्तिकेय लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमाओं की स्थापना करते हैं 9 दिन तक दुर्गा पूजन उत्सव धूमधाम से परंपरा के अनुसार मनाया जाता है। विजयदशमी के दिन माता को विदाई दी जाती है। अजमेर के इंडोर स्टेडियम में बंगाली समाज ने अपनी परंपराओं के अनुसार माता के सिंदूर लगाया साथ ही माता का मुंह मीठा भी करवाया। बाद में उपस्थित सभी महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया ...
बाइट- गीताली दास- सदस्य बंगाली समाज 
अजमेर में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना से लेकर विसर्जन तक बंगाली समाज वो सभी धार्मिक परम्पराएं निभाता है जो पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजन उत्सव में निभाई जाती है। यही वजह है कि जयपुर में भी दुर्गा पूजन उत्सव होने के बावजूद समाज के लोग अजमेर में आकर उत्सव में शरीक होते है। उत्साह और आपसी प्रेम उत्सव की सबसे बड़ी विशेषता है ... ....
बाइट- गीतांजलि चक्रवर्ती - सदस्य बंगाली समाज- जयपुर
उत्सव के आयोजन में सबसे ज्यादा भूमिका महिलाओ की रहती है। विजय दशमी के दिन माता को सिंदूर लगाकर महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाती है। समाज के बुजुर्ग विभूति दत्ता बताते है कि अजमेर में 35 वर्षो से दुर्गा पूजन उत्सव का आयोजन हो रहा है। 9 दिन माता की पूजा अर्चना की जाती है वही विजयदशमी के दिन समाज की महिलाएं माता को सिंदूर लगाती है। इसके बाद विवाहित महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर माता से सुहागिन होने का आशीर्वाद मांगती है....
बाइट- विभूति दत्ता- बुजुर्ग - बंगाली समाज 
पश्चिम बंगाल की तर्ज पर 35 वर्षो से दुर्गा पूजन उत्सव की परंपरा साकार हो रही है। माता की भक्ति के साथ समाज में स्नेह मिलन दुर्गा पूजन उत्सव में मिठास घोल देता है। समाज के लोगों ने खुशी खुशी माता को विदाई देकर सुख आरोग्य सौभाग्य की मंगलकामनाएं की। 


Body:प्रियांक शर्मा
अजमेरConclusion:
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