अजमेर. आज बुधवार को बकरीद के मौके पर आजमेर दरगाह (Ajmer Dargah) में जायरीन के लिए जन्नती दरवाजा खोला दिया गया है. जायरीन जन्नती दरवाजे से होकर आस्ताने में ख्वाजा गरीब नवाज (Dargah Hazrat Khawaja Gharib Nawaz) की मजार पर कदमबोशी करते हैं.
माना जाता है कि ऐसा करने पर जायरीन की दिली मुरादें पूरी होने के साथ उसे मरने के उपरांत जन्नत नसीब होती है. यही वजह है कि इस खास मौके पर आए जायरीन को जन्नती दरवाजा खुलने का बेसब्री से इंतजार था.
ईद उल अजहा (Eid al-Adha 2021) के मौके पर परंपरा अनुसार दरगाह में जन्नती दरवाजा आम जायरीन के लिए खोल दिया गया है. मंगलवार देर रात से ही जायरीन जन्नती दरवाजे के खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. जन्नती दरवाजा खुलते ही मौजूद जायरीन ने इसमें दाखिल होकर जियारत की.
जानकारी के अनुसार दोपहर में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार की खिदमत के वक्त तक जन्नती दरवाजा खुला रहेगा. इसके बाद मामूल (बंद) कर दिया जाएगा. बता दें कि कोरोना महामारी को लेकर जारी राज्य सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार अकीदतमन्दों को दरगाह में जियारत की स्वीकृति मिली हुई है. यही वजह है कि सुबह से ही जन्नती दरवाजे से होकर आस्ताने में जाने के लिए जायरीन में होड़ लगी हुई है.
दरगाह के खादिम सैयद बाबा जहूर चिश्ती ने बताया कि जन्नती दरवाजा वर्ष में 4 मर्तबा खोला जाता है. ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के अलावा ईद (Eid) के अवसर पर जन्नति दरवाजा काम जायरीन के लिए खोला जाता है. उन्होंने बताया कि देश के कोने कोने से जायरीन दरगाह में इस खास मौके पर जियारत करने के लिए अजमेर आए हैं, लेकिन कोरोना की वजह से दरगाह परिसर में मौजूद अकबरी और शाहजहानी मस्जिद में वह नमाज नहीं पढ़ पाने का उन्हें मलाल है.
जायरीन अपनी परेशानियों का हल पाने और मुरादे पूरी होने की हसरत लिए दूर-दूर से आए हैं, लेकिन दरगाह परिसर में मौजूद मज्जिदों में नमाज अदा नहीं कर पाने का अफसोस उन्हें रहेगा. कोरोना की गाइडलाइन (Corona Guideline) को लेकर कैसरगंज स्थित ईदगाह में भी हर वर्ष होने वाली नमाज नहीं हो पाई है. प्रशासन ने इसकी स्वीकृति नहीं दी. यही वजह रही कि दरगाह कमेटी ने भी ईदगाह में नमाज के लिए कोई तैयारियां नहीं की थी. हालांकि, चंद लोगों ने ईदगाह में नमाज अदा की है. शहर की शेष मज्जिदों में भी नमाज हुई, लेकिन नमाज के लिए भीड़ नहीं जुटी. लोगों ने कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए अजमेर में ईद उल अजहा के मौके पर अपने घरों में ही रह कर नमाज अदा की.
कोरोना का दिखा असर : कोरोना और महंगाई का असर ईद उल अजहा के पर्व पर भी देखने को मिला. इस मौके पर बकरों की बिक्री गत वर्ष की तुलना में इस बार काफी कम रही. वहीं, महंगाई का असर भी बकरों की कीमत पर दिखाई दिया. गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 5 से 7 हजार रुपये तक बकरों की कीमत महंगी रही. यही वजह है कि कई लोगों ने कुर्बानी का इरादा इस बार स्थगित कर दिया है. ज्यादातर लोग बड़े की साझी कुर्बानी की तरफ उनका ज्यादा रुख रहा है. इधर बाजारों में भी खरीदारी को लेकर सुस्ती ही रही.