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Special : एक घटना और बदल गया जीने का तरीका...रिचेल की रहनुमाई से बेजुबानों को मिल रही 'जिंदगी' - टॉल्फा हॉस्पिटल अजमेर

अजमेर दरगाह में जियारत करने आईं इंग्लैंड की रिचेल राइट के जीवन को यहां घटी एक घटना ने पूरी तरह बदल दिया. उन्होंने अजमेर में आवारा पशुओं के रेस्क्यू को लेकर की जाने वाली क्रूरता को देखा और उनका मन पसीज उठा. इंग्लैंड में सरकारी अस्पताल की नर्स रिचेल ने तय किया कि वे भारत रहकर पशु सेवा के लिए काम करेंगी. देखिये ये स्पेशल रिपोर्ट...

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अजमेर में टॉल्फा अस्पताल
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Published : Nov 6, 2020, 5:58 PM IST

अजमेर. इंग्लैंड में सरकारी अस्पताल में नर्स का काम करने वाली रिचेल राइट भारत भ्रमण के लिए आई थीं. इस दौरान 2005 में अजमेर दरगाह में जियारत करने पहुंची रिचेल ने यहां पशु क्रूरता की एक घटना देखी, जिसने उनके मन को बेचैन कर दिया. जिसके बाद उन्होंने तय किया कि वे भारत में रहकर आवारा पशुओं की सेवा और चिकित्सा के क्षेत्र में काम करेंगी. रिचेल के लिए यह बड़ा चैलेंज था. इसे पूरा करने के लिए रिचेल ने इंडिया को ही अपना घर बना लिया. वर्ष 2006 में उन्होंने अजमेर में पशुओं के लिए एक हॉस्पिटल की स्थापना की, जिसमें वह अब तक करीब 3 लाख से अधिक जानवरों की जान बचा चुकी हैं.

अजमेर में टॉल्फा अस्पताल...

पशुप्रेम खींच लाया सात समंदर पार से...

बेजुबान जानवरों की सेवा करने का जुनून रिचेल को सात समंदर पार से अजमेर खींच लाया. इंग्लैंड के एक सरकारी अस्पताल में नर्स की नौकरी करके रिचेल को प्रतिमाह 1 लाख वेतन मिल रहा था, लेकिन रिचेल ने जानवरों की सेवा के लिए अपना वतन तक छोड़ दिया. अजमेर के खरखेड़ी में उनके अस्पताल टॉल्फा में अब आवारा जानवरों का निशुल्क इलाज किया जाता है.

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पशुप्रेम की मिसाल बन गईं रिचेल...

पढ़ें- जेएलएन अस्पताल में मरीज की मौत का मामला, कोर्ट ने पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के दिए आदेश

निगम के कर्मचारियों ने दिया था रिचेल को चैलेंज...

जब रिचेल अजमेर आईं थी तो यहां एक समारोह की तैयारी चल रही थी. उस दौरान शहर में नगर निगम के कर्मचारी आवारा कुत्तों को पकड़ने के अभियान में जुटे थे. उनकी क्रूरतापूर्ण कार्यप्रणाली देखकर रिचेल को बहुत तकलीफ हुई. रिचेल ने निगम कर्मचारियों से एतराज जताया तो उन्होंने चैलेंज दे दिया. कहा कि आपको तकलीफ है तो आप ही पकड़ कर बता दीजिए. नगर निगम के कर्मचारियों के चैलेंज को पूरा करते हुए रिचेल ने एक आवारा कुत्ते को सहलाते हुए पकड़कर ट्रॉली में डाल दिया.

पढ़ें- अजमेर: आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने किया कार्य बहिष्कार

TOLFA नाम से रिचेल का पशु अस्पताल...

रिचेल के TOLFA अस्पताल में हर साल 4 से 5 हजार पशुओं को इलाज के लिए भर्ती किया जाता है. वर्तमान में हॉस्पिटल में 250 से अधिक कुत्ते, गाय गधे ऊंट बकरी आदि सहित लगभग 400 पशुओं का इलाज चल रहा है. इनमें से 60 स्थाई तौर पर अस्पताल में ही रह रहे हैं. इनमें ज्यादातर कुत्ते और बिल्ली हैं, जो ठीक से चलने में सक्षम नहीं हैं. टॉल्फा के पीआरओ प्रवीण कुमार ने बताया कि ऐसे जानवरों को सड़क पर छोड़ने से इनके मारे जाने का खतरा बना रहता है. उन्होंने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी लावारिस जानवर को गोद लेना चाहता है तो उसे निशुल्क दिया जाता है. साथ ही उस जानवर को लाइफटाइम मुफ्त इलाज भी दिया जाता है.

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अब तक 3 लाख पशुओं का उपचार...

सरकार से मदद की उम्मीद...

रिचेल के पति राजेश कुमार इस संस्था से नौकरी करने के लिए जुड़े थे. बाद में रिचेल ने उनसे विवाह कर लिया. राजेश का कहना है कि सरकार अगर संस्था की मदद करे तो यहां कई कमियों को दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि टॉल्फा रेस्क्यू प्रोग्राम के तहत लावारिस और बीमार जानवरों की सूचना 9829965595 नंबरों पर दी जा सकती है. खरखेड़ी के आसपास के सभी गांव अजयसर, कालीपुरा, खेड़ा, ढाणी सहित अन्य गांव के जानवरों का निशुल्क उपचार भी संस्था की ओर से किया जा रहा है.

अजमेर. इंग्लैंड में सरकारी अस्पताल में नर्स का काम करने वाली रिचेल राइट भारत भ्रमण के लिए आई थीं. इस दौरान 2005 में अजमेर दरगाह में जियारत करने पहुंची रिचेल ने यहां पशु क्रूरता की एक घटना देखी, जिसने उनके मन को बेचैन कर दिया. जिसके बाद उन्होंने तय किया कि वे भारत में रहकर आवारा पशुओं की सेवा और चिकित्सा के क्षेत्र में काम करेंगी. रिचेल के लिए यह बड़ा चैलेंज था. इसे पूरा करने के लिए रिचेल ने इंडिया को ही अपना घर बना लिया. वर्ष 2006 में उन्होंने अजमेर में पशुओं के लिए एक हॉस्पिटल की स्थापना की, जिसमें वह अब तक करीब 3 लाख से अधिक जानवरों की जान बचा चुकी हैं.

अजमेर में टॉल्फा अस्पताल...

पशुप्रेम खींच लाया सात समंदर पार से...

बेजुबान जानवरों की सेवा करने का जुनून रिचेल को सात समंदर पार से अजमेर खींच लाया. इंग्लैंड के एक सरकारी अस्पताल में नर्स की नौकरी करके रिचेल को प्रतिमाह 1 लाख वेतन मिल रहा था, लेकिन रिचेल ने जानवरों की सेवा के लिए अपना वतन तक छोड़ दिया. अजमेर के खरखेड़ी में उनके अस्पताल टॉल्फा में अब आवारा जानवरों का निशुल्क इलाज किया जाता है.

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पशुप्रेम की मिसाल बन गईं रिचेल...

पढ़ें- जेएलएन अस्पताल में मरीज की मौत का मामला, कोर्ट ने पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के दिए आदेश

निगम के कर्मचारियों ने दिया था रिचेल को चैलेंज...

जब रिचेल अजमेर आईं थी तो यहां एक समारोह की तैयारी चल रही थी. उस दौरान शहर में नगर निगम के कर्मचारी आवारा कुत्तों को पकड़ने के अभियान में जुटे थे. उनकी क्रूरतापूर्ण कार्यप्रणाली देखकर रिचेल को बहुत तकलीफ हुई. रिचेल ने निगम कर्मचारियों से एतराज जताया तो उन्होंने चैलेंज दे दिया. कहा कि आपको तकलीफ है तो आप ही पकड़ कर बता दीजिए. नगर निगम के कर्मचारियों के चैलेंज को पूरा करते हुए रिचेल ने एक आवारा कुत्ते को सहलाते हुए पकड़कर ट्रॉली में डाल दिया.

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TOLFA नाम से रिचेल का पशु अस्पताल...

रिचेल के TOLFA अस्पताल में हर साल 4 से 5 हजार पशुओं को इलाज के लिए भर्ती किया जाता है. वर्तमान में हॉस्पिटल में 250 से अधिक कुत्ते, गाय गधे ऊंट बकरी आदि सहित लगभग 400 पशुओं का इलाज चल रहा है. इनमें से 60 स्थाई तौर पर अस्पताल में ही रह रहे हैं. इनमें ज्यादातर कुत्ते और बिल्ली हैं, जो ठीक से चलने में सक्षम नहीं हैं. टॉल्फा के पीआरओ प्रवीण कुमार ने बताया कि ऐसे जानवरों को सड़क पर छोड़ने से इनके मारे जाने का खतरा बना रहता है. उन्होंने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी लावारिस जानवर को गोद लेना चाहता है तो उसे निशुल्क दिया जाता है. साथ ही उस जानवर को लाइफटाइम मुफ्त इलाज भी दिया जाता है.

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अब तक 3 लाख पशुओं का उपचार...

सरकार से मदद की उम्मीद...

रिचेल के पति राजेश कुमार इस संस्था से नौकरी करने के लिए जुड़े थे. बाद में रिचेल ने उनसे विवाह कर लिया. राजेश का कहना है कि सरकार अगर संस्था की मदद करे तो यहां कई कमियों को दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि टॉल्फा रेस्क्यू प्रोग्राम के तहत लावारिस और बीमार जानवरों की सूचना 9829965595 नंबरों पर दी जा सकती है. खरखेड़ी के आसपास के सभी गांव अजयसर, कालीपुरा, खेड़ा, ढाणी सहित अन्य गांव के जानवरों का निशुल्क उपचार भी संस्था की ओर से किया जा रहा है.

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