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अजमेर के इस परिवार को देख सारे सरकारी दावे फेल नजर आते हैं...20 साल से झेल रहा गरीबी का दंश - जयपुर

यूं तो देश में गरीबी को मिटाने के लिए सरकार बड़े बड़े दावे करती है. नई नई योजनाएं लागू करती है, लेकिन अजमेर के सबलपुरा गांव में एक ऐसा परिवार भी है जो 20 साल से गरीबी की मार झेल रहा है. सरकारी योजनाओं को तरस गया है.

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Published : Jul 31, 2019, 9:06 PM IST

अजमेर. प्रदेश में केंद्र सरकार अलग-अलग योजनाओं का हर ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों को मिलने का दावा कर रही है. वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. यही नजारा मसूदा के मोयणा ग्राम पंचायत के सबलपुरा गांव में देखने को मिला है, जहां एक गरीब परिवार सरकार की एक भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पा पाया है. यह परिवार गांव में शादी ब्याह में ढोल बजाने का काम करता है. इसलिए गांव के आर्थिक सहयोग से गुजर बसर कर रहा है. 4 बच्चों सहित गिरधारी और उसकी पत्नी सहित 6 लोगों का परिवार है जो अपने भाई नेनू जाचक के साथ सबलपुरा में पिछले कई सालों से रहा है. कई सरकारें आई और कई सरकारें गई, लेकिन इन परिवारों से जैसे सरकारों को कोई सरोकार ही नहीं है.

अजमेर के इस परिवार को देख सारे सरकारी दावे फेल नजर आते हैं

इस कच्चे मकान में गरिबी की दंश झेल रहे रामदेव का कहना है की पहले दोनों भाई मिट्टी के कच्चे मकान में रहते थे लेकिन 5 साल पहले बरसात से इनका मकान ढह गया. तब से अब तक दोनों भाई अपने तीसरे भाई के मकान में रह रहे है. तीनों भाई अपने परिवार सहित एक इतने से कच्चे मकान में अपने परिवार सहित बसर कर रहे है. इनको न तो आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान स्वीकृत हुए और न ही किसी योजनाओं का लाभ मिला. गिरधारी ने बताया कि मेरे नाम दो बीघा जमीन भी है, लेकिन उसको भी बोने के लिए मेरे पास पैसा नहीं है. जबकि सहकारिता विभाग ने फसल बोने के लिए खाद और बीज लाने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति बना रखी है. जिसमें से किसानों को फसल की बुवाई करने के लिए पैसा मिलता है. लेकिन सहकारी समिति से भी आज तक खाद बीज का लोन नहीं मिला.

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इनका का कहना है कि गरीबी के कारण वह अपने बच्चों को स्कूल में दाखिल भी नहीं कर सका. वहीं एक बच्चा एक आंख से अंधा है. अपनी स्थिति कमजोर होने की वजह से वह अपने बड़े भाई के मकान में पिछले कई सालों से रह रहा है. लेकिन परेशानी तो यह है कि जिस मकान में ये रह रहे है. यह मकान कभी भी धराशाई हो सकता है. दूसरी ओर मसुदा विधानसभा का दावा है कि सबसे ज्यादा विकास भी मोयणा ग्राम पंचायत में हुआ है, लेकिन यहां की स्थिति विपरित देखने को मिल रही है. वही जब सरपंच से इस बारे में जानकारी जुटाने चाही तो सरपंच ने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया.

बहरहाल हम तो यहीं कहेंगे की इस सरकार से सर पर छत और खाने को दो वक्त की रोटी हर नागरीक को मिले. आखिर देश में गरिबी को हटाना ही तो हमारी सरकार का पहला उदेश्य है. अब देखना यही है की सरकार इस समस्या पर किताना जागरुक होती है और इन्हें इस बदहाली से कब बाहर निकालती है.

अजमेर. प्रदेश में केंद्र सरकार अलग-अलग योजनाओं का हर ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों को मिलने का दावा कर रही है. वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. यही नजारा मसूदा के मोयणा ग्राम पंचायत के सबलपुरा गांव में देखने को मिला है, जहां एक गरीब परिवार सरकार की एक भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पा पाया है. यह परिवार गांव में शादी ब्याह में ढोल बजाने का काम करता है. इसलिए गांव के आर्थिक सहयोग से गुजर बसर कर रहा है. 4 बच्चों सहित गिरधारी और उसकी पत्नी सहित 6 लोगों का परिवार है जो अपने भाई नेनू जाचक के साथ सबलपुरा में पिछले कई सालों से रहा है. कई सरकारें आई और कई सरकारें गई, लेकिन इन परिवारों से जैसे सरकारों को कोई सरोकार ही नहीं है.

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इस कच्चे मकान में गरिबी की दंश झेल रहे रामदेव का कहना है की पहले दोनों भाई मिट्टी के कच्चे मकान में रहते थे लेकिन 5 साल पहले बरसात से इनका मकान ढह गया. तब से अब तक दोनों भाई अपने तीसरे भाई के मकान में रह रहे है. तीनों भाई अपने परिवार सहित एक इतने से कच्चे मकान में अपने परिवार सहित बसर कर रहे है. इनको न तो आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान स्वीकृत हुए और न ही किसी योजनाओं का लाभ मिला. गिरधारी ने बताया कि मेरे नाम दो बीघा जमीन भी है, लेकिन उसको भी बोने के लिए मेरे पास पैसा नहीं है. जबकि सहकारिता विभाग ने फसल बोने के लिए खाद और बीज लाने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति बना रखी है. जिसमें से किसानों को फसल की बुवाई करने के लिए पैसा मिलता है. लेकिन सहकारी समिति से भी आज तक खाद बीज का लोन नहीं मिला.

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इनका का कहना है कि गरीबी के कारण वह अपने बच्चों को स्कूल में दाखिल भी नहीं कर सका. वहीं एक बच्चा एक आंख से अंधा है. अपनी स्थिति कमजोर होने की वजह से वह अपने बड़े भाई के मकान में पिछले कई सालों से रह रहा है. लेकिन परेशानी तो यह है कि जिस मकान में ये रह रहे है. यह मकान कभी भी धराशाई हो सकता है. दूसरी ओर मसुदा विधानसभा का दावा है कि सबसे ज्यादा विकास भी मोयणा ग्राम पंचायत में हुआ है, लेकिन यहां की स्थिति विपरित देखने को मिल रही है. वही जब सरपंच से इस बारे में जानकारी जुटाने चाही तो सरपंच ने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया.

बहरहाल हम तो यहीं कहेंगे की इस सरकार से सर पर छत और खाने को दो वक्त की रोटी हर नागरीक को मिले. आखिर देश में गरिबी को हटाना ही तो हमारी सरकार का पहला उदेश्य है. अब देखना यही है की सरकार इस समस्या पर किताना जागरुक होती है और इन्हें इस बदहाली से कब बाहर निकालती है.

Intro:अजमेर के सबलपुरा गाव में एक परिवार सरकारी योजनाओं को तरस गया तो वहाँ केंद्र और राज्य सरकार की भी दावों की पोल खुल गईBody:
अजमेर,
प्रदेश में केंद्र सरकार अलग-अलग योजनाओं का हर ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों को मिलने का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है यही नजारा मसूदा के मोयणा ग्राम पंचायत के सबलपुरा गांव में देखने को मिला है जहां एक गरीब परिवार सरकार की एक भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पा ले पाया है यह परिवार गांव में शादी ब्याह में ढोल बजाने का काम करता है इसलिए गांव के आर्थिक सहयोग से गुजर बसर कर रहा है 4 बच्चों सहित गिरधारी और उसकी पत्नी सहित 6 लोगों का परिवार है जो अपने भाई नेनू जाचक के साथ सबलपुरा में पिछले कई वर्षों से निवास कर रहा है कई सरकारें आई और कई सरकारें गई मगर इन परिवारों से जैसे सरकारों को कोई सरोकार नहीं है पहले दोनों भाई मिट्टी के कच्चे मकानों में रहते थे मगर पिछले 5 साल पहले गिरधारी का कच्चा मकान बरसात मैं गिर गया उसके बाद अपने छोटे भाई के मिट्टी के कच्चे मकान में रह रहा है और उसका छोटा भाई नेनू अपने दूसरे भाई के मकान में रह रहा है ने तो इनको आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान स्वीकृत हुए और नहीं और किसी योजनाओं का लाभ मिला गिरधारी ने बताया कि मेरे नाम दो बीघा जमीन भी है मगर उसको भी बोने के लिए मेरे पास पैसा नहीं है जबकि सहकारिता विभाग ने फसल बोने के लिए खाद और बीज लाने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति बना रखी है जिसमें से किसानों को फसल की बुवाई करने के लिए पैसा मिलता है मगर सहकारी समिति से भी आज तक खाद बीज का लोन नहीं मिला जिससे दो बीघा जमीन की बुवाई भी नहीं कर सकते बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला भी नहीं हो सका इसी का जायजा लेते हुए हमारी टीम ने जमीनी स्तर को देखते हुए सबलपुरा निवासी गिरधारी जाचक अपनी स्थिति को देखते हुए खुद का मकान भी नहीं बना पाया गिरधारी का कहना है कि गरीबी के कारण वह अपने बच्चों को स्कूल में दाखिल भी नहीं कर सका वहीं एक बच्चा एक आंख से अंधा विकलांग है अपनी स्थिति कमजोर होने की वजह से वह अपने बड़े भाई के मकानों में पिछले कई सालों से रह रहा है लेकिन परेशानी तो यह है कि जिस मकान में गिरधारी रह रहा है वह मकान कभी भी धराशाई हो सकता है देखने वाली बात ही है की उस मकान में जगह जगह लकड़ी के स्तंभ लगाकर छत को नीचे गिरने से रोक रखा अगर लकड़ी के खंभे नहीं हो तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है वही मसुदा विधानसभा का दावा है कि सबसे ज्यादा विकास भी मोयणा ग्राम पंचायत में हुआ है लेकिन यहां तो स्थिति कुछ उल्टी ही देखने को मिल रही है


बाईट-महिला-ग्रामीणConclusion:अब यह देखने वाली बात होगी कि पीड़ित परिवार ने ईटीवी भारत से अपनी समस्या सरकार तक पहुंचाने का सहारा लिया इस पर ईटीवी भारत ने योजनाओं से वंचित परिवार के घर पर जाकर जमीनी हकीकत देखी तो पैरों तले से जमीन खिसक गई वही जब सरपंच से इस बारे में जानकारी जुटाने चाही तो सरपंच ने कैमरे के सामने से मना कर दिया लेकिन क्या अब मीडिया के दखल के बाद परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को लेकर अधिकारी व जनप्रतिनिधि कितना गंभीर है यह तो समय ही बताएगा
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