अजमेर. प्रदेश में केंद्र सरकार अलग-अलग योजनाओं का हर ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों को मिलने का दावा कर रही है. वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. यही नजारा मसूदा के मोयणा ग्राम पंचायत के सबलपुरा गांव में देखने को मिला है, जहां एक गरीब परिवार सरकार की एक भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पा पाया है. यह परिवार गांव में शादी ब्याह में ढोल बजाने का काम करता है. इसलिए गांव के आर्थिक सहयोग से गुजर बसर कर रहा है. 4 बच्चों सहित गिरधारी और उसकी पत्नी सहित 6 लोगों का परिवार है जो अपने भाई नेनू जाचक के साथ सबलपुरा में पिछले कई सालों से रहा है. कई सरकारें आई और कई सरकारें गई, लेकिन इन परिवारों से जैसे सरकारों को कोई सरोकार ही नहीं है.
इस कच्चे मकान में गरिबी की दंश झेल रहे रामदेव का कहना है की पहले दोनों भाई मिट्टी के कच्चे मकान में रहते थे लेकिन 5 साल पहले बरसात से इनका मकान ढह गया. तब से अब तक दोनों भाई अपने तीसरे भाई के मकान में रह रहे है. तीनों भाई अपने परिवार सहित एक इतने से कच्चे मकान में अपने परिवार सहित बसर कर रहे है. इनको न तो आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान स्वीकृत हुए और न ही किसी योजनाओं का लाभ मिला. गिरधारी ने बताया कि मेरे नाम दो बीघा जमीन भी है, लेकिन उसको भी बोने के लिए मेरे पास पैसा नहीं है. जबकि सहकारिता विभाग ने फसल बोने के लिए खाद और बीज लाने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति बना रखी है. जिसमें से किसानों को फसल की बुवाई करने के लिए पैसा मिलता है. लेकिन सहकारी समिति से भी आज तक खाद बीज का लोन नहीं मिला.
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इनका का कहना है कि गरीबी के कारण वह अपने बच्चों को स्कूल में दाखिल भी नहीं कर सका. वहीं एक बच्चा एक आंख से अंधा है. अपनी स्थिति कमजोर होने की वजह से वह अपने बड़े भाई के मकान में पिछले कई सालों से रह रहा है. लेकिन परेशानी तो यह है कि जिस मकान में ये रह रहे है. यह मकान कभी भी धराशाई हो सकता है. दूसरी ओर मसुदा विधानसभा का दावा है कि सबसे ज्यादा विकास भी मोयणा ग्राम पंचायत में हुआ है, लेकिन यहां की स्थिति विपरित देखने को मिल रही है. वही जब सरपंच से इस बारे में जानकारी जुटाने चाही तो सरपंच ने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया.
बहरहाल हम तो यहीं कहेंगे की इस सरकार से सर पर छत और खाने को दो वक्त की रोटी हर नागरीक को मिले. आखिर देश में गरिबी को हटाना ही तो हमारी सरकार का पहला उदेश्य है. अब देखना यही है की सरकार इस समस्या पर किताना जागरुक होती है और इन्हें इस बदहाली से कब बाहर निकालती है.