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उपमहापौर का सरकार पर आरोप: कोरोना से मौत के आंंकड़ों को छिपाने वाले जादूगर बन गए हैं गहलोत - Pressure on administration to hide data

कोरोना संक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अब बच्चों में संक्रमण के कई केस सामने आ रहे हैं. श्मशान घाटों पर रोजाना बड़ी संख्या में शव लाए जा रहे हैं. वहीं नगर निगम के उपमहापौर नीरज जैन ने जिला प्रशासन पर मौतों का आंकड़ा छिपाने का आरोप लगाया है.

अजमेर में कोरोना, उपमहापौर का गहलोत सरकार पर आरोप,  मौत का आंकड़ा छिपाने का आरोप, Gehlot government accused of deputy mayor,  Accused of hiding the figure of death,  Ajmer deputy mayor accused
अजमेर उपमहापौर का सरकार पर आरोप
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Published : May 27, 2021, 7:29 AM IST

अजमेर. कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर का खतरा भी मंडराने लगा है. दूसरी लहर में कोरोना से मौतों के आंकड़े भले ही जो भी हो लेकिन श्मशान में चिताओं की संख्या कुछ और ही तस्वीर बयां कर रहीं हैं. नगर निगम के उपमहापौर ने आरोप लगाया है कि सरकार का प्रशासन पर दबाव है कि वह कोरोना से मौत के आंकड़े छुपाए, लेकिन अजमेर के मोक्षधाम में जलती चिताएं इसकी पोल खोल रही हैं.

अजमेर उपमहापौर का सरकार पर आरोप

जिले में जनवरी से अप्रैल तक प्रति माह 700-750 तक मौतें हुई हैं. वहीं मई में 1185 का आंकड़ा है. 30 अप्रैल के बाद जेएलएन हॉस्पिटल से मई तक के आंकड़े की जानकारी अभी तक नगर निगम को भी नही भेजी गई है, जिस कारण इस माह मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन पाए हैं.

पढ़ें: जैसलमेर में कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज बेकार नहीं गई, डॉक्टरों ने छीजत की 10 फीसदी डोज भी लगा दी

उपमहापौर नीरज जैन ने बताया कि गत वर्ष इसी समय बनाए जाने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र की संख्या औसत 350- 400 थी. जैन ने कहा कि सीएम अशोक गहलोत अब मौत के आंकड़े छुपाने वाले बाजीगर बने हुए हैं. हाल ये है कि केवल मौतें ही नहीं RT- PCR टेस्ट की गति धीमी कर कोरोना पॉजिटिव के आंकड़े भी छिपाए जा रहे हैं. गहलोत का ध्यान कोरोना जांच के बजाय विधायकों के लोयलटी टेस्ट पर अधिक है. हालात यह है कि गांवों में केवल जांच करवाने के आदेश हुए हैं लेकिन आज तक एंटीजन टेस्ट केवल हवा हवाई आदेश से ज़्यादा नज़र नहीं आ रहे हैं. इसी का दुष्परिणाम है कि गांवों में मौतों की संख्या बढ़ी है. सरकार सिर्फ उनको झुठलाने में लगी है.

पढ़ें: CM के बयान पर हमला : सतीश पूनिया ने कहा- हम बच्चों को बचा नहीं पाएंगे कहकर मुख्यमंत्री ने दिखाई गैर जिम्मेदारी, पैनिक क्रिएट कर रहे

नीरज जैन ने यह भी कहा कि जेएलएन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का ख़ामियाज़ा कई परिवारों को चुकाना पड़ा. जिन्होंने अपने परिजन को ऑक्सीजन न मिलने के कारण खोया है. उसके बाद भी प्रशासन अपनी गलती सुधारने के बजाय यह कहता रहा कि कोई भी मौत ऑक्सीजन बंद होने से नहीं हुई है. जबकि पार्षद भारती जांगिड़ की मौत के समय ही कलेक्टर से बात कर इससे अवगत करवाया गया था.

तब कलेक्टर राजपुरोहित ने स्वतंत्र तकनीकी टीम से इसकी जांच करवाने का आश्वासन दिया था. मंगलवार को भारतीय सेना के तकनीकी जांच दल ने ऑक्सीजन प्लांट में कई ख़ामियां पकड़ीं जिसमें साफ हो गया कि ऑक्सीजन की बर्बादी होती रही और अस्पताल प्रशासन के दावे हवाहवाई रहे. जैन ने मांंग की है कि मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए एवं भारतीय सेना की तकनीकी जांच दल की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए.

अजमेर. कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर का खतरा भी मंडराने लगा है. दूसरी लहर में कोरोना से मौतों के आंकड़े भले ही जो भी हो लेकिन श्मशान में चिताओं की संख्या कुछ और ही तस्वीर बयां कर रहीं हैं. नगर निगम के उपमहापौर ने आरोप लगाया है कि सरकार का प्रशासन पर दबाव है कि वह कोरोना से मौत के आंकड़े छुपाए, लेकिन अजमेर के मोक्षधाम में जलती चिताएं इसकी पोल खोल रही हैं.

अजमेर उपमहापौर का सरकार पर आरोप

जिले में जनवरी से अप्रैल तक प्रति माह 700-750 तक मौतें हुई हैं. वहीं मई में 1185 का आंकड़ा है. 30 अप्रैल के बाद जेएलएन हॉस्पिटल से मई तक के आंकड़े की जानकारी अभी तक नगर निगम को भी नही भेजी गई है, जिस कारण इस माह मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन पाए हैं.

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उपमहापौर नीरज जैन ने बताया कि गत वर्ष इसी समय बनाए जाने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र की संख्या औसत 350- 400 थी. जैन ने कहा कि सीएम अशोक गहलोत अब मौत के आंकड़े छुपाने वाले बाजीगर बने हुए हैं. हाल ये है कि केवल मौतें ही नहीं RT- PCR टेस्ट की गति धीमी कर कोरोना पॉजिटिव के आंकड़े भी छिपाए जा रहे हैं. गहलोत का ध्यान कोरोना जांच के बजाय विधायकों के लोयलटी टेस्ट पर अधिक है. हालात यह है कि गांवों में केवल जांच करवाने के आदेश हुए हैं लेकिन आज तक एंटीजन टेस्ट केवल हवा हवाई आदेश से ज़्यादा नज़र नहीं आ रहे हैं. इसी का दुष्परिणाम है कि गांवों में मौतों की संख्या बढ़ी है. सरकार सिर्फ उनको झुठलाने में लगी है.

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नीरज जैन ने यह भी कहा कि जेएलएन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का ख़ामियाज़ा कई परिवारों को चुकाना पड़ा. जिन्होंने अपने परिजन को ऑक्सीजन न मिलने के कारण खोया है. उसके बाद भी प्रशासन अपनी गलती सुधारने के बजाय यह कहता रहा कि कोई भी मौत ऑक्सीजन बंद होने से नहीं हुई है. जबकि पार्षद भारती जांगिड़ की मौत के समय ही कलेक्टर से बात कर इससे अवगत करवाया गया था.

तब कलेक्टर राजपुरोहित ने स्वतंत्र तकनीकी टीम से इसकी जांच करवाने का आश्वासन दिया था. मंगलवार को भारतीय सेना के तकनीकी जांच दल ने ऑक्सीजन प्लांट में कई ख़ामियां पकड़ीं जिसमें साफ हो गया कि ऑक्सीजन की बर्बादी होती रही और अस्पताल प्रशासन के दावे हवाहवाई रहे. जैन ने मांंग की है कि मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए एवं भारतीय सेना की तकनीकी जांच दल की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए.

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