अजमेर. अजमेर में खोबरा नाथ भैरव मंदिर का इतिहास पुष्कर में जगत पिता ब्रह्मा के सृष्टि यज्ञ से जुड़ा है. बताया जाता है कि काशी के भैरव को सृष्टि यज्ञ की सुरक्षा के लिए बुलाया गया था, तब काशी के भैरव इस स्थान पर रुके थे जहां आज खोबरा नाथ भैरव का मंदिर है.
आनासागर से सटी पहाड़ी पर स्थित खोबरा नाथ भैरव को साहदी या शादी देव भी कहा जाता है. मान्यता है कि कुंवारे युवक-युवतियों के मंदिर में दीप जलाने और पताशे, लौंग एवं जायफल का भोग लगाने से उन्हें मनचाहे वर या वधु की प्राप्ति होती है. खासकर दिवाली के दिन मंदिर में कुंवारों का मेला लगता है.
धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर में कई तीर्थ स्थल हैं. जहां से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. इनमें से एक धार्मिक स्थल है खोबरा भैरव नाथ भैरव मंदिर. यूं तो वर्षभर इस मंदिर में लोगों का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन दिवाली पर यहां विशेष रौनक रहती है. दिवाली के दिन मंदिर में कुंवारे युवक-युवतियों का मेला लगा रहता है. इनके अलावा नव दंपती भी आशीर्वाद के लिए मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.
खोबरा भैरवनाथ मंदिर कायस्थ समाज के लोगों के आराध्य देव माने जाते हैं. यहां की व्यवस्था खोबरा भैरवनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से की जाती है. खोबरा भैरवनाथ एक गुफा में विराजे हैं. धीरे-धीरे इस गुफा को मंदिर का स्वरूप मिल गया है. यहां से आनासागर का दृश्य भी बेहद ही सुंदर नजर आता है. दीपावली पर कायस्थ समाज से जुड़े लोग बड़ी संख्या में मंदिर में आते हैं. यहां हर समाज और धर्म के लोग आते हैं. जिसकी मनोकामना यहां पूर्ण हो जाती है वह मंदिर में वर्ष में एक बार जरूर आता है.
खोबरा भैरवनाथ मंदिर के बारे में मान्यता
पंडित ललित शर्मा बताते हैं कि खोबरा भैरवनाथ मंदिर का इतिहास पुष्कर में जगतपिता ब्रह्मा के सृष्टि यज्ञ से जुड़ा हुआ है. शर्मा बताते हैं कि जब ब्रह्मा ने सृष्टि यज्ञ किया था तो उसकी सुरक्षा के लिए काशी से भैरव नाथ को भी बुलाया गया था. भैरवनाथ इस स्थान पर गुफा में रुके थे, यहीं पर उन्होंने धूनी भी जलाई थी. इसके बाद भैरवनाथ पुष्कर गए थे. तब से यह स्थान पूजनीय हो गया है. उन्होंने बताया कि चौहान वंश के राजा आराध्य देवी चामुंडा माता और खोबरा नाथ भैरव की पूजा किया करते थे.
अजमेर में मराठाओं के शासन के वक्त खोबरा नाथ भैरव मंदिर का विस्तार और विकास हुआ. उन्होंने बताया कि वर्षों से यहां खोबरा भैरवनाथ की सेवा पूजा होती आई है. मंदिर से विभिन्न जातियों के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. यहां मान्यता है कि खोबरा नाथ भैरव मंदिर में दीया जलाने से कुंवारे युवक-युवतियों को वर वधु की प्राप्ति होती है, इसलिए खोबरा भैरवनाथ को शादी देव भी कहा जाता है. विशेषकर दिवाली के दिन यहां कुंवारे युवक-युवतियों का मंदिर में दर्शनों के लिए आना-जाना लगा रहता है. मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु खोबरा नाथ भैरव के चोला भी चढ़ाते हैं.
खोबरा नाथ भैरव मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोग दिवाली पर होने वाले विशेष कार्यक्रम को लेकर तैयारियों में जुट चुके हैं. मंदिर परिसर को नए रंग रोगन से सजाया गया है, साफ-सफाई भी हो चुकी है. दिवाली के दिन मंदिर में विशेष पूजा होती है. वहीं देश भर में अजमेर से जुड़े कायस्थ समाज के लोग मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आते हैं.
ट्रस्ट के उपाध्यक्ष विष्णु प्रसाद माथुर ने बताया कि जिन युवक-युवतियों के विवाह में अड़चनें आती हैं, वे यहां दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं. मनोकामना पूर्ण होने के बाद नव दंपती भी मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं और उन्हें यहां से संतान का आशीर्वाद मिलता है.