अजमेर. अजमेर नगर निगम के नए निर्वाचित बोर्ड की पहली साधारण सभा मंगलवार को जवाहर रंग मंच पर काफी हंगामेदार रही. साधारण सभा में साल 2021-22 के 349 करोड़ के बजट का अनुमोदन किया गया. साथ ही साधारण सभा के छह बिंदुओं पर चर्चा भी की गई. इनमें प्रस्ताव संख्या 5 के दो बिंदुओं को छोड़कर सभी प्रस्तावों को सदन में पारित कर लिया गया है.
अजमेर नगर निगम की साधारण सभा की बैठक की शुरुआत से ही हंगामा शुरू हो गया. साल 2021-22 के बजट में 15 करोड़ रुपए की कटौती किए जाने को लेकर भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने अपना विरोध जताया. वहीं नगर निगम के अधिकारियों को आड़े हाथों लिया. पार्षदों का आरोप था कि बजट प्रस्ताव को लेकर कई खामियां थी. अधिकारियों ने प्रस्ताव बनाने में भी उदासीनता दिखाई.
बता दें कि साल 2020-21 का बजट 365 करोड़ था. लेकिन इस साल का बजट 349 करोड़ ही रखा गया. पार्षदों का कहना था कि परिसीमन के बाद वालों की संख्या 60 से 80 हो गई है. ऐसे में बजट में बढ़ोतरी की जानी चाहिए थी. बजट कम किए जाने को लेकर पार्षदों ने अधिकारियों पर उंगलियां उठाई. इस पर नगर निगम के लेखाकार डॉ नीरज वैष्णव ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि नगर निगम की आय कम होने की वजह से बजट में कमी की गई है. पार्षदों ने शादी समारोह स्थलों के पंजीयन, शहर में बिछाई जा रही गैस पाइपलाइन, दुकानों की लीज, नगरीय कर, तीर्थयात्री कर सहित कई मुद्दों को लेकर नगर निगम की आय बढ़ाने के लिए सुझाव दिये.
बीजेपी पार्षद रमेश सोनी ने स्ट्रीट लाइट के मेंटेनेंस और खराब लाइटों को बदलकर नई लाइटे लगवाने, अमृत योजना के तहत सीवेज लाइन के लिए स्वीकृत 1100 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए लेकिन 223 करोड़ ही खर्च करने का मुद्दा उठाया वही सीवेज कार्यो में बड़े पाइप लाइन बिछाने की भी मांग की. कांग्रेसी पार्षद नोरत गुर्जर ने निर्माण कार्य का बजट घटाने को लेकर आपत्ति जताई. कांग्रेसी पार्षद द्रोपदी कोली ने हृदय योजना में बजट शून्य रखने पर सवाल किया. वहीं बीजेपी पार्षद देवेंद्र सिंह शेखावत ने बजट में खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों के मद में भी बजट में प्रावधान रखने की मांग रखी.
कांग्रेसी पार्षद श्याम प्रजापति ने अन्नपूर्णा रसोई का योजना का बजट कम करने पर नाराजगी जताई. साथ ही अन्नपूर्णा रसोई योजना के प्रचार प्रसार के लिए गांधी भवन चौराहे पर लगे विज्ञापनों से सीएम का फोटो गायब करने को लेकर भी अपनी आपत्ति दर्ज करवाई. इसके अलावा आवारा जानवरों को पकड़ने को लेकर बजट में की गई कटौती पर भी कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों ने अपना विरोध जताया. हाउस टैक्स के लिए सर्वे और वसूली के कार्य को प्राइवेट फॉर्म को देने का कांग्रेसी पार्षदों ने जमकर विरोध जताया.
सदन के बीच कांग्रेसी पार्षद धरने पर बैठ गए. आखिरकार प्रस्ताव संख्या 5 में शामिल हाउस टैक्स के बिंदु को अगली साधारण सभा में चर्चा के लिए छोड़ दिया गया. नगर निगम की मेयर बृजलता हाडा ने कहा कि शहर के विकास के लिए बजट का अनुमोदन कर लिया गया है सभी पार्षदों ने सौहार्द वातावरण में बैठक के एजेंडे पर चर्चा की है. जिन बिंदुओं पर सहमति बनी है उन्हें अगली साधारण सभा की बैठक के लिए छोड़ दिया गया. कांग्रेस के पार्षद गजेंद्र सिंह रलावता ने कहा कि नगरिय कर को ठेके पर देना जनहित में नहीं है. जयपुर उदयपुर नगर निगम ने पूर्व में ऐसा करके देख लिया है.
कांग्रेस के पार्षद नोरत गुर्जर ने कहा कि जन सुविधा से जुड़े जितने भी कार्य हैं उन्हें ठेके पर देना यह उचित नहीं है. कांग्रेस के पार्षदों ने इसका विरोध जताया है. गुर्जर ने भाजपा बोर्ड पर ठेका प्रथा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने माना कि बजट बनाने में अधिकारियों से चूक हुई है. उन्होंने कहा कि बजट में कमी आने से कहीं ना कहीं विकास पर इसका असर पड़ेगा. जैन ने बताया कि विज्ञापन शुल्क बढ़ाने एवं कर्मचारियों के स्थायीकरण के प्रस्ताव को भी पारित किया गया.
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सफाई कर्मचारियों के स्थायीकरण और नियुक्ति का मुद्दा भी सदन में उठा
साल 2018 में सफाई कर्मचारियों की भर्ती में 1100 सफाई कर्मचारियों को नियुक्ति मिली थी. लेकिन 2 वर्ष बाद भी उन्हें स्थाई नहीं किया गया. कांग्रेस के पार्षद द्रोपदी कोली ने साधारण सभा की बैठक में सफाई कर्मचारियों को स्थाई करने की मांग उठाई. इसके अलावा वर्ष 2012 में 180 सफाई कर्मचारियों की अटकी नियुक्ति को लेकर कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों में सदन में लिए गए प्रस्ताव को सरकार को भेजने की मांग की.
बीजेपी पार्षद अजय वर्मा ने 180 सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला उच्च न्यायालय में लंबित होने को लेकर अपने सुझाव दिए. वर्मा ने कहा कि 2 सफाई कर्मचारियों को लेकर नगर निगम ने जो एसएलपी अदालत में दायर की है उसे वापस लिया जाए तभी 180 सफाई कर्मचारियों के नियुक्ति का रास्ता भी साफ हो जाएगा. मामले में विधि विशेषज्ञों से राय लेकर 180 सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले में आए गतिरोध को दूर करने कि सभी पार्षदों ने मांग की है.