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लॉकडाउन इफेक्ट: अजमेर में स्क्रैप व्यापार को 200 करोड़ का नुकसान, घाटे से उबरने में लगेगा लंबा वक्त

अजमेर में बड़े पैमाने पर स्क्रैप (कबाड़) का कारोबार किया जाता है. सरकार की ओर से लगाए गए 18 प्रतिशत जीएसटी के कारण यह व्यापार पहले ही धीमा था कि लॉकडाउन ने स्क्रैप व्यवसाय की कमर तोड़कर रख दी. देखिए से ये स्पेशल रिपोर्ट..

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अजमेर में मंद पड़ा स्क्रैप व्यापार
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Published : Jun 14, 2020, 3:45 PM IST

अजमेर. कोरोना के कारण लागू हुए लॉकडाउन को तो अनलॉक कर दिया गया है, लेकिन इसका इफेक्ट अब भी बरकरार है. लॉकडाउन का जितना असर अन्य क्षेत्रों या व्यापारों पर पड़ा है उतना ही असर स्क्रैप (कबाड़) के व्यापार पर भी पड़ा है. Unlock 1.0 में भी स्क्रैप व्यापारी अन्य राज्यों से माल नहीं खरीद पा रहे हैं और ना ही माल अन्य राज्यों में बेच पा रहे हैं. हालात यह कि स्क्रैप के गोदाम सूने पड़े हैं. व्यापारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और लेबर काम नहीं मिलने से परेशान है.

अजमेर में ठप पड़ा स्क्रैप व्यापार

अजमेर में श्रीनगर रोड पर स्क्रैप का व्यापार बीते 2 दशक से ऐसा फलफूल गया है कि देश के कई राज्यों से अजमेर के स्क्रैप व्यापारी बड़ी मात्रा में माल खरीदने और बेचने लगे. वर्तमान में स्क्रैप पर 18 फीसदी जीएसटी है. जबकि पूर्व में 5 फीसदी वैट था. स्क्रैप व्यापार पर 18 फीसदी जीएसटी का ऐसा प्रभाव पड़ा कि व्यापार की रफ्तार धीमी हो गई. व्यापारी इससे उभरने की कोशिश कर ही रहे थे कि वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से व्यापार कमर सी टूट गई है.

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स्क्रैप व्यापार से जुड़े लोग परेशान

छोटे-बड़े करीब 500 स्क्रैप व्यापारी

अजमेर में स्क्रैप व्यापारी वीरेंद्र जैन ने बताया कि अजमेर में छोटे-बड़े करीब 500 स्क्रैप व्यापारी हैं, जो अन्य राज्यों और जिलों से स्क्रैप खरीदते हैं. जैन ने बताया कि स्क्रैप के काम से करीब 10 हजार लोग जुड़े हैं. लॉकडाउन की स्थिति में गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश से माल की खरीद नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि अजमेर से रीसाइक्लिंग के लिए माल जयपुर, पंजाब, दिल्ली, कानपुर जाता है. लॉकडाउन में आवागमन बंद होने और अन्य राज्यों से माल नहीं मिलने से व्यापार को भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में कारोबार को करीब 200 करोड़ का नुकसान हुआ है.

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लॉकडाउन का असर स्क्रैप व्यापार पर भी

यह भी पढ़ें : SPECIAL: तेल के दामों में जबरदस्त उछाल, अन्य राज्यों की सीमा से सटे प्रदेश के पेट्रोल पंप बंद होने की कगार पर

Unlock 1.0 में व्यापार ने नहीं पकड़ी रफ्तार

Unlock 1.0 के बावजूद कारोबार को कोई खास फायदा नहीं पहुंचा है. जानकारों का मानना है कि व्यापार को गति पकड़ने में काफी वक्त लगेगा. अजमेर में बड़े पैमाने पर मोटर पार्ट्स और आर्मी, रेलवे और विभिन्न सरकारी विभागों में कबाड़ हुए सामानों की नीलामी से स्क्रैप व्यापार चलता है. छोटे व्यापारी जिलों में घूमकर फेरी वालों से माल खरीदते हैं. वहीं बड़े व्यापारी अन्य राज्यों से बड़े पैमाने पर स्क्रैप खरीदते हैं. एक स्क्रैप व्यापारी का कहना है कि व्यापार की खराब स्थिति का यह दौर कब तक चलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता.

सरकार से राहत की उम्मीद

स्क्रैप व्यापारियों को सरकार से बड़ी आस है. एक स्क्रैप व्यापारी श्रीयांश जैन का कहना है कि लॉकडाउन से पहले मध्यमवर्गीय व्यापारी व्यापार की विकट परिस्थितियों से जूझ रहा था. वह उभर भी नहीं पाया कि लॉकडाउन से व्यापार की कमर टूट गई. व्यापारियों के लिए गोदाम का खर्च, लेबर का वेतन, बैंक का ब्याज, बिजली, बच्चों की फीस और घर खर्च को साधना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसी तरह की राहत व्यापारी वर्ग को नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि हाल ही में भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है, लेकिन मदद के व्यापारी कैसे आत्मनिर्भर बनेंगे. सरकार को मध्यमवर्गीय व्यापारियों की ओर ध्यान देने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें : Ground Report : डूंगरपुर के लाखों श्रमिकों के लिए वरदान बनी 'मनरेगा'...तपती धूप में कर रहे काम, छाया-पानी को भी तरसे

गौरतलब है कि अजमेर में स्क्रैप व्यापार बड़े पैमाने पर अपने पैर जमा चुका है. लॉकडाउन के विकट हालातों से गुजरे स्क्रैप कारोबार को Unlock 1.0 से भी राहत नहीं मिल रही है. इस कारण व्यापार मंदा है. कारोबारी परेशान हैं. वहीं इस काम से जुड़े श्रमिकों को बेरोजगारी झेलनी पड़ रही है.

अजमेर. कोरोना के कारण लागू हुए लॉकडाउन को तो अनलॉक कर दिया गया है, लेकिन इसका इफेक्ट अब भी बरकरार है. लॉकडाउन का जितना असर अन्य क्षेत्रों या व्यापारों पर पड़ा है उतना ही असर स्क्रैप (कबाड़) के व्यापार पर भी पड़ा है. Unlock 1.0 में भी स्क्रैप व्यापारी अन्य राज्यों से माल नहीं खरीद पा रहे हैं और ना ही माल अन्य राज्यों में बेच पा रहे हैं. हालात यह कि स्क्रैप के गोदाम सूने पड़े हैं. व्यापारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और लेबर काम नहीं मिलने से परेशान है.

अजमेर में ठप पड़ा स्क्रैप व्यापार

अजमेर में श्रीनगर रोड पर स्क्रैप का व्यापार बीते 2 दशक से ऐसा फलफूल गया है कि देश के कई राज्यों से अजमेर के स्क्रैप व्यापारी बड़ी मात्रा में माल खरीदने और बेचने लगे. वर्तमान में स्क्रैप पर 18 फीसदी जीएसटी है. जबकि पूर्व में 5 फीसदी वैट था. स्क्रैप व्यापार पर 18 फीसदी जीएसटी का ऐसा प्रभाव पड़ा कि व्यापार की रफ्तार धीमी हो गई. व्यापारी इससे उभरने की कोशिश कर ही रहे थे कि वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से व्यापार कमर सी टूट गई है.

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स्क्रैप व्यापार से जुड़े लोग परेशान

छोटे-बड़े करीब 500 स्क्रैप व्यापारी

अजमेर में स्क्रैप व्यापारी वीरेंद्र जैन ने बताया कि अजमेर में छोटे-बड़े करीब 500 स्क्रैप व्यापारी हैं, जो अन्य राज्यों और जिलों से स्क्रैप खरीदते हैं. जैन ने बताया कि स्क्रैप के काम से करीब 10 हजार लोग जुड़े हैं. लॉकडाउन की स्थिति में गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश से माल की खरीद नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि अजमेर से रीसाइक्लिंग के लिए माल जयपुर, पंजाब, दिल्ली, कानपुर जाता है. लॉकडाउन में आवागमन बंद होने और अन्य राज्यों से माल नहीं मिलने से व्यापार को भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में कारोबार को करीब 200 करोड़ का नुकसान हुआ है.

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लॉकडाउन का असर स्क्रैप व्यापार पर भी

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Unlock 1.0 में व्यापार ने नहीं पकड़ी रफ्तार

Unlock 1.0 के बावजूद कारोबार को कोई खास फायदा नहीं पहुंचा है. जानकारों का मानना है कि व्यापार को गति पकड़ने में काफी वक्त लगेगा. अजमेर में बड़े पैमाने पर मोटर पार्ट्स और आर्मी, रेलवे और विभिन्न सरकारी विभागों में कबाड़ हुए सामानों की नीलामी से स्क्रैप व्यापार चलता है. छोटे व्यापारी जिलों में घूमकर फेरी वालों से माल खरीदते हैं. वहीं बड़े व्यापारी अन्य राज्यों से बड़े पैमाने पर स्क्रैप खरीदते हैं. एक स्क्रैप व्यापारी का कहना है कि व्यापार की खराब स्थिति का यह दौर कब तक चलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता.

सरकार से राहत की उम्मीद

स्क्रैप व्यापारियों को सरकार से बड़ी आस है. एक स्क्रैप व्यापारी श्रीयांश जैन का कहना है कि लॉकडाउन से पहले मध्यमवर्गीय व्यापारी व्यापार की विकट परिस्थितियों से जूझ रहा था. वह उभर भी नहीं पाया कि लॉकडाउन से व्यापार की कमर टूट गई. व्यापारियों के लिए गोदाम का खर्च, लेबर का वेतन, बैंक का ब्याज, बिजली, बच्चों की फीस और घर खर्च को साधना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसी तरह की राहत व्यापारी वर्ग को नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि हाल ही में भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है, लेकिन मदद के व्यापारी कैसे आत्मनिर्भर बनेंगे. सरकार को मध्यमवर्गीय व्यापारियों की ओर ध्यान देने की जरूरत है.

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गौरतलब है कि अजमेर में स्क्रैप व्यापार बड़े पैमाने पर अपने पैर जमा चुका है. लॉकडाउन के विकट हालातों से गुजरे स्क्रैप कारोबार को Unlock 1.0 से भी राहत नहीं मिल रही है. इस कारण व्यापार मंदा है. कारोबारी परेशान हैं. वहीं इस काम से जुड़े श्रमिकों को बेरोजगारी झेलनी पड़ रही है.

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