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1993 Serial Trains Blast case: तीन और गवाहों के टाडा कोर्ट में बयान दर्ज, तीनों आतंकियों को नहीं किया पेश

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Published : Feb 15, 2022, 4:53 PM IST

Updated : Feb 15, 2022, 6:44 PM IST

1993 में देश के विभिन्न हिस्सों में ट्रेनों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले की सुनवाई अजमेर में टाडा कोर्ट (1993 Serial Trains Blast case hearing in Tada Court) में जारी है. मंगलवार को टाडा कोर्ट में आरोपियों की गैर-मौजूदगी में तीन गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं. शेष गवाहों के बयान टाडा कोर्ट में आरोपियों के सामने दर्ज करने के लिए भी मांग की गई है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपियों को पेश नहीं किया गया.

1993 Serial Trains Blast case
1993 में ट्रेनों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में तीन और गवाहों के हुए टाडा कोर्ट में बयान दर्ज, तीनो आतंकियों को नही किया पेश

अजमेर. 1993 में देश के विभिन्न हिस्सों में ट्रेनों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले की सुनवाई अजमेर में टाडा कोर्ट में जारी है. कोर्ट परिसर में ही मौजूद टाडा कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपियों को पेश नहीं किया गया, बल्कि गवाहों के बयान दर्ज किए (Statements of witnesses recorded in 1993 Serial Trains Blast case) गए. आरोपी पक्ष के वकील ने टाडा कोर्ट से आरोपियों के सामने गवाहों के बयान दर्ज करवाने की मांग रखी.

अजमेर के टाडा कोर्ट में 1993 में देश के विभिन्न हिस्सों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान और हमीउद्दीन के खिलाफ सुनवाई जारी है. प्रकरण से संबंधित पत्रावलियां सुप्रीम कोर्ट से टाडा कोर्ट आने के बाद मुकदमे की सुनवाई में गति आई है. टाडा कोर्ट में मुकदमे से संबंधित गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे है. अभी तक 15 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं.

पढ़ें: 1993 Serial Train Blasts: टाडा कोर्ट में नहीं पेश हुए गवाह, अरेस्ट वारंट जारी

आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के वकील शफकतुल्लाह सुल्तानी ने बताया कि मंगलवार को टाडा कोर्ट में आरोपियों की गैर-मौजूदगी में तीन गवाहों के बयान दर्ज किए गए. इसमें ट्रेन में बम ब्लास्ट में घायल हुआ गुजरात निवासी पीयूष शाह भी शामिल है. उन्होंने बताया कि गवाहों में एक सीबीआई के तत्कालीन डीएसपी आरडी कालिया और जीआरपी के तत्कालीन पीएसओ कीर्ति कुमार जोशी शामिल हैं. सीबीआई डीएसपी रहे आरडी कालिया की उम्र अधिक होने की वजह से मुकदमे में उनके बयान दर्ज होने में सहयोग दिया गया.

तीन और गवाहों के टाडा कोर्ट में बयान दर्ज, तीनों आतंकियों को नहीं किया पेश

पढ़ें: आतंकी अब्दुल करीम टुंडा, शमशुद्दीन एवं इरफान अहमद टाडा कोर्ट में पेश, 30 सितंबर को आरोपियों पर लगे चार्ज पर होगा फैसला

नियमानुसार आरोपियों के सामने गवाहों के बयान दर्ज होने चाहिए. सुल्तानी ने बताया कि बुधवार को भी गवाहों के बयान दर्ज होंगे. टाडा कोर्ट में सीबीआई ने मुकदमे से संबंधित 186 गवाहों की सूची दी थी. इन सभी गवाहों के बयान सीबीआई कोर्ट में दर्ज करवाना चाहती है. बुधवार को गवाहों के बयान दर्ज होने के उपरांत टाडा कोर्ट अगली सुनवाई की तारीख देगी. उन्होंने बताया कि शेष गवाहों के बयान टाडा कोर्ट में आरोपियों के सामने दर्ज करने के लिए भी मांग की गई है.

पढ़ें: 1993 सीरियल ब्लास्टः आतंकी अब्दुल करीम टुंडा और उसके दो साथियों के खिलाफ टाडा कोर्ट में अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी

देश द्रोह और सैकड़ो की हत्या के आरोपी को मिला विधिक अधिकार: तीनों आतंकियों के विरुद्ध टाडा कोर्ट में मुकदमे में मुख्य आरोपी आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा है, जिस पर पाकिस्तान में आतंक का प्रशिक्षण लेने का आरोप है. वहीं पर उसने बम बनाने का प्रशिक्षण भी लिया था. ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट के लिए रखे गए बम टुंडा ने ही बनाये थे. मुकदमे में आतंकी टुंडा की पैरवी के लिए पहले गाजियाबाद और दिल्ली से वकील आते थे. बाद में टुंडा ने विधि विभाग में अर्जी लगाकर मुकदमे में पैरवी के लिए अजमेर में ही वकील की डिमांड की थी. यानी देशद्रोह और आतंक के आरोपी जिस पर सैकड़ो लोगों की हत्या का आरोप है, उसे भी मुकदमे में पैरवी के लिए विधिक अधिकार के तहत वकील उपलब्ध हुआ है.

अजमेर. 1993 में देश के विभिन्न हिस्सों में ट्रेनों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले की सुनवाई अजमेर में टाडा कोर्ट में जारी है. कोर्ट परिसर में ही मौजूद टाडा कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपियों को पेश नहीं किया गया, बल्कि गवाहों के बयान दर्ज किए (Statements of witnesses recorded in 1993 Serial Trains Blast case) गए. आरोपी पक्ष के वकील ने टाडा कोर्ट से आरोपियों के सामने गवाहों के बयान दर्ज करवाने की मांग रखी.

अजमेर के टाडा कोर्ट में 1993 में देश के विभिन्न हिस्सों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान और हमीउद्दीन के खिलाफ सुनवाई जारी है. प्रकरण से संबंधित पत्रावलियां सुप्रीम कोर्ट से टाडा कोर्ट आने के बाद मुकदमे की सुनवाई में गति आई है. टाडा कोर्ट में मुकदमे से संबंधित गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे है. अभी तक 15 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं.

पढ़ें: 1993 Serial Train Blasts: टाडा कोर्ट में नहीं पेश हुए गवाह, अरेस्ट वारंट जारी

आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के वकील शफकतुल्लाह सुल्तानी ने बताया कि मंगलवार को टाडा कोर्ट में आरोपियों की गैर-मौजूदगी में तीन गवाहों के बयान दर्ज किए गए. इसमें ट्रेन में बम ब्लास्ट में घायल हुआ गुजरात निवासी पीयूष शाह भी शामिल है. उन्होंने बताया कि गवाहों में एक सीबीआई के तत्कालीन डीएसपी आरडी कालिया और जीआरपी के तत्कालीन पीएसओ कीर्ति कुमार जोशी शामिल हैं. सीबीआई डीएसपी रहे आरडी कालिया की उम्र अधिक होने की वजह से मुकदमे में उनके बयान दर्ज होने में सहयोग दिया गया.

तीन और गवाहों के टाडा कोर्ट में बयान दर्ज, तीनों आतंकियों को नहीं किया पेश

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नियमानुसार आरोपियों के सामने गवाहों के बयान दर्ज होने चाहिए. सुल्तानी ने बताया कि बुधवार को भी गवाहों के बयान दर्ज होंगे. टाडा कोर्ट में सीबीआई ने मुकदमे से संबंधित 186 गवाहों की सूची दी थी. इन सभी गवाहों के बयान सीबीआई कोर्ट में दर्ज करवाना चाहती है. बुधवार को गवाहों के बयान दर्ज होने के उपरांत टाडा कोर्ट अगली सुनवाई की तारीख देगी. उन्होंने बताया कि शेष गवाहों के बयान टाडा कोर्ट में आरोपियों के सामने दर्ज करने के लिए भी मांग की गई है.

पढ़ें: 1993 सीरियल ब्लास्टः आतंकी अब्दुल करीम टुंडा और उसके दो साथियों के खिलाफ टाडा कोर्ट में अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी

देश द्रोह और सैकड़ो की हत्या के आरोपी को मिला विधिक अधिकार: तीनों आतंकियों के विरुद्ध टाडा कोर्ट में मुकदमे में मुख्य आरोपी आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा है, जिस पर पाकिस्तान में आतंक का प्रशिक्षण लेने का आरोप है. वहीं पर उसने बम बनाने का प्रशिक्षण भी लिया था. ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट के लिए रखे गए बम टुंडा ने ही बनाये थे. मुकदमे में आतंकी टुंडा की पैरवी के लिए पहले गाजियाबाद और दिल्ली से वकील आते थे. बाद में टुंडा ने विधि विभाग में अर्जी लगाकर मुकदमे में पैरवी के लिए अजमेर में ही वकील की डिमांड की थी. यानी देशद्रोह और आतंक के आरोपी जिस पर सैकड़ो लोगों की हत्या का आरोप है, उसे भी मुकदमे में पैरवी के लिए विधिक अधिकार के तहत वकील उपलब्ध हुआ है.

Last Updated : Feb 15, 2022, 6:44 PM IST
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