नई दिल्ली : पूंजी बाजार नियामक सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 13 साल से ज्यादा पुराने वित्तीय परिणामों में प्रति शेयर घटी हुई आय की कथित गलत घोषणा से संबंधित मामले में उस पर कोई जुर्माना लगाए बिना न्यायिक कार्यवाही का निपटारा कर दिया है.
सेबी ने मुख्य रूप से दो आधारों पर कथित उल्लंघनों के लिए कोई जुर्माना नहीं लगाने का फैसला किया, जिनमें यह शामिल है कि किसी सूचीबद्ध कंपनी द्वारा जानकारी की गलत घोषणा को दंडनीय बनाने वाले संबंधित कानून में संशोधन मार्च 2019 से संभावित रूप से लागू हुआ.
इसके अलावा, नियामक ने प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) के आदेश के खिलाफ उच्चतमम न्यायालय में लंबित अपनी अपील का भी उल्लेख किया.
सेबी के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा जून 2007 से सितंबर 2008 तक लगातार छह तिमाहियों के लिए एनएसई को सौंपे गए त्रैमासिक वित्तीय विवरणों में शेयर वारंट मौजूद होने के बावजूद बुनियादी प्रति शेयर आय (ईपीएस) और साथ ही घटाए गए प्रति शेयर आय के समान आंकड़े शामिल थे.
यह भी पढ़ें- सेबी ने पोर्टफोलियो प्रबंधकों के वितरकों, कर्मचारियों के लिए प्रमाणन की जरूरत को अधिसूचित किया
आरआईएल ने 12 अप्रैल, 2007 को अपने प्रवर्तकों को 12 करोड़ वारंट जारी किए थे, जो 18 महीने के भीतर परिवर्तनीय थे और 1,402 रुपये प्रति वारंट के अभ्यास मूल्य के साथ इसके धारकों को इक्विटी शेयरों की समान संख्या के लिए आवेदन देने का अधिकार दिया गया था.
तीन अक्टूबर, 2008 को, कंपनी के निदेशक मंडल ने वारंट के इस्तेमाल पर, इन लोगों को 10 रुपये के 12 करोड़ इक्विटी शेयर आवंटित किए.
(पीटीआई भाषा)