जयपुर. प्रदेश में 100 ग्राम सेवा सहकारी समितियों मे 100-100 मैट्रिक टन और 20 क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में 250-250 मैट्रिक टन गोदाम निर्माण की स्वीकृति दी गई है. इससे उपज के भंडारण की क्षमता में वृद्धि होगी. यह जानकारी सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने दी. उदयलाल आंजना ने बताया कि इससे राज्य की भंडारण क्षमता में 15 हजार मैट्रिक टन की वृद्धि होगी. साथ ही किसानों को समय पर कृषि आदानों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में गोदामों का उपयोग हो सकेगा.
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उदय लाल आंजना ने बताया कि प्रतापगढ़ जिले में 12 , भीलवाड़ा में 8, बीकानेर और गंगानगर में 7-7, कोटा और जयपुर में 6-6, बारां और बाड़मेर में 5-5 ग्राम सेवा सेवा सहकारी समितियों में 100 मैट्रिक टन के गोदाम बनेंगे. उदयपुर, बांसवाड़ा, अजमेर, झुंझुनू और दौसा में 4-4 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 100 मैट्रिक टन के गोदाम बनेंगे. चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर और पाली में 3-3 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 100 मैट्रिक टन के गोदाम बनेंगे. बूंदी, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर, चूरू और हनुमानगढ़ में 2-2 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 100 मैट्रिक टन के गोदाम बनेंगे. सीकर, अलवर और टोंक जिले में 1-1 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 100 मैट्रिक टन के गोदाम बनेंगे.
मंत्री आंजना ने बताया कि पाली, श्रीगंगानगर और बारां जिले की 3-3 क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में 250 मैट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे. टोंक, बूंदी और बांसवाड़ा में 2-2 क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में 250 मैट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे. कोटा, डूंगरपुर, बाड़मेर, सीकर, अलवर जिले की 1-1 क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में 250 मैट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे.
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सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने बताया कि समितियों को प्रथम किश्त के रूप में 8.50 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं. जिन सहकारी समितियों के पास भूमि नहीं है, ऐसी समितियों में भूमि की उपलब्धता कराए जाने के लिए जिला प्रशासन के स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं. जिन सहकारी समितियों में भूमि उपलब्धता होना संभव नहीं है, वहां विद्यालयों के परिसीमन के कारण खाली हुए विद्यालय भवन उपलब्ध हैं. ऐसे भवनों को शिक्षा विभाग की सहमति से लिया जाएगा, इसके लिए प्रस्ताव भी मंगवाए जा रहे हैं.
आंजना ने बताया कि 26 जिलों में बनने वाले इन गोदामों पर 17 करोड़ रुपए खर्च होंगे. 100 ग्राम सेवा सहकारी समितियों के लिए 12 करोड़ और 20 क्रय-विक्रय सहकारी समितियों पर 5 करोड़ रुपए खर्च होंगे. उन्होंने बताया कि 100 ग्राम सेवा सहकारी समितियों के लिए प्रति समिति 12 लाख रुपए और 20 क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के लिए प्रति समिति 25 लाख रुपए खर्च होंगे.