जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) अवकाशकालीन एकलपीठ में एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमित सिंघल ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता ने कथित यौन उत्पीड़न के अपराध की सूचना पुलिस को दी. लेकिन थानाधिकारी की ओर से प्रथम सूचना रिपोर्ट (First Information Report) दर्ज नहीं की गई. जबकि प्रकरण में कार्रवाई करने के आदेश पुलिस अधीक्षक के कार्यालय से भी थानाधिकारी को प्राप्त हो गये थे.
बावजूद इसके, प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है. पुलिस की लापरवाही के कारण हताश होकर एक सप्ताह बाद पीड़िता जहर खाकर आत्महत्या (Suicide by Consuming Poison) कर ली. पीड़िता की मौत के बाद उसके पिता की रिपोर्ट देने के बाद मामला दर्ज किया गया. मामले को गम्भीरता से लेकर न्यायाधीश पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की एकलपीठ ने आदेश पारित करते हुए सरकार की ओर उपस्थित लोक अभियोजक को आदेश दिया कि मामले में प्रथम बार में ही एफआईआर करवाई जाए.
बताया जा रहा है कि कई बार पुलिस गम्भीर प्रकृति के अपराध की सूचना के बावजूद भी एफआईआर दर्ज नहीं करती है. जिससे जनमानस को न्याय एवं संविधानिक-कानूनी अधिकार मिलने में रुकावट आती है, क्योंकि अधिकांश आपराधिक मामलों में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी न्यायिक प्रक्रिया अस्तित्व में आती है. अधिवक्ता सुमित सिंघल ने समस्या के समाधान के लिए एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय में दायर कर राजस्थान पुलिस वेबसाइट पर ऑनलाइन एफआईआर दर्ज किए जाने के लिए लिंक की मांग की है. विदित है कि वर्तमान में केवल अज्ञात वाहन चोरी के मामलों के एफआईआर सीधे राजस्थान पुलिस की वेबसाइट पर व्यवस्था है, लेकिन अन्य प्रकार के अपराध दर्ज किए जाने की व्यवस्था नहीं है.
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अधिवक्ता सिंघल ने यह भी बताया कि कानून में यह व्यवस्था है कि मात्र एफआईआर दर्ज होने के आधार मात्र पर ही किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का कारण उत्पन्न नहीं हो जाता है. जनहित याचिका में नोटिस जारी होने के बाद राज्य सरकार की ओर से जवाब दिया गया और जनहित याचिका अन्तिम स्तर पर लम्बित है. ऑनलाइन एफआईआर होने से एसिड अटैक पीड़ित महिला के विरुद्ध गम्भीर अपराधों के मामलों में और वाहन दुर्घटना पीड़ित को बीमा क्लेम के मामलों में न्याय दिलाने में अत्यन्त उपयोगी साबित होगा. गत वर्ष अलवर के थानाघासी में सामूहिक दुष्कर्म की एफआईआर नहीं दर्ज किए जाने की घटना सर्वविदित हुई. जिसके बाद उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ के न्यायाधीश संदीप महेता और विनित कुमार माथुर की बेंच ने स्वप्ररेणा से संज्ञान लिया है, जो वर्तमान में विचाराधीन है.