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चित्तौड़गढ़: ओवन पद्धति से होगी अफीम की जांच, बढ़ सकती है किसानों की चिंता

7 अप्रैल से अफीम का तौल किया जाना है, लेकिन इस बार पुनः अफीम तौल के दौरान जांच पद्धति में बदलाव होने से किसानों की चिंता बढ़ सकती है. इस वर्ष पुनः ओवन पद्धति से अफीम की जांच तौल केंद्र पर हो सकती है, जिसमें मिलावट की शिकायत होने पर अफीम लाइसेंस कटने की संभावनाएं बढ़ जाती है.

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ओवन पद्धति से होगी अफीम की जांच
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Published : Apr 3, 2021, 10:48 PM IST

चित्तौड़गढ़. केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की ओर से आगामी 7 अप्रैल से ही अफीम का तौल किया जाना है, लेकिन इस बार पुनः अफीम तौल के दौरान जांच पद्धति में बदलाव होने से किसानों की चिंता बढ़ सकती है. इस वर्ष पुनः ओवन पद्धति से अफीम की जांच तौल केंद्र पर हो सकती है, जिसमें मिलावट की शिकायत होने पर अफीम लाइसेंस कटने की संभावनाएं बढ़ जाती है. जानकारी में सामने आया है कि अफीम वर्ष 2020-21 को लेकर अफीम तोल की तिथि वित्त मंत्रालय के निर्देश के बाद केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की ओर से जारी कर दी गई है. राजस्थान में सबसे अधिक अफीम के लाइसेंस चित्तौड़गढ़ जिले में है. ऐसे में चित्तौड़गढ़ जिले में अफीम किसानों को तीन खंड में विभक्त किया गया है, जिसमें 15 हजार से अधिक किसानों की अफीम का तौल होना है.

केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ग्वालियर की ओर से आगामी 7 अप्रैल से ही अफीम का तौल करने के आदेश जारी किए गए हैं. इन आदेशों की पालना में चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर दो तथा निंबाहेड़ा में एक खंड के किसानों की अफीम के तौल को लेकर तैयारियां की जा रही है, लेकिन इस वर्ष केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ग्वालियर ने आदेश जारी किया है कि ओवन पद्धति से ही अफीम की जांच हो. पूर्व के वर्षों में ओवन पद्धति से तौल केंद्र पर सैंपल लेकर अफीम की जांच होती रही है.

यह भी पढ़ें- प्रतापगढ़ पुलिस की कार्रवाई, ट्रक से अवैध डोडा चूरा बरामद...तस्कर फरार

ऐसे में किसानों की अफीम लाइसेंस कटने की संभावनाएं बढ़ जाती है, लेकिन गत वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते बड़ी मुश्किल से सरकार ने अफीम तौल की अनुमति दी थी. इस दौरान काफी सख्ती बरती गई है. अधिक संख्या में किसानों को तौल केंद्र पर नहीं रोक सकते थे. इसके चलते नारकोटिक्स ब्यूरो ने हाथ से ही (मैन्युल पद्धति से) अफीम की जांच के आदेश दिए थे. ऐसे में तौल केन्द्र पर किसानों की अफीम की जांच केवल हाथ से हुई थी। इस बारे में उप नारकोटिक्स आयुक्त कोटा विकास शर्मा ने बताया कि इस वर्ष केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ने आदेश जारी कर दिया है, जिसके अनुसार अफीम तौल केंद्र पर ओवन से ही अफीम की जांच की जाएगी. इस सम्बंध में जहां भी अफीम का तौल होना है वहां के जिला अफीम अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं.

शुरू हुआ रख रखाव का कार्य जानकारी में सामने आया कि हर वर्ष अफीम तोल के दौरान टेंट लगाने, तोल में सहयोग सहित विभिन्न कार्य ठेके दिए जाते हैं, लेकिन ओवन नारकोटिक्स महकमे के ही होते हैं. इन्हें संचालित करने के लिए बाहर से कर्मचारी बुलाए जाते हैं. ऐसे में नारकोटिक्स विभाग ने चित्तौड़गढ़ जिला अफीम अधिकारी कार्यालय में रखे ओवन के रख रखाव का कार्य शुरू कर दिया गया है. इससे की तौल के दिन परेशानी नहीं हो.

एक बार सैम्पल के लगते हैं दो घण्टे

जानकारी में सामने आया कि एक किसान की अफीम में से एक निश्चित मात्रा में सैम्पल निकाला जाता है. इसका वजन कर फिर सभी किसानों के सैम्पल ओवन में रखे जाते हैं. ओवन में 70 डिग्री पर गर्म कर के क्लास चेक करते हैं. इस प्रक्रिया में अफीम से पानी सूख जाता है और इसमें मिलावट के साथ ही गुणवत्ता का भी पता चल जाता है. ओवन में एक बार सैम्पल रखने के बाद जांच रिपोर्ट आने में करीब दो घण्टे तक का समय लग जाता है. जानकारी यह भी मिली है कि लाइसेंस कटने की संभावना के चलते किसान इस पद्धति का विरोध भी कर सकते हैं.

चित्तौड़गढ़. केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की ओर से आगामी 7 अप्रैल से ही अफीम का तौल किया जाना है, लेकिन इस बार पुनः अफीम तौल के दौरान जांच पद्धति में बदलाव होने से किसानों की चिंता बढ़ सकती है. इस वर्ष पुनः ओवन पद्धति से अफीम की जांच तौल केंद्र पर हो सकती है, जिसमें मिलावट की शिकायत होने पर अफीम लाइसेंस कटने की संभावनाएं बढ़ जाती है. जानकारी में सामने आया है कि अफीम वर्ष 2020-21 को लेकर अफीम तोल की तिथि वित्त मंत्रालय के निर्देश के बाद केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की ओर से जारी कर दी गई है. राजस्थान में सबसे अधिक अफीम के लाइसेंस चित्तौड़गढ़ जिले में है. ऐसे में चित्तौड़गढ़ जिले में अफीम किसानों को तीन खंड में विभक्त किया गया है, जिसमें 15 हजार से अधिक किसानों की अफीम का तौल होना है.

केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ग्वालियर की ओर से आगामी 7 अप्रैल से ही अफीम का तौल करने के आदेश जारी किए गए हैं. इन आदेशों की पालना में चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर दो तथा निंबाहेड़ा में एक खंड के किसानों की अफीम के तौल को लेकर तैयारियां की जा रही है, लेकिन इस वर्ष केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ग्वालियर ने आदेश जारी किया है कि ओवन पद्धति से ही अफीम की जांच हो. पूर्व के वर्षों में ओवन पद्धति से तौल केंद्र पर सैंपल लेकर अफीम की जांच होती रही है.

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ऐसे में किसानों की अफीम लाइसेंस कटने की संभावनाएं बढ़ जाती है, लेकिन गत वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते बड़ी मुश्किल से सरकार ने अफीम तौल की अनुमति दी थी. इस दौरान काफी सख्ती बरती गई है. अधिक संख्या में किसानों को तौल केंद्र पर नहीं रोक सकते थे. इसके चलते नारकोटिक्स ब्यूरो ने हाथ से ही (मैन्युल पद्धति से) अफीम की जांच के आदेश दिए थे. ऐसे में तौल केन्द्र पर किसानों की अफीम की जांच केवल हाथ से हुई थी। इस बारे में उप नारकोटिक्स आयुक्त कोटा विकास शर्मा ने बताया कि इस वर्ष केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ने आदेश जारी कर दिया है, जिसके अनुसार अफीम तौल केंद्र पर ओवन से ही अफीम की जांच की जाएगी. इस सम्बंध में जहां भी अफीम का तौल होना है वहां के जिला अफीम अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं.

शुरू हुआ रख रखाव का कार्य जानकारी में सामने आया कि हर वर्ष अफीम तोल के दौरान टेंट लगाने, तोल में सहयोग सहित विभिन्न कार्य ठेके दिए जाते हैं, लेकिन ओवन नारकोटिक्स महकमे के ही होते हैं. इन्हें संचालित करने के लिए बाहर से कर्मचारी बुलाए जाते हैं. ऐसे में नारकोटिक्स विभाग ने चित्तौड़गढ़ जिला अफीम अधिकारी कार्यालय में रखे ओवन के रख रखाव का कार्य शुरू कर दिया गया है. इससे की तौल के दिन परेशानी नहीं हो.

एक बार सैम्पल के लगते हैं दो घण्टे

जानकारी में सामने आया कि एक किसान की अफीम में से एक निश्चित मात्रा में सैम्पल निकाला जाता है. इसका वजन कर फिर सभी किसानों के सैम्पल ओवन में रखे जाते हैं. ओवन में 70 डिग्री पर गर्म कर के क्लास चेक करते हैं. इस प्रक्रिया में अफीम से पानी सूख जाता है और इसमें मिलावट के साथ ही गुणवत्ता का भी पता चल जाता है. ओवन में एक बार सैम्पल रखने के बाद जांच रिपोर्ट आने में करीब दो घण्टे तक का समय लग जाता है. जानकारी यह भी मिली है कि लाइसेंस कटने की संभावना के चलते किसान इस पद्धति का विरोध भी कर सकते हैं.

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