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केंद्रीय मंत्री बैठक बुलाकर जल बंटवारे के प्रोजेक्ट पर करें निर्णय: हाईकोर्ट - राजस्थान हाईकोर्ट

यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर हुए समझौते के क्रियान्वयन को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री को प्रदेश के संबंधित मंत्री, विभाग के सचिव, केंद्रीय जल आयोग के सदस्यों सहित वरिष्ठ अभियंताओं को शामिल कर प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के लिए बैठक कर रास्ता निकालने को कहा है.

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यमुना नदी जल बंटवारे को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश
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Published : Sep 19, 2020, 6:43 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर हुए समझौते के क्रियान्वयन को लेकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री को प्रदेश के संबंधित मंत्री, विभाग के सचिव, केंद्रीय जल आयोग के सदस्यों सहित वरिष्ठ अभियंताओं को शामिल कर प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के लिए बैठक कर रास्ता निकालने को कहा है. अदालत ने कहा कि यदि जरूरत हो तो बैठक में आसपास के राज्यों के संबंधित मंत्रियों को भी शामिल किया जा सकता है.

अदालत ने केंद्रीय मंत्री पर विश्वास जताया है कि वे जनहित को देखते हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाएंगे. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश यशवर्धन सिंह की जनहित याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि मामले में अदालत की ओर से समय-समय पर दिशा निर्देश दिए गए हैं. वहीं प्रोजेक्ट की डीपीआर भी बन चुकी है, लेकिन इसे लेकर अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है.

याचिका में कहा गया कि वर्ष 1994 में यमुना नदी के पानी के बंटवारे को लेकर राजस्थान, दिल्ली, यूपी, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के बीच समझौता हुआ था. इसके तहत प्रदेश को 1.19 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना था. इस पानी को चूरू और झुंझुनूं में पेयजल और कृषि के काम में लेना था, लेकिन प्रोजेक्ट बीच में ही रुक गया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर हुए समझौते के क्रियान्वयन को लेकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री को प्रदेश के संबंधित मंत्री, विभाग के सचिव, केंद्रीय जल आयोग के सदस्यों सहित वरिष्ठ अभियंताओं को शामिल कर प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के लिए बैठक कर रास्ता निकालने को कहा है. अदालत ने कहा कि यदि जरूरत हो तो बैठक में आसपास के राज्यों के संबंधित मंत्रियों को भी शामिल किया जा सकता है.

अदालत ने केंद्रीय मंत्री पर विश्वास जताया है कि वे जनहित को देखते हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाएंगे. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश यशवर्धन सिंह की जनहित याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि मामले में अदालत की ओर से समय-समय पर दिशा निर्देश दिए गए हैं. वहीं प्रोजेक्ट की डीपीआर भी बन चुकी है, लेकिन इसे लेकर अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है.

याचिका में कहा गया कि वर्ष 1994 में यमुना नदी के पानी के बंटवारे को लेकर राजस्थान, दिल्ली, यूपी, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के बीच समझौता हुआ था. इसके तहत प्रदेश को 1.19 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना था. इस पानी को चूरू और झुंझुनूं में पेयजल और कृषि के काम में लेना था, लेकिन प्रोजेक्ट बीच में ही रुक गया.

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