बाड़मेर. वैश्विक महामारी कोविड-19 (corona infection) में महात्मा गांधी नरेगा योजना (mgnrega scheme) ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही है. लॉकडाउन (lockdown) में सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) के साथ महात्मा गांधी नरेगा योजना को अनलॉक करने से ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होने लगा है. इसकी बदौलत बाड़मेर जिला 1 लाख 41 हजार 614 श्रमिकों के नियोजन के साथ प्रदेश में अव्वल स्थान पर है.
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कोविड-19 की रोकथाम के लिए पूरे प्रदेश में पिछले काफी समय से लॉकडाउन लगा हुआ है. परिवहन के साधनों पर अंकुश रहने से ग्रामीणों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. ऐसी स्थिति में ग्रामीणों के लिए महात्मा गांधी नरेगा योजना खासी मददगार साबित हुई है. कुछ दिन पूर्व राज्य सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा योजना को अनलॉक करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे. मौजूदा समय में बाड़मेर जिला श्रमिक नियोजन के लिहाज से पूरे राज्य में अव्वल स्थान पर है. बाड़मेर जिले में 1 लाख 41 हजार 614 श्रमिक नियोजित है, जबकि 1 लाख 27 हजार 35 श्रमिकों के नियोजन के साथ बांसवाड़ा जिला दूसरे और 69 हजार 281 श्रमिक नियोजन के साथ डूंगरपुर जिला तीसरे स्थान पर है.
कलेक्टर और जिला कार्यक्रम समन्वयक लोक बंधु के मुताबिक महात्मा गांधी नरेगा योजना में स्थानीय स्तर के साथ प्रवासियों को भी रोजगार मिल रहा है. उनके मुताबिक कार्य स्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाने के साथ मास्क की अनिवार्यता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. कार्यस्थल पर अधिकाधिक भीड़भाड़ नहीं हो, इसके लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना और व्यक्तिगत श्रेणी के कार्यों को प्राथमिकता दी गई है.
गाइडलाइन पालन के निर्देश
सार्वजनिक प्रवृति के कार्यों पर सोशल डिस्टेंसिंग, साबून से हाथ धोने तथा मास्क के इस्तेमाल के लिए श्रमिकों से समय-समय पर समझाइश की जा रही है. इसके लिए विकास अधिकारियों एवं तकनीकी अधिकारियों को नियमित रूप से कार्य स्थल भ्रमण करने के लिए कहा गया है. अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहन दान रतनू के मुताबिक ग्राम पंचायत स्तर से अतिरिक्त कार्य स्वीकृत करने के लिए प्रस्ताव भी मांगे गए हैं.
बेरोजगार प्रवासियों को मिला रोजगार
बाड़मेर जिले के हजारों लोग गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब समेत दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न प्रतिष्ठानों में नियोजित थे. लॉकडाउन लगने के साथ बड़ी तादाद में बाड़मेर लौटे प्रवासियों के सामने रोजगार का संकट हो गया. ऐसी स्थिति में महात्मा गांधी नरेगा योजना में बड़ी तादाद में बेरोजगार प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराया गया है.