धौलपुर. जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की समीक्षा बैठक का आयोजन जिला कलेक्ट्रेट सभागार में किया. बैठक में उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों एवं ग्राम पंचायत में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के अंतर्गत अगला कारगर कदम ग्राम पंचायत, गांव स्तर की स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कमेटी का गठन करना, जो कचरा प्रबंधन के लिए नोडल ऐजेंसी नामांकित की जाएगी. जहां पर कूड़ा-कचरे का उत्पादन अधिक है, उन पंचायतों में यह कमेटी अनिवार्य रूप में गठित की जायेगी तथा यह कमेटी पंचायत में बाह्य शौचमुक्त स्थिति की निरंतरता को ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के द्वारा बनाए रखना सुनिश्चित करेगी.
उन्होंने बताया कि जिले के 175 ग्राम पंचायतों में 35 लाख रुपए प्रति ग्राम पंचायत के हिसाब से ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन हेतु कचरा संग्रहण केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिसकी शुरुआत रजोराखुर्द से हो चुकी है. उन्होंने कहा ई-रिक्शा के माध्यम से घर घर जाकर कचरे का संग्रहण किया जाएगा, जिससे प्लास्टिक वेस्ट और गंदगी से निजात मिलेगी. पंचायत स्तर पर कमेटी पंचायत के नेतृत्व में कार्य करेगी तथा यह सुनिश्चित करेगी कि इस कमेटी के द्वारा ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन पर समुदाय की स्वीकृति से कार्य संचालन करने के लिए नियमित बैठकों तथा ग्राम सभा में विचार विमर्श द्वारा अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा.
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यह कमेटी समुदाय को भी शिक्षित करेगी ताकि फंड पैसा एकत्रित करने के लिए पंचायती राज एक्ट के प्रावधान जैसे कि स्वच्छता शुल्क तथा दंड विषयक आदि प्रावधानों को लागू किया जा सके. ग्राम सभा के द्वारा बेस एवं तरल कचरा प्रबंधन को पंचायत स्तर पर क्रियान्वित करने के लिए इच्छुक महिला मण्डलों, युवक मण्डलों, स्वयं सहायता समूहों तथा अन्य दूसरे समुदाय अधारित संगठनों की शिनाख्त और चुनाव किया जायेगा. ग्राम पंचायत नोडल एजेंसी की सहायता से व्यापक अभियान द्वारा समुदाय में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन तथा स्वच्छता के स्थायित्व को बनाए रखे जाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने के निर्देश दिये। विभिन्न कचरा उत्पादकों को मात्रा, प्रकार, पुनः चक्रण गैर पुनः चक्रण बारे क्षेत्रवार पहचान करना और स्त्रोत पर कचरे के पृथककरण,अलगाव को प्रसारित किया जाना, बाह्य शौचमुक्त स्थिति और ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन गतिविधियों के बीच संबों बारे जानकारी उपलब्ध कराना, कचरा उत्पादक घर, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, बाजार क्षेत्र एवं अस्थाई आबादी की पहचान के बाद रणनीति तैयार की जाए.