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प्रवर्तन निदेशालय ने धोखाधड़ी मामले में 8.18 करोड़ रुपए की संपत्तियां की कुर्क

प्रवर्तन निदेशालय ने निवेशकों से धोखाधड़ी मामले में 8.18 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियां कुर्क करने की कार्रवाई की है. इन संपत्तियों में 14 बैंक खाते शामिल है, जिनमें 1 करोड़ 10 लाख 35 हजार 925 रुपए और 7 अचल संपत्तियां शामिल हैं.

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प्रवर्तन निदेशालय ने धोखाधड़ी मामले में 8.18 करोड़ रुपए की संपत्तियां की कुर्क
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Published : Mar 30, 2021, 11:06 PM IST

जयपुर. प्रवर्तन निदेशालय ने निवेशकों से धोखाधड़ी मामले में 8.18 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियां कुर्क करने की कार्रवाई की है. प्रवर्तन निदेशालय ने वैभव एंटरप्राइजेज और इसके प्रोपराइटर अरुण कुमार अग्रवाल के निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले में संपत्तियां कुर्क की है. प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (पीएमएलए) के तहत 8 करोड़ 18 लाख 45 हजार 5 रुपए की संपत्तियां कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं. संपत्तियों में 14 बैंक खाते शामिल है, जिनमें 1 करोड़ 10 लाख 35 हजार 925 रुपए और 7 अचल संपत्तियां शामिल है, जिनका मूल्य 7 करोड़ 8 लाख 11 हजार 80 रुपए है. जयपुर और उदयपुर स्थित आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तिया कुल 8 करोड़ 18 लाख 45 हजार 5 रुपए की कुर्क की गई है.

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ईडी अधिकारियों के मुताबिक राजस्थान पुलिस द्वारा जयपुर शहर के चित्रकूट और मानसरोवर पुलिस स्टेशनों में अरुण कुमार अग्रवाल और उनकी संबंधित फर्म और कंपनियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120 बी के साथ धारा 420 और 406 के तहत कई एफआईआर दर्ज की गई है. अरुण कुमार अग्रवाल ने अन्य संबंधित व्यक्तियों और कंपनियों समेत परिवार के सदस्यों की मिलीभगत से फर्म को चलाने की साजिश रची है. जिसमें आम जनता को अपनी कंपनियों में निवेश करवाया था और इन निवेशकों को ब्याज के रूप में 9% वार्षिक से 18% तक लाभ दिया जाने का वादा किया गया था और कभी-कभी प्रतिवर्ष 24% का भी वादा किया गया था.

प्रवर्तन निदेशालय जयपुर की ओर से धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 पीएमएलए के तहत मेसर्स वैभव एंटरप्राइजेज और उसके प्रोपराइटर अरुण कुमार अग्रवाल और उनकी संबंधित संस्था या व्यक्तियों के खिलाफ जांच शुरू की गई. जांच के दौरान पाया गया कि अरुण कुमार अग्रवाल मैसर्स वैभव एंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर के ने अपने मुख्य पार्टनर अमित गौतम और अपने भाई नीरज अग्रवाल के साथ अन्य कंपनियां खोली, जिनमें मैसर्स एटरियो रियल कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स वैभव हुजमूवर्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स टैकरेडियस हाइटेक प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स रूटवाइजर लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स टुविक कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स वैभव निधि इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल है.

इन कंपनियों और सम्मानित व्यक्तियों के नाम पर आरोपी द्वारा कई बैंक खाते खोले गए और धनराशि एक बैंक से दूसरे बैंक खातों में कई बार ट्रांसफर की गई. बैंक खातों में प्रविष्टियों की गहन छानबीन की गई और जांच की गई, जिसमें भोले-भाले निवेशकों से निवेश के रूप में हासिल की गई धनराशि को जब्त करने और विभिन्न संपत्तियों को हासिल करने में उनकी पार्किंग करने की बात सामने आई. ईडी द्वारा जांच के दौरान विभिन्न बैंकों, पंजीकरण प्राधिकरणो, आरओसी, आयकर विभाग, पुलिस, आरटीओ और अन्य विभागों से भी जानकारी मंगाई गई. जानकारी में सामने आया कि इन कंपनियों को वैभव एंटरप्राइजेज के बैंक खातों से धन मुहैया कराया गया था. अधिकांश कंपनियों को निवेशकों को धोखा देने के लिए बनाया गया था. निवेशकों को विभिन्न व्यवसाय दिखाने के लिए खोला गया था. इनमें से अधिकांश कंपनियां नुकसान में थी और कोई वास्तविक काम नहीं कर रही थी.

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जांच के दौरान सामने आया कि निवेशकों के पैसे का इस्तेमाल निजी कार्यों के लिए किया गया है, जिनमें महंगी कार खरीदना, आभूषणों की खरीद, विदेशी दौरों, ब्यूटी पार्लर के व्यवसाय और शानदार जीवनशैली को बनाए रखने के लिए किया गया था. अरुण कुमार अग्रवाल अमित कुमार गौतम और उनके परिवार के सदस्यों ने अपराधिक साजिश रचते हुए निवेशको लालच देकर आम जनता को धोखा दिया है. निवेशकों को ना तो ब्याज का भुगतान किया गया और ना ही मूल राशि वापस लौटाई गई. प्रवर्तन निदेशालय ने 8.18 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियां कुर्क की है. फिलहाल मामले की जांच पड़ताल जारी है.

जयपुर. प्रवर्तन निदेशालय ने निवेशकों से धोखाधड़ी मामले में 8.18 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियां कुर्क करने की कार्रवाई की है. प्रवर्तन निदेशालय ने वैभव एंटरप्राइजेज और इसके प्रोपराइटर अरुण कुमार अग्रवाल के निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले में संपत्तियां कुर्क की है. प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (पीएमएलए) के तहत 8 करोड़ 18 लाख 45 हजार 5 रुपए की संपत्तियां कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं. संपत्तियों में 14 बैंक खाते शामिल है, जिनमें 1 करोड़ 10 लाख 35 हजार 925 रुपए और 7 अचल संपत्तियां शामिल है, जिनका मूल्य 7 करोड़ 8 लाख 11 हजार 80 रुपए है. जयपुर और उदयपुर स्थित आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तिया कुल 8 करोड़ 18 लाख 45 हजार 5 रुपए की कुर्क की गई है.

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ईडी अधिकारियों के मुताबिक राजस्थान पुलिस द्वारा जयपुर शहर के चित्रकूट और मानसरोवर पुलिस स्टेशनों में अरुण कुमार अग्रवाल और उनकी संबंधित फर्म और कंपनियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120 बी के साथ धारा 420 और 406 के तहत कई एफआईआर दर्ज की गई है. अरुण कुमार अग्रवाल ने अन्य संबंधित व्यक्तियों और कंपनियों समेत परिवार के सदस्यों की मिलीभगत से फर्म को चलाने की साजिश रची है. जिसमें आम जनता को अपनी कंपनियों में निवेश करवाया था और इन निवेशकों को ब्याज के रूप में 9% वार्षिक से 18% तक लाभ दिया जाने का वादा किया गया था और कभी-कभी प्रतिवर्ष 24% का भी वादा किया गया था.

प्रवर्तन निदेशालय जयपुर की ओर से धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 पीएमएलए के तहत मेसर्स वैभव एंटरप्राइजेज और उसके प्रोपराइटर अरुण कुमार अग्रवाल और उनकी संबंधित संस्था या व्यक्तियों के खिलाफ जांच शुरू की गई. जांच के दौरान पाया गया कि अरुण कुमार अग्रवाल मैसर्स वैभव एंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर के ने अपने मुख्य पार्टनर अमित गौतम और अपने भाई नीरज अग्रवाल के साथ अन्य कंपनियां खोली, जिनमें मैसर्स एटरियो रियल कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स वैभव हुजमूवर्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स टैकरेडियस हाइटेक प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स रूटवाइजर लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स टुविक कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स वैभव निधि इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल है.

इन कंपनियों और सम्मानित व्यक्तियों के नाम पर आरोपी द्वारा कई बैंक खाते खोले गए और धनराशि एक बैंक से दूसरे बैंक खातों में कई बार ट्रांसफर की गई. बैंक खातों में प्रविष्टियों की गहन छानबीन की गई और जांच की गई, जिसमें भोले-भाले निवेशकों से निवेश के रूप में हासिल की गई धनराशि को जब्त करने और विभिन्न संपत्तियों को हासिल करने में उनकी पार्किंग करने की बात सामने आई. ईडी द्वारा जांच के दौरान विभिन्न बैंकों, पंजीकरण प्राधिकरणो, आरओसी, आयकर विभाग, पुलिस, आरटीओ और अन्य विभागों से भी जानकारी मंगाई गई. जानकारी में सामने आया कि इन कंपनियों को वैभव एंटरप्राइजेज के बैंक खातों से धन मुहैया कराया गया था. अधिकांश कंपनियों को निवेशकों को धोखा देने के लिए बनाया गया था. निवेशकों को विभिन्न व्यवसाय दिखाने के लिए खोला गया था. इनमें से अधिकांश कंपनियां नुकसान में थी और कोई वास्तविक काम नहीं कर रही थी.

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