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ukraine crisis naveen death : पीड़ित पिता की पीड़ा, कहा- 97 फीसदी नंबर पर भी भारत में एडमिशन नहीं

रूस और यूक्रेन के संकट के बीच हजारों लोगों के मारे जाने की अपुष्ट मीडिया रिपोर्ट सामने आ रही है. युद्ध के दौरान भारत के एक होनहार छात्र नवीन की भी मौत (ukraine Naveen Shekharappa death) हुई. इस हृदय विदारक घटना के बीच युद्ध का शिकार हुए छात्र नवीन के पिता ने भारत की शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि 97 फीसदी नंबर लाने के बाद भी नवीन को भारत के किसी कॉलेज में एडमिशन नहीं (Naveen Shekharappa 97 percent no medical seat) मिला, इस कारण उसे यूक्रेन जाना पड़ा.

ukraine Naveen Shekharappa death
भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा
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Published : Mar 2, 2022, 12:51 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 10:43 PM IST

हावेरी (कर्नाटक) : संघर्षग्रस्त यूक्रेन में मारे गए भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा (ukraine Naveen Shekharappa death) कर्नाटक के हावेरी जिले के चलगेरी गांव के रहने वाले थे. उनके पिता ने भारत में चिकित्सा शिक्षा प्रणाली को लेकर सवाल (naveen father anguish India medical education system) खड़े किए हैं. मंगलवार को बेटे नवीन शेखरप्पा की मौत के बाद अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए नवीन के पिता ने कहा, 'प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स (पीयूसी) में 97 प्रतिशत स्कोर करने के बावजूद, मेरा बेटा राज्य में मेडिकल सीट हासिल नहीं (Naveen Shekharappa 97 percent no medical seat) कर सका. खबरों के मुताबिक कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने नवीन के परिवार से बात कर संवेदना (Naveen death Karnataka CM Bommai) प्रकट की.

महंगी मेडिकल की पढ़ाई पर नवीन शेखरप्पा के पिता ने मीडियाकर्मियों को बताया, मेडिकल सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये देने पड़ते हैं और छात्र कम पैसे खर्च करके विदेश में समान शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. उनके बेटे को 97 फीसदी नंबर लाने के बाद भी किसी मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं (father says no medical seat despite 97 percent) मिली. उन्होंने कहा कि मंगलवार सुबह 6-7 बजे नवीन ने अपनी मां और अपने बड़े भाई से बात की. उन्होंने बताया कि नवीन ने कहा था कि दोपहर में पिता से बात करेगा, लेकिन फोन नहीं आया.

नवीन हावेरी के पिता और केंद्रीय मंत्री का बयान

डेड बॉडी वापस लाने का आश्वासन
नवीन के पिता ने कहा कि यहां से भी लगातार फोन लगाते रहे लेकिन नवीन का फोन रिसीव नहीं हुआ. फिर दोपहर लगभग 2 बजे विदेश मंत्रालय से फोन आया कि नवीन की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि नवीन का शव जल्द से जल्द भारत लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने भी उनसे बात की है. वे नवीन के शव का इंतजार कर रहे हैं. नवीन के पिता ने कहा कि वे जल्द से जल्द नवीन की डेड बॉडी भारत पहुंचेगी ऐसी उम्मीद करते हैं.

उन्होंने कहा कि नवीन के फोन से कॉल आई किसी ने स्थानीय भाषा में उनसे बातें की. नवीन के पिता के मुताबिक जिसने नवीन के फोन से बात की, उसने शायद कहा कि नवीन का शव फॉरेंसिक लैब में है. इसके बाद उसका फोन कट गया. पिता ने कहा कि दोबारा कई बार फोन करने के बाद भी किसी ने नवीन का फोन रिसीव नहीं किया. बता दें कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूक्रेन में भारतीय छात्र के निधन पर शोक व्यक्त किया था. उन्होंने नवीन शेखरप्पा के पिता से बात भी की.

बेटे को खोने का मां का दर्द छलका, बोलीं-गरीब के घर न जन्में प्रतिभाशाली बच्चा
बेटे को खोने का गम नवीन की मां विजयलक्ष्मी (Vijaylakshmi) का बातों से छलका. उन्होंने कहा कि 'मेरा बेटा गरीबी से नहीं मरा, बल्कि देश के हालात से मरा. वह यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतिभाशाली व्यक्ति का जन्म किसी गरीब परिवार में नहीं होना चाहिए. हमारे देश में प्रतिभा की कोई कीमत नहीं है. प्रतिभा का कोई मूल्य नहीं. हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था ने मेरे बेटे की जान ले ली. जाति आड़े नहीं आती तो मेरे बेटे को यहां सीट मिल जाती. मेरा बेटा गरीबी से नहीं मरा, बल्कि देश के हालात से मरा.'

हावेरी जिले के रानेबेन्नूर तालुक के चलगेरी गांव में अपने आवास पर विजयलक्ष्मी ने कहा कि 'कॉलेजों ने करोड़ों रुपये एकमुश्त डोनेशन मांगा, जो हमारे पास नहीं थे. यूक्रेन में 50-60 लाख रुपये मे पढ़ाई हो जाती है, इसीलिए भेज दिया नहीं तो उसे वहां क्यों भेजते.' उन्होंने कहा कि तीन महीने पहले बेटा आया था. एक दिन पहले भी उसने फोन पर सबकुछ बताया था. उसने बताया था कि कर्फ्यू लगा दिया गया है. उसने मुझसे वादा किया था कि मैं वापस आऊंगा, लेकिन वह नहीं आया.

केंद्रीय मंत्री ने कहा- लोगों को भारत लाना पहली प्राथमिकता
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने नवीन की मौत के बाद कहा, सरकार नवीन की डेड बॉडी लाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री पीएम मोदी के मार्गदर्शन में लगातार प्रयास कर रहे हैं. जोशी ने अपने विवादित बयान के संबंध में कहा, अभी सरकार की प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाना है.

नवीन खाना लेने के लिए लाइन में लगे थे
बता दें कि यूक्रेन के खार्किव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 21 वर्षीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मंगलवार को खार्किव में गोलाबारी में मौत हो गई. यूक्रेन के खार्किव में रूसी गोलाबारी के दौरान शेखरप्पा कथित तौर पर भोजन खरीदने के लिए कतार में खड़े थे.

भारत के लोगों से कीव छोड़ने की अपील
गौरतलब है कि नवीन की मौत के बाद मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, 'गंभीर दुख के साथ, हम पुष्टि करते हैं कि आज सुबह खार्किव में गोलाबारी में एक भारतीय छात्र की जान चली गई. मंत्रालय उनके परिवार के संपर्क में है. हम परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं.' विदेश मंत्रालय के मुताबिक नवीन शेखरप्पा के पार्थिव शरीर को भारत लाने के प्रयास जारी हैं. यूक्रेन में भारतीय दूतावास से एक घंटे के भीतर छात्र की मौत की खबर आने के बाद भारत ने अपने नागरिकों से मंगलवार को कहा कि तत्काल राजधानी कीव छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाएं.

यह भी पढ़ें- Ukraine-Russia War: बमबारी में एक भारतीय छात्र की मौत, पीएम मोदी ने पीड़ित परिवार से की बात

रूसी फौज की कार्रवाई के खिलाफ कई देश यूक्रेन के साथ
गौरतलब है कि रूस ने यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों - डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र मान्यता देने के तीन दिन बाद सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद रूसी सेना ने गत 24 फरवरी को यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान शुरू किया. यूके, यूएस, कनाडा और यूरोपीय संघ सहित कई देशों ने यूक्रेन में रूस के मिलिट्री ऑपरेशन (russia special military operation) की निंदा की है. इन देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध भी लगाए हैं. कई देशों से यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए सैन्य सहायता भी मिली है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध के कारण अब तक 5,00,000 से अधिक लोग देश छोड़ने पर मजबूर हुए हैं.

हावेरी (कर्नाटक) : संघर्षग्रस्त यूक्रेन में मारे गए भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा (ukraine Naveen Shekharappa death) कर्नाटक के हावेरी जिले के चलगेरी गांव के रहने वाले थे. उनके पिता ने भारत में चिकित्सा शिक्षा प्रणाली को लेकर सवाल (naveen father anguish India medical education system) खड़े किए हैं. मंगलवार को बेटे नवीन शेखरप्पा की मौत के बाद अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए नवीन के पिता ने कहा, 'प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स (पीयूसी) में 97 प्रतिशत स्कोर करने के बावजूद, मेरा बेटा राज्य में मेडिकल सीट हासिल नहीं (Naveen Shekharappa 97 percent no medical seat) कर सका. खबरों के मुताबिक कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने नवीन के परिवार से बात कर संवेदना (Naveen death Karnataka CM Bommai) प्रकट की.

महंगी मेडिकल की पढ़ाई पर नवीन शेखरप्पा के पिता ने मीडियाकर्मियों को बताया, मेडिकल सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये देने पड़ते हैं और छात्र कम पैसे खर्च करके विदेश में समान शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. उनके बेटे को 97 फीसदी नंबर लाने के बाद भी किसी मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं (father says no medical seat despite 97 percent) मिली. उन्होंने कहा कि मंगलवार सुबह 6-7 बजे नवीन ने अपनी मां और अपने बड़े भाई से बात की. उन्होंने बताया कि नवीन ने कहा था कि दोपहर में पिता से बात करेगा, लेकिन फोन नहीं आया.

नवीन हावेरी के पिता और केंद्रीय मंत्री का बयान

डेड बॉडी वापस लाने का आश्वासन
नवीन के पिता ने कहा कि यहां से भी लगातार फोन लगाते रहे लेकिन नवीन का फोन रिसीव नहीं हुआ. फिर दोपहर लगभग 2 बजे विदेश मंत्रालय से फोन आया कि नवीन की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि नवीन का शव जल्द से जल्द भारत लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने भी उनसे बात की है. वे नवीन के शव का इंतजार कर रहे हैं. नवीन के पिता ने कहा कि वे जल्द से जल्द नवीन की डेड बॉडी भारत पहुंचेगी ऐसी उम्मीद करते हैं.

उन्होंने कहा कि नवीन के फोन से कॉल आई किसी ने स्थानीय भाषा में उनसे बातें की. नवीन के पिता के मुताबिक जिसने नवीन के फोन से बात की, उसने शायद कहा कि नवीन का शव फॉरेंसिक लैब में है. इसके बाद उसका फोन कट गया. पिता ने कहा कि दोबारा कई बार फोन करने के बाद भी किसी ने नवीन का फोन रिसीव नहीं किया. बता दें कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूक्रेन में भारतीय छात्र के निधन पर शोक व्यक्त किया था. उन्होंने नवीन शेखरप्पा के पिता से बात भी की.

बेटे को खोने का मां का दर्द छलका, बोलीं-गरीब के घर न जन्में प्रतिभाशाली बच्चा
बेटे को खोने का गम नवीन की मां विजयलक्ष्मी (Vijaylakshmi) का बातों से छलका. उन्होंने कहा कि 'मेरा बेटा गरीबी से नहीं मरा, बल्कि देश के हालात से मरा. वह यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतिभाशाली व्यक्ति का जन्म किसी गरीब परिवार में नहीं होना चाहिए. हमारे देश में प्रतिभा की कोई कीमत नहीं है. प्रतिभा का कोई मूल्य नहीं. हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था ने मेरे बेटे की जान ले ली. जाति आड़े नहीं आती तो मेरे बेटे को यहां सीट मिल जाती. मेरा बेटा गरीबी से नहीं मरा, बल्कि देश के हालात से मरा.'

हावेरी जिले के रानेबेन्नूर तालुक के चलगेरी गांव में अपने आवास पर विजयलक्ष्मी ने कहा कि 'कॉलेजों ने करोड़ों रुपये एकमुश्त डोनेशन मांगा, जो हमारे पास नहीं थे. यूक्रेन में 50-60 लाख रुपये मे पढ़ाई हो जाती है, इसीलिए भेज दिया नहीं तो उसे वहां क्यों भेजते.' उन्होंने कहा कि तीन महीने पहले बेटा आया था. एक दिन पहले भी उसने फोन पर सबकुछ बताया था. उसने बताया था कि कर्फ्यू लगा दिया गया है. उसने मुझसे वादा किया था कि मैं वापस आऊंगा, लेकिन वह नहीं आया.

केंद्रीय मंत्री ने कहा- लोगों को भारत लाना पहली प्राथमिकता
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने नवीन की मौत के बाद कहा, सरकार नवीन की डेड बॉडी लाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री पीएम मोदी के मार्गदर्शन में लगातार प्रयास कर रहे हैं. जोशी ने अपने विवादित बयान के संबंध में कहा, अभी सरकार की प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाना है.

नवीन खाना लेने के लिए लाइन में लगे थे
बता दें कि यूक्रेन के खार्किव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 21 वर्षीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मंगलवार को खार्किव में गोलाबारी में मौत हो गई. यूक्रेन के खार्किव में रूसी गोलाबारी के दौरान शेखरप्पा कथित तौर पर भोजन खरीदने के लिए कतार में खड़े थे.

भारत के लोगों से कीव छोड़ने की अपील
गौरतलब है कि नवीन की मौत के बाद मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, 'गंभीर दुख के साथ, हम पुष्टि करते हैं कि आज सुबह खार्किव में गोलाबारी में एक भारतीय छात्र की जान चली गई. मंत्रालय उनके परिवार के संपर्क में है. हम परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं.' विदेश मंत्रालय के मुताबिक नवीन शेखरप्पा के पार्थिव शरीर को भारत लाने के प्रयास जारी हैं. यूक्रेन में भारतीय दूतावास से एक घंटे के भीतर छात्र की मौत की खबर आने के बाद भारत ने अपने नागरिकों से मंगलवार को कहा कि तत्काल राजधानी कीव छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाएं.

यह भी पढ़ें- Ukraine-Russia War: बमबारी में एक भारतीय छात्र की मौत, पीएम मोदी ने पीड़ित परिवार से की बात

रूसी फौज की कार्रवाई के खिलाफ कई देश यूक्रेन के साथ
गौरतलब है कि रूस ने यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों - डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र मान्यता देने के तीन दिन बाद सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद रूसी सेना ने गत 24 फरवरी को यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान शुरू किया. यूके, यूएस, कनाडा और यूरोपीय संघ सहित कई देशों ने यूक्रेन में रूस के मिलिट्री ऑपरेशन (russia special military operation) की निंदा की है. इन देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध भी लगाए हैं. कई देशों से यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए सैन्य सहायता भी मिली है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध के कारण अब तक 5,00,000 से अधिक लोग देश छोड़ने पर मजबूर हुए हैं.

Last Updated : Mar 2, 2022, 10:43 PM IST
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